भोपाल: फॉरेस्ट की जमीन के लिए केंद्र सरकार को भेजा प्रस्ताव, आज इसकी समीक्षाप्रोजेक्ट में 1178 हेक्टेयर जमीन निजी क्षेत्र कीश्योपुर में अब भी 90% जमीन का अधिग्रहण बाकीमप्र का ‘अटल प्रोग्रेस-वे’ छह पैकेज में तैयार होगा। हर पैकेज में 40 से लेकर अधिकतम 61 किमी तक का हिस्सा रखा गया है और लागत भी तय कर दी गई है। शुक्रवार को इसकी मुख्य सचिव समीक्षा करने जा रहे हैं। इसमें तय हो जाएगा कि निजी जमीन के अधिग्रहण को जल्द से जल्द कैसे किया जाएगा। पूर्व में जमीन के बदले दो गुना तक जमीन देने का प्रावधान रखा गया था, लेकिन अब कंपनसेशन दिया जा सकता है।अटल प्रोग्रेस-वे मप्र का पहला एक्सप्रेस-वे होगा, जो सवा तीन सौ किमी लंबा है। केंद्रीय कैबिनेट से इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक सहमति मिल गई है। अटल प्रोग्रेस-वे में 1623 हेक्टेयर सरकारी जमीन पूरी तरह नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के सुपुर्द की जा चुकी है। फॉरेस्ट की 403 हेक्टेयर जमीन के लिए केंद्र सरकार के प्रस्ताव 14 जून 2022 को भेजा जा चुका है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में 1178 हेक्टेयर जमीन निजी क्षेत्र की आ रही है जो भिंड, मुरैना और श्योपुर जिले की है। इसका अधिग्रहण भी जल्द किया जाएगा। मुरैना और श्योपुर में क्रमश: 455 व 609 सर्वाधिक निजी जमीन है। भिंड और मुरैना कलेक्टर ने 211 हेक्टेयर जमीन के बदले जमीन देकर उसका अधिग्रहण कर लिया है।श्योपुर में अब भी 90% जमीन का अधिग्रहण बाकीअटल प्रोग्रेस वे में जिन तीन जिलों की निजी जमीनें आ रही हैं, वहां किसानों को अधिग्रहण के लिए समझाना मुश्किल हो रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत श्योपुर जिले में हैं। यहां कुल जमीन 609 में से करीब 90% जमीन का अधिग्रहण बाकी है। राज्य सरकार जल्द इस काम में कलेक्टरों को लगा सकती है। विभाग का प्रयास है कि इस साल अटल प्रोग्रेस वे का काम शुरू हो जाए। केंद्र सरकार से भी जल्द ही बात होगी, ताकि एनएचएआई काम शुरू कर सके।
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