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एक ARO चला रहा 23 स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य विभाग में मनमाने तबादले से बढ़ी दिक्कत

गोरखपुर: गोरखपुर में 351 की जगह सिर्फ 153 डॉक्टरों की तैनाती है। जिससे दिक्कते बढ़ गई हैं।गोरखपुर के हेल्थ डिपार्टमेंट में पहले से ही डॉक्टरों और कर्मचारियों की भारी कमी है। संसाधन तो बढ़ा दिया गया लेकिन डॉक्टरों की कमी दूर नहीं की गई। हालत यह है कि गोरखपुर में 351 डॉक्टरों की जगह है लेकिन तैनाती सिर्फ 153 की ही है। बात करें अगर गोरखपुर और बस्ती मंडल के 7 जिलों की तो यहां कुल 1386 डॉक्टरों की तैनाती होनी चाहिए। लेकिन 896 डॉक्टर ही तैनात हैं। 490 डॉक्टरों की कमी है।जिससे आए दिन मरीजों को हेल्थ सेंटरों से रेफर किया जाता है। रही सही कसर हाल ही में हुए स्वास्थ्य विभाग के तबादले ने पूरी कर दी। जितने डॉक्टरों और कर्मचारियों का तबादला हुए उसकी अपेक्षा कम की यहां तैनाती हुई। हालत यह है कि एक एआरओ ही 23 नगरीय स्वास्थ्य केंद्र चला रहा है। वहीं विशेषज्ञ डॉक्टरों की भी जिले में भारी कमी है।सरकारी अस्पताल में छोड़कर किसी भी सीएचसी पर विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात नहीं है।जिला अस्पताल के ओपीडी में दिखाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वालों की लगी भीड़।ओपीडी में प्रतिदिन आते है चार हजार मरीजजिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रतिदिन तीन से चार हजार की ओपीडी होती है। इनमें 70 फीसदी मरीजों को सीएचसी और पीएचसी से जिला अस्पताल रेफर कर दिया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि इन केंद्रों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती नहीं है।126 के सापेक्ष सिर्फ 27 विशेषज्ञ डॉक्टरजिले में कुल डॉक्टरों के 230 पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें 132 एमबीबीएस डॉक्टरों की तैनाती है। जबकि, विशेषज्ञ डॉक्टरों की बात करें तो 126 पदों स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष कुल 27 डॉक्टर जिले में तैनात हैं। इनमें सात आर्थोपेडिक सर्जन, 10 पीडियाट्रिक, तीन स्त्री एवं प्रसूति रोग विशषेज्ञ, एनीस्थीसिया दो एक रेडियोलॉजी और चार फिजिशियन शामिल हैं। जबकि, सभी विशेषज्ञ पदों पर 21-21 डॉक्टरों की तैनाती होनी है।जिले के पीएचसी से डॉक्टरों के अभाव में रेफर किए जा रहे मरीज। केवल एक एआरओ 23 केंद्रों का भार संभाल रहा।विशेषज्ञ डॉक्टर न होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्र के इलाकों के मरीजों को शहर में इलाज के लिए आना पड़ रहा है, जहां उन्हें या तो जिला अस्पताल या फिर बीआरडी जाना पड़ रहा है। जबकि, दोनों जगहों पर मरीजों की भीड़ इतनी अधिक हैं कि सभी विभागों के ऑपरेशन में लंबी वेंटिंग चल रही है।जिले में इतने हैं स्वास्थ्य केंद्रसामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र- 21ब्लाक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र- नौप्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र- 56हेल्थ वेलनेस सेंटर- 53सब सेंटर- 503यह है तैनाती का नियमनियम के मुताबिक, प्रत्येक पीएचसी, सीएचसी पर एक विशेषज्ञ चिकित्सक, एक फिजीशियन, एक सर्जन, एक एनीस्थीसिया, एक रेडियोलॉजिस्टि और एक स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की तैनाती होनी चाहिए। लेकिन, किसी भी सीएची और पीएचसी पर नियम के तहत डॉक्टरों की तैनाती नहीं है।स्थानांतरण ने चौपट की पीएचसी की दशाहाल ही में किए गए बिना सोचे समझे तबादले ने कर्मचारियों की और ज्यादा कमी कर दी है। यहां के 23 नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो पर कर्मचारियों का भारी आभाव हैं। जो कर्मचारी थे भी उन्हें भी यहां से गैर जनपद स्थानांतरण कर दिया गया।महज एक एआरओ के भरोसे 23 यूपीएससी चल रहा है और संचारी रोग नियंत्रण अभियान चल रहा है। जबकि 23 नगरीय प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों पर एक महिला डाक्टर, एक एआरओ, एक फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स तथा वार्ड व्याय की तैनाती की जाती है। शहर के इन 23 पीएचसी पर पहले से ही महज 6 एआरओ तैनात थे, लेकिन अब इनमे से पांच का तबादला हो गया।डॉक्टरों के अभाव में जिला अस्पताल के ओपीडी में लगी भीड़।किस जिले में कितने के स्थांतरण और कितने मिले डॉक्टरगोरखपुर जिले में 24 डॉक्टरों का स्थातंरण हुआ। उसके बदले 3 ही डॉक्टर मिले। 21 की अभी भी कमी है। कुशीनगर में 23 का तबादला हुआ और मिले सिर्फ 11 डॉक्टर। यहां भी 12 की कमी है। महराजगंज में 19 का तबादला हुआ और मिले सिर्फ 3 डॉक्टर। जिससे यहां 16 डॉक्टरों की कमी है।संतकबीरनगर में 17 का तबादला हुआ और मिले सिर्फ 2 ही यहां 15 की कमी है। बस्ती में 21 का तबादला कर 15 डॉक्टर दिए गए जिससे 6 की कमी हो गई। सिद्धार्थनगर में 30 तबादला कर ​सिर्फ 16 डॉक्टरों को दिया गया। यहां भी 14 की कमी है। देवरिया में 18 का तबादला कर 10 डॉक्टरों की तैनाती की गई। यहां भी 8 की कमी है। इसी प्रकार देवरिया में 18 का तबादला कर 10 की तैनाती की गई। यहां भी 8 डॉक्टरों की कमी है। यानि गोरखपुर और बस्ती मंडल में 152 डॉक्टरों का तबादला कर सिर्फ 60 की तैनाती की गई। जिससे 92 डॉक्टरों की कमी है।किस जिले में कितने डॉक्टरों के पद खालीगोरखपुर में डॉक्टरों के स्वीकृत पद 351 है जबकि 198 पद खाली है। वहीं 153 की तैनाती है। इसी प्रकार कुशीनगर में 219 स्वीकृत पदों में से 41 खाली हैं और तैनाती 178 की है। महराजगंज में 175 में से 69 खाली है और तैनाती 106 की है। संतकबीरनगर में 103 में से 30 खाली हैं और 73 की तैनाती है। बस्ती में 164 में से 54 खाली है और 110 की तैनाती है। सिद्धार्थनगर में 168 में से 32 खाली हैं और तैनाती 136 की तैनाती है। वहीं देवरिया में 206 स्वीकृत पदों में से 66 खाली हैं और 140 की तैनाती है।एम्स में ओपीडी के लिए लोगों की लगी भीड़।ये हैं हालातहालात यह है कि सिद्धार्थनगर जिला अस्पताल में सिर्फ 14 डॉक्टर ही बचे हैं। देवरिया में सीएचसी रूद्रपुर में तैनात बेहोशी के डॉक्टर का तबादला होने के बाद आपरेशन नहीं हो पा रहा है।साथ ही एक्से भी नहीं हो पा रहा है। बस्ती में ​जिला अस्पताल का फिजिशियन विभाग स्थांतरण की वजह से बंद हो गया है।महराजगंज में दो डॉक्टरों के भरोसे महिला अस्पताल चल रहा है। इस संबंध में सीएमओ डॉ आशुतोष दूबे ने बताया कि डॉक्टरों की कमी की जानकारी है। शासन को भी जानकारी दी गई है। कुछ विशेषज्ञ डॉक्टर जल्द मिल जाएंगे। इसके बाद कुछ हद तक कमी दूर होगी। मरीजों का इलाज प्राथमिकता में है।

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