केक काट कर किया जन्मदिन सेलिब्रेट, देश की पहली डीलक्स ट्रेन में पहले सिर्फ अंग्रेजों को थी बैठने की अनुमति | Indian Railways Deccan Queen Interesting Facts | Deccan Queen Hory, Deccan Queen Aaj Ka Itihas
पुणे: महिलाओं ने पुणे रेलवे स्टेशन पर केक काट कर इस ट्रेन का बर्थडे सेलिब्रेट किया है।1 जून, 1930 को अंग्रेजों के लिए शुरू की गई देश की पहली डीलक्स ट्रेन ‘डेक्कन क्वीन’ आज 93 साल की हो गई है। इसे सबसे पहले अंग्रेजों के लिए पुणे से मुंबई के बीच शुरू किया गया था। आज भी यह ट्रेन इन दोनों शहरों के बीच ही चलती है। ट्रेन को मुंबई से रवाना करने से पहले केक काटकर इसका जन्मदिन मनाया गया।इसे खूबसूरत ढंग से सजाया गया था और शिवसेना नेता नीलम गोर्हे ने इसे हरी झंडी दिखा कर पुणे से रवाना किया। इस कार्यक्रम में रेल मंडल की DRM रेनू शर्मा , मिस इंडिया नेहा हिंगे , रेल PRO मनोज झंवर , प्रवासी मंच की हर्षा शाह समेत अन्य मान्यवर उपस्थित थे।सेंट्रल रेलवे की अग्रदूत ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (जीआईपीआर) द्वारा जून 1930 में शुरू की गई यह भारत की पहली लग्जरी ट्रेन थी। लोकल लैंग्वेज में इसे ‘दक्खन की रानी’ भी कहा जाता है। सात डिब्बों के साथ शुरू हुई इस ट्रेन के सभी डिब्बे सिल्वर और शाही नीले रंग के थे, जिनके बीच में एक सुनहरे रंग की लाइन थी।जन्मदिन के मौके पर ट्रेन को फूलों से सजाया गया था।देश की पहली ट्रेन जिसमें था डाइनिंग हॉलयह देश की पहली ट्रेन थी जिसे इलेक्ट्रिक इंजन खींचता था। इसका वास्तविक मॉडल इंग्लैंड में बना था, जबकि बोगियां मुंबई के मोटुंगा वर्कशॉप में बनी थीं। डेक्कन क्वीन में महिलाओं के लिए पहली बार स्पेशल कोच जोड़ा गया था। यह पहली ट्रेन है जिसमें यात्रियों के लिए अलग से डाइनिंग हॉल बनाया गया था।सवा तीन घंटे में पूरा करती है पुणे-मुंबई की यात्राडेक्कन क्वीन, पुणे रेलवे स्टेशन से सुबह 07:15 बजे रवाना होती है और सवा तीन घंटे बाद सुबह 10:30 बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर पहुंचती है। यह छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से फिर यह ट्रेन शाम 05:10 बजे रवाना होती है और रात 08:25 पुणे रेलवे स्टेशन पर पहुंचती है। डेली चलने वाली इस ट्रेन में हर दिन पुणे और मुंबई के हजारों लोग यात्रा करते हैं। इंटरनेशनल सर्विसेज लिमिटेड भी ‘डेक्कन क्वीन’ की मैनेजमेंट प्रणाली का मूल्यांकन कर चुका है। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की ओर से जॉइंट रूप से इसे नवंबर 2003 में आईएसओ 9001-2001 से पुरस्कृत किया गया था।शिवसेना नेता नीलम गोर्हे ट्रेन को रवाना करने पुणे रेलवे स्टेशन पहुंची थीं।ऐसे मिली इंडियन्स को एंट्रीशुरू में इसे सप्ताह में एक दिन स्पेशल ट्रेन के रूप में सिर्फ अंग्रेजों के लिए चलाया जाता था। एक दशक तक इसी तरह चलने के कारण पैसेंजर्स की संख्या घटने लगी, जिसके बाद साल 1943 में इंडियन्स को भी इसमें ट्रैवल करने की मंजूरी मिल गई।इसे पति स्पेशल ट्रेन भी कहा जाता हैइसके बाद यात्रियों की संख्या बढ़ी और फिर इसका संचालन डेली होने लगा। एक सर्वे के मुताबिक, डेली 5 हजार से ज्यादा यात्री पुणे से मुंबई ट्रेवल करते हैं। डेक्कन क्वीन को ‘पति विशेष’ ट्रेन भी कहा जाता है। मुंबई में काम करने वाले पुरुष वीकेंड पर अपने परिवार से मिलने पुणे इसी ट्रेन से जाते थे।इसमें यात्रा करने वाली महिलाओं ने केक काट कर इसका जन्मदिन सेलिब्रेट किया।अब 17 डिब्बों के साथ चलती है यह ट्रेनवर्तमान मे डेक्कन क्वीन 17 डिब्बों के साथ चलाई जा रही है, जिनमे 1 विस्टाडोम कोच, 4 AC चेयर कार, एक डाइनिंग कोच, सेकंड क्लास की 9 चेयर कार और दो द्वितीय श्रेणी एवं ब्रेक वैन शामिल है।
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