भोपाल: राजधानी से सटे ग्रामीण इलाकों में हुई 357 महिलाओं की जांच।हीमोग्लोबिनोमीटर से कुछ सेकंड में जांच पूरी और रिपोर्ट भी तुरंत हीराजधानी से सटे ग्रामीण इलाकों की 50 प्रतिशत से ज्यादा गर्भवती महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग की एक जांच में हुआ है। ये जांच स्ट्रिप आधारित हीमोग्लोबिनोमीटर से की गई। स्वास्थ्य अमले ने शहरी और ग्रामीण इलाके के 72 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर 357 गर्भवती महिलाओं के सैंपल लेकर जांच की। जांच में जो आंकड़े आए हैं, वह चिंताजनक हैं।अधिकांश महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर 9 से 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर निकला। जबकि, 180 महिलाएं ऐसी हैं जिनका हीमोग्लोबिन स्तर 7 से 10 ग्राम प्रति डेसीलीटर है। ऐसे में इन गर्भवती महिलाओं को एनीमिया ग्रसित माना गया है।राहत की बात यह है कि कोई महिला गंभीर रूप से एनीमिया ग्रसित नहीं मिली है। इसका मतलब ये है कि किसी भी महिला का हीमोग्लोबिन 7 ग्राम प्रति डेसीलीटर से कम नहीं है। जबकि कई बार गर्भवती महिलाओं का हीमोग्लोबिन घटकर तीन-चार के स्तर तक भी पहुंच जाता है।महिलाओं में 12 से 15.5 होना चाहिए स्तरमहिलाओं में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर 12 से 15.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर के बीच होना चाहिए। इससे कम होने पर महिला को एनीमिया ग्रसित माना जाता है। हीमोग्लोबिन कम होने पर सिरदर्द, सीने में दर्द हो सकता है। थकान और कमजोरी महसूस होती है। शरीर में खून की कमी होने से गठिया, कैंसर और किडनी से संबंधित बीमारियों का खतरा भी बना रहता है।211 हीमोग्लोबिनोमीटर दिए गए हैं एएनएम कोस्वास्थ्य विभाग की ओर से इन महिलाओं को जांच के तत्काल बाद आयरन की गोलियां उपलब्ध कराई गई हैं। जिन महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर 9 से 11 के बीच है, उनको सुबह-शाम एक-एक गोली खानी है, जबकि जिनका स्तर 11 से 13 के बीच है, उनको दिन में एक गोली लेनी है।ये खुराक तब तक लेनी होगी जब तक महिलाएं बच्चे को स्तनपान कराएंगी। हफ्तेभर पहले एनएचएम को 211 हीमोग्लोबिनोमीटर मिले थे। हर उप स्वास्थ्य केंद्र को दो-दो दिए गए थे। इसके साथ ही एएनएम को प्रशिक्षित भी किया गया था।इसके बाद पहली बार मंगलवार को इनका उपयोग किया गया। इसका फायदा यह है कि जांच चंद सेकंड में हो जाती है और मरीज को तत्काल सामने रिजल्ट दिखता है। ऐसे में मरीज भरोसा करने के साथ ही दवाओं का सेवन गंभीरता से करता है।जिन महिलाओं का हीमोग्लोबिन स्तर 9 से कम रहा, उन्हें आयरन सुक्रोज लगाया गया है। अब हर मंगलवार और शुक्रवार को आंगनवाड़ी के स्तर पर ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस पर इस हीमोग्लोबिनोमीटर से जांच कर एनीमिक महिलाओं और बच्चों की पहचान करेंगे। जरूरत होने पर जरूरी उपचार दिया जाएगा।डॉ. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ, भोपाल
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