नई दिल्ली । यूक्रेन संकट के बीच गेहूं की सप्लाई में कमी और भारत द्वारा निर्यात बंद किए जाने के बाद यूरोप में खाद्यान्न को लेकर खलबली मची हुई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष चीफ ने भी अब भारत से विनती की है कि जल्द से जल्द गेहूं के निर्यात बैन पर विचार किया जाए और इसे हटा लिया जाए। स्विट्डरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के दौरान उन्होंने कहा कि अगर भारत बैन नहीं हटाएगा तो कई दूसरे देश भी ऐसा करने लगेंगे और फिर खाद्य संकट से निपटना मुश्किल हो जाएगा। चीफ ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा, ‘मुझे पता है कि भारत को 135 करोड़ लोगों का पेट भरना है। इस बार भीषण गर्मी और लू की वजह से गेहूं की पैदावार भी कम हुई है। फिर भी मैं विनती करती हूं कि भारत अपने फैसले पर फिर से विचार करे और निर्यात पर लगाए प्रतिबंधों को हटा ले। अगर और भी देश ऐसा करने लगेंगे तो हमारे पास इस समस्या से निपटना मुश्किल हो जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की महानिदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने दुनिया के मंदी की तरफ बढ़ने को लेकर जताई जा रही आशंकाओं पर सोमवार को कहा कि फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है लेकिन यह पूरी तरह परिदृश्य से बाहर भी नहीं है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे मे आयोजित एक चर्चा में हिस्सा लेते हुए आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि यह एक ‘मुश्किल साल’ होने वाला है और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से खाद्य उत्पादों की कीमतों का बढ़ना एक बड़ी समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘जहां तक वैश्विक परिदृश्य का सवाल है तो उसकी स्थिति काफी कुछ दावोस के मौसम जैसी ही है जहां क्षितिज पर अंधेरा छाया हुआ है।’ इसके साथ ही उन्होंने बढ़ती ब्याज दरों, मुद्रास्फीति, डॉलर के मजबूत होने, चीन में सुस्ती, जलवायु संकट और क्रिप्टोकरेंसी की बिगड़ी हुई स्थिति का भी जिक्र किया।
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