मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद करना और बिना किसी स्वार्थ के किसी के काम आना सबसे बड़ा पुण्य का काम है. बिना बदले की भावना और बिना अपेक्षा के किसी के लिए कुछ अच्छा करना ही जीवन में सुख का मूल है और धर्म भी हमें यही सिखाता है. लेकिन ये भावना मन में आना या दूसरों पर उपकार करना सभी के बस की बात नहीं होती और सुख चाहने वाले लोगों की कमी भी संसार में नहीं है. ऐसे लोगो को खोजना आसान नहीं होता है. लेकिन ऐसा बनना बहुत आसान है.
रहिमन पर उपकार के करत न यारी बीचमांस दियो शिवि भूप ने दीन्हों हाड़ दधीच ।
किसी की मदद से मिल सकती है दोषों से मुक्ति
किसी को खुश करके ना सिर्फ सुख पाया जा सकता है, बल्कि ऐसा करने से कुंडली के ग्रह दोषों को भी दूर किया जा सकता है. जैसे कि राजा शिवि ने कबूतर के प्राण की रक्षा के लिए अपने शरीर का मांस और दधीचि ऋषि ने अपनी हड्ड़िया दान दी थी. यदि आपके व्यवहार में सहजता है तो ये ग्रहीय दोषों का समाधान कर सकता है. वह सहज समाधान भूखे को दो रोटी देकर या गरीब जरूरतमंद को दवाईया या आहार देकर, गायों की सेवा कर, पशु-पक्षी-प्रकृति की देखभाल करके भी किया जा सकता है.
ये उपाय ग्रह से संबंधित दोषों से मुक्त करने में कारगर उपाय बन सकता है. सचमुच जिस व्यक्ति को जिस चीज की आवश्यकता हो, उसे वह उपलब्ध कराकर भी सेवा का सुख पाया जा सकता है.
इन वस्तुओं का करें दान
यदि किसी की कुंडली में बुध खराब स्थिति में हों और गोचर में बुध की दशा चल रही हो, तो उसे जरूरतमंद व्यक्ति को हरी सब्जी का दान करने से बुध ग्रह की शांति संभव है. इसी प्रकार यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा खराब होकर गोचर में भ्रमण करें, तो उसे चावल या दूध दही का दान करना चाहिए.
इन ग्रहों के लिए ये करें
इसी तरह सूर्य के लए गेंहू, गुरू के लिए पीली दाल या वस्त्र, शनि के लिए दवाईयां और शुक्र के लिए खाद्य पदार्थ किसी को खिलाकर अपने ग्रह की स्थिति को सुधारा जा सकता है. इस प्रकार सहजता से की गई सेवा द्वारा किसी को प्रसन्न कर ग्रहीय दोषों को दूर करना संभव है.
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