लुधियाना में कतारों में लग कर चिट्टा खरीदते युवा।पंजाब के लुधियाना शहर में नशे की खुली बिक्री हो रही है। एक वीडियो सामने आया है, जिसमें चीमा चौक के नजदीक नशा खरीदने के लिए युवकों की कतार लगी हुई है। तस्कर खुलेआम युवकों को नशा बेच रहा है और यह सब पुलिस की नाक नीचे हो रहा है, क्योंकि जिस जगह यह नशा मंडी लगी है, वहां से कुछ दूरी पर थाना मोती नगर है और एंटी नारकोटिक्स सेल है। बताया जा रहा है कि युवक छत्तों पर खड़े होकर नशा बांट कालोनी की छोटी गलियों में भाग जाते है।पुलिस की नाक नीचे इस तरह खुलेआम नशा बिकना पुलिस प्रशासन पर बड़ा सवाल है। पंजाब में आम आदमी पार्टी नशा खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्य नहीं हो रहा। कतारों में लग कर चिट्टा खरीदना-बेचना पुलिस प्रशासन की लापरवाही और मिलीभगत को साबित कर रहा है। वीडियो पुलिस कमिश्नर कौस्तुभ शर्मा तक पहुंच चुकी है।युवकों को कतार में खड़ा कर नशा बांट रहा तस्कर।विधायक के हलके में ही हो रही तस्करीचिट्टा कहीं और नहीं, बल्कि हलका सेंट्रल के विधायक अशोक पराशर पप्पी के निवार्चन क्षेत्र में बिक रहा है। चुनाव से पहले नशा खत्म करने के बड़े-बड़े दावे करने वाले विधायक आए दिन सिविल अस्पताल या निगम पार्किंग में चक्कर लगाते रहते थे और लाइव हो जाते थे, लेकिन अभी तक विधायक को अपने ही निवार्चन क्षेत्र में लाइनों में लगकर चिट्टा बिकने की सूचना नहीं है।बताया जा रहा है कि चिट्टा की तस्करी करने वाले लोगों के सिर पर राजनीतिक आकाओं का हाथ है, जिस कारण पुलिस भी इन पर हाथ डालने से कतराती है। चिट्टा चीमा चौक नजदीक बिजली घर के सामने सड़क पार दिन दहाड़े बिक रहा है। लोग बताते हैं कि कई युवक अपने घरों से सामान तक चोरी करके इन तस्करों को देते हैं, जिसकी एवज में युवाओं को चिट्टा मिल जाता है।युवाओं को नशा बांटता तस्कर।विधायक ने कहा था- जमीन में गाड़ दूंगाबता दें कि जिस कालोनी में नशा तस्करी की वीडियो वायरल हुई है, इस जगह पर हलका विधायक करीब एक महीना पहले चक्कर लगाकर गए थे। विधायक के साथ एसएचओ मोती नगर भी थे। विधायक ने पुलिस की मौजूदगी में इलाके में नशा बेचने वालों को चेतावनी दी थी कि यदि कोई इलाके में नशा बेचेगा तो वह उसे जमीन में गाड़ देगे।बताया जा रहा है कि विधायक पराशर के जाने के बाद अगले दिन से ही चिट्टा खुलकर बिकने लगा और युवा लाइनों में लग कर चिट्टा खरीदने लगे। अब सवाल यह पैदा होता कि विधायक की कही बातें क्या इशारा कर गई कि जो उनके जाने के बाद अगले दिन से ही चिट्टा इतना खुल कर इस इलाके में बिकने लगा। लोग लाइनों में लगकर खरीदने लगे।बता दें कि विधायक अशोक पराशर ने चुनाव से पहले चिट्टा बिकने के आरोप पूर्व विधायक लगाए थे, लेकिन आप सरकार बने 2 महीने से अधिक हो चुके हैं और अभी भी हलका सेंट्रल में खुलकर चिट्टा बिक रहा है। सूत्र बताते हैं कि पुलिस छापामारी करने की जगह संदिग्ध लोगों के घरों में जाती है और हंसते खेलते उन लोगों के घरों से बाहर निकल कर हाथ मिलाकर चली जाती है।कई बार इलाके में हो चुका विवादलोगों के मुताबिक, जिस जगह चिट्टा बिक रहा है, वहां कई बार फैक्ट्री मालिकों से नशा तस्करों की लड़ाइयां भी हो चुकी हैं। यदि कोई इन नशा तस्करों का विरोध करता है तो तस्कर उस पर जानलेवा हमला भी कर देते हैं। कई बार उनके कर्मचारियों से लूटपाट हो चुकी है। फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि यदि पुलिस ने कोई सख्त कार्रवाई न की तो उन्हें अपनी फैक्ट्रियां बंद करनी पड़ेंगी।हाईवे के कारण तस्करों की पहुंच में कॉलोनीलोग बताते कि राष्ट्रीय राजमार्ग नजदीक होने के कारण नशा तस्कर आसानी से कॉलोनी तक नशा पहुंचाते हैं और फिर इसे आगे सप्लाई किया जाता है। यहां पर महिलाएं घर पर ही कई युवकों को नशे की डोज देती हैं। 500 से 700 रुपए में चिट्टे की एक पुड़िया आसानी से मिल जाती है। सूत्र बताते है कि रात के समय तस्कर आते हैं और चिट्टे की डिलिवरी देकर निकल जाते है।सरकार के लिए बड़ा चैलेंज नशा खत्म करनानशाखोरी ऐसा अजगर है, जो कई युवाओं को निगलते हुए कैप्टन की कुर्सी को भी निगल गया। नशाखोरी और ड्रग्स माफिया को खत्म करना AAP के सामने एक बड़ा चैलेंज है। नशे की गिरफ्त में फंसे लोग एक दिन में ड्रग्स पर करीब 17 करोड़ रुपए खर्च करते हैं, यानी एक महीने में करीब 6500 करोड़ रुपए ड्रग्स पर लुटा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब में नशे के व्यापार का आकार कितना बड़ा होगा।80 में से 30 फीसदी हो रहे नशामुक्तएक अधिकारी के मुताबिक, पंजाब में ड्रग्स के आदी लोगों में से 76 फीसदी 18 से 35 की उम्र के हैं। ड्रग्स का सेवन करने वाले 89 फीसदी पढ़े लिखे हैं। 83 फीसदी नशे के साथ-साथ नौकरियां भी कर रहे हैं। नशा करने वालों की 56 फीसदी तादाद गांव से संबंध रखती है। हेरोइन और चिट्टे के अलावा जो अफीम और फार्मास्यूटिकल ऑपियॉइड का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका प्रतिदिन औसतन खर्च 300 रुपए के करीब है। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि 80% से अधिक ड्रग्स छोड़ने का प्रयास करते हैं, लेकिन वास्तव में लगभग 30% लोग ही सहायता या उपचार प्राप्त कर पाते हैं।क्या कहना पुलिस कमिश्नर काइस मामले में पुलिस कमिश्नर कौस्तुभ शर्मा ने कहा कि मामला बेहद गंभीर है। आज ही टीमों का गठन करके छापामारी करवाते हैं। लुधियाना में ड्रग्स तस्करों को दबोचा जा रहा है। लोगों से अपील है कि जहां कही भी नशा तस्करी हो, तुरंत पुलिस को सूचित करें।

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