वाराणसी: निर्जला एकादशी पर शिवभक्तों ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। इसके पहले भक्तों की टोली राजेंद्र प्रसाद घाट पर इकट्ठा हुई थी।निर्जला एकादशी पर वाराणसी में जगत के नाथ बाबा विश्वनाथ को 1008 कलश से जल अर्पित किया गया। श्री काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति द्वारा यह परंपरा 24 वर्ष पहले वर्ष 1998 में शुरू की गई थी। इसी क्रम में शुक्रवार को काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के भक्त उनके धाम के लिए राजेंद्र प्रसाद घाट से गंगाजल लेकर हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए निकले। बाबा विश्वनाथ के धाम पहुंच कर भक्तों ने उनका जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया। इस दौरान शिव भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था।तस्वीरों में देखें भोलेनाथ के भक्तों का उत्साह…श्री काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के संरक्षक निधिदेव अग्रवाल ने बताया कि जगद्गुरु शंकराचार्य की प्रेरणा से जल के प्रिय देवता भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए राजेंद्र प्रसाद घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर तक कलश यात्रा निकालने का यह 24वां वर्ष है।श्रीकाशी विश्वनाथ धाम स्थित बाबा के मंदिर के शिखर से लेकर चौखट तक का पूरा हिस्सा स्वर्णमयी हो गया है। बाबा के मंदिर के गर्भगृह और बाहर की दीवारों को स्वर्ण मंडित करने के लिए दक्षिण भारत के एक दानदाता ने 60 किलो सोना दान किया था।श्री काशी विश्वनाथ वार्षिक कलश यात्रा अब एक बड़े मेले का रूप ले चुकी है। अब तक भारत की सभी पवित्र नदियों, मॉरीशस के शिव सरोवर, नेपाल की बागमती नदी और चित्रकूट के पवित्र कूप के जल से बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया जा चुका है।श्री काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति द्वारा आयोजित कलश यात्रा में शामिल होने वाले लोग बेहद ही शालीनता से बाबा धाम तक आते और जाते हैं। आयोजकों द्वारा सभी से अपील की जाती है कि वो यथासंभव सफेद कपड़े पहन कर ही कलश यात्रा में शामिल हों।कलश यात्रा में कई तरह की झांकियां भी शामिल रहती हैं। रास्ते में मिलने वाले लोग कलश यात्रा में शामिल लोगों को देख कर हर-हर महादेव का उद्घोष करते चलते हैं।कलश यात्रा के आयोजन में श्री काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के अध्यक्ष पवन चौधरी, संरक्षक निधिदेव अग्रवाल, सुप्रभातम् के संरक्षक उमाशंकर अग्रवाल, केशव जालान, मुकुंद लाल टंडन, गोपाल गोयल और सुब्रमण्यम् जी. की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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