रायपुर: पत्थलगांव से कुनकुरी जाने वाले नाशनल हाईवे 43 की है, वर्षो से इस सड़क पर सिर्फ जुबानी जमा खर्च , काम कुछ भी नहीं।ये सफर है बारिश के समय हमारे नेशनल हाईवे को जानने का। सफर की शुरुआत हुई रायपुर से। रायपुर से बिलासपुर तक शानदार सफर। बिलासपुर से जांजगीर तक ठीकठाक और जांजगीर से रायगढ़ तक भी अच्छी सड़क, लेकिन जैसे ही रायगढ़ से कुनकुरी की तरफ बढ़े, ड्राइवर हर कदम में भगवान को याद करने लगा, अपनी गाड़ी की हालत देखकर रोने लगा। इतने बड़े-बड़े गड्ढे कि टायर आधा घुस जा रहा था, सड़क तो समझ ही नहीं आ रही थी। ओवरटेक का तो सोच भी नहीं सकते। हर दो किलोमीटर में एक-दो खराब ट्रक और गाड़ियां दिख रही थीं।शुक्रवार की सुबह 9 बजे बरसते पानी में रायगढ़ के ढिमरापुर चौक पर गाड़ी रोककर वहीं के निवासी संजय अग्रवाल से कांसाबेल जाने का रास्ता पूछा। उन्होंने कहा- ‘बारिश में कार से जाना ठीक नहीं, क्योंकि 140 किमी का सफर तय करने में गाड़ी की जान निकल जाएगी।’सबके 6 स्कूल ड्रेस क्योंकि रोज एक कीचड़ से लथपथबहरहाल, हमें आगे जाना था, सो निकल चले। लेकिन थोड़ी ही देर में उनकी बातें याद आने लगी। रायगढ़ से लगी उर्दना रोड का हाल देखकर सिर्फ यही कहा जा सकता है कि ये कोई रास्ता है, नेशनल हाईवे नहीं (अब स्टेट हाईवे)। गाड़ी में गाना चल रहा था, बाबू जी धीरे चलना..हम लोग रोड को देखकर इस गाने का मतलब समझ रहे थे। यही कुछ स्कूल के बच्चे जा रहे थे।सीता, बबीता, महिमा, दामिनी..इन बच्चों ने बताया कि हमें घर पर छह जोड़ी स्कूल ड्रेस रखना पड़ता है, क्योंकि बारिश में ऐसा कभी नहीं होता, जब हम कपड़ों में कीचड़ लेकर घर न जाएं और मौसम के कारण कपड़े जल्दी सूखते भी नहीं। यानी हर दिन के लिए एक ड्रेस।रास्ते में सिर्फ गिट्टी, बड़े बड़े गड्ढों में पानी ही पानीआगे बढ़े…पूंजीपत्रा जाने का बोर्ड दिखा। सुबह के साढ़े दस बज रहे थे। आगे हमें सिर्फ गिट्टी दिख रही थी। बड़े-बड़े गड्ढों में पानी भरा हुआ था। इतने बड़े गड्ढे कि आधा चक्का घुस जा रहा था और निकलने में फर्स्ट गियर ही लगाना पड़ रहा था। ट्रकों की लाइन लगी हुई थी लेकिन दिख नहीं रहा था। हम लोग इंतजार कर रहे थे कि कहीं तो सर्विस रोड मिल जाए, तो रोड छोड़कर सर्विस रोड ही पकड़ लें। गेरवानी में सरपंच चमेली सिदार मिले। उन्होंने बताया कि ये सड़क हमारी आधी जान ले चुकी है। कलेक्टर को लिख-लिखकर थक गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। गर्मी में धूल ही धूल और बारिश में गड्ढे ही गड्ढे।ए रास्ता म जाबो, त गाड़ी के बारह बज जही…प्रकाश बार-बार बोल रहा था- ‘भईया.. ए रास्ता म जाबो, त गाड़ी के बारह बज जही।’ सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ों पर कोयले की परत दिख थी। पूंजीपत्रा थाने के बाद दस चक्के की एक ट्रक फंसी दिखी। पूछा कि बीच में गाड़ी क्यों लगाई…तो बताया कि भैया, गाड़ी बंद हो गई है, मैकेनिक को बुलाया है। ये सुनकर प्रकाश और परेशान हुआ। थोड़ा आगे सड़क मिली तो करीब 2 घंटे बाद गाड़ी 50 की स्पीड में आई। नहीं तो 10-15 की स्पीड में ही चल रहे थे।यहां रोज 70 हजार गाड़ियों का आना-जानाखदान वाली जगहजहां जहां खदानें हैं, वहां सड़कों का यही हाल है। रायगढ़, कोरबा, बालोद, बस्तर, दंतेवाड़ा जैसे जिलों में खदानें हैं। इन स्थानों पर ओवरलोडिंग की बड़ी समस्या है।मेंटेनेंस के लिए बजटबारिश के दौरान स्टेट हाईवेके लिए बजट तय होता है, जिसके जरिए मेंटेनेंस का काम चलता रहता है। ऐसा अफसरों का दावा है। लेकिन यहां मेंटेनेंस नहीं दिख रहा है।छोटी-बड़ी गाड़ियांरोजाना इस रूट से छोटी-बड़ी मिलाकर 70 से 80 हजार गाड़ियां निकलती हैं। कई स्थानों पर तो दूर दूर तक मैकेनिक नहीं। कई जगह खराब गाड़ियां दिख जाएंगी।56 किमी के लिए 91 करोड़पीडब्ल्यूडी रायगढ़ से धरमजयगढ़ के बीच 56 किलोमीटर पर काम कर रहा है। तकरीबन 91 करोड़ का यह प्रोजेक्ट है। काम का टेंडर लिए 7 महीने हो चुका है, लेकिन यहां का रास्ता अभी भी कठिन है।प्रदेश में 20 नेशनल हाईवेप्रदेश में 20 नेशनल हाईवे हैं, जिनमें से पांच नेशनल हाईवे की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। एनएचएआई लगातार इनके सुधार के लिए काम कर रहा है, लेकिन पत्थलगांव की तरफ कुछ नहीं दिख रहा।ओवरलोडिंग बड़ा कारणअफसरों के अनुसार यहां भारी वाहनों के कारण काम नहीं हो पाता। सड़कें ठीक ही नहीं हो पाती। कुडु़मकेला से जामपाली तक करीब 25 किलोमीटर तक का बड़ा हिस्सा कीचड़ और गड्ढों से पटा है।
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6930600cookie-checkपत्थलगांव नेशनल हाईवे का बुरा हाल कदम-कदम पर गड्ढे इस पर सुरक्षित यात्रा की कोई गारंटी नहीं
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