Baba Amte Biography in Hindi बाबा आमटे का पूरा नाम डॉ॰ मुरलीधर देवीदास आमटे था। वे देश के प्रख्यात और सम्माननीय समाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने आनंदवन की स्थापना कर कुष्ट रोगियों को नये जीवन और नये संघर्ष के लिए रास्ता दिया। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने वन्य जीव संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक बनाने के लिए नई तरह के क्रियाकलाप आरंभ किया। नर्मदा को भी प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए भी इन्होंने आंदोलन चलाया। एक तरह से इन्होंने अपना पूरा जीवन लोक कल्याण में लगा दिया।
बाबा आमटे का जीवन परिचय ( Baba Amte Biography in Hindi )
बाबा आमटे का प्रारंभिक जीवन (Baba Amte Initial Life)
बाबा आमटे का जन्म वर्धा के लेखपाल और जमींदार देवीपाल के घर 26 दिसंबर 1914 को हुआ था। विरासत में मिली जमींदारी के कारण बचपन बहुत ही आराम से बीता। बचपन में किसी राजकुमार की तरह रेशमी कुर्ता और चमकदार जूते पहनते थे। जिन लोगों ने बाबा को बाद में देखा होगा उनके लिए उनके बचपन का अनुमान लगाना निश्चित तौर पर कठिन होगा।
बाबा ने अपनी आरंभिक स्कूली शिक्षा नागपुर के मिशन स्कूल में पूरा की उसके बाद नागपुर विश्विद्यालय से कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने कई अन्य विषयों को भी पढ़ा और फिर स्थानीय तौर पर वकालत का कार्य प्रारंभ किया। गाँवो का दौरा करने के बाद बाबा आमटे ने पाया कि भारतीय गांव सचमुच ही खस्ताहाल हालत में है। भारत उस समय गांधी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा था और आजादी का संघर्ष जोरों पर था, उसी समय बाबा आमटे ने अपने मित्र राजगुरू का साथ छोड़ दिया और गाँधी जी के साथ अहिंसा के रास्ते पर चलना शुरू कर दिया। उन्होंने गाँवो में जाकर किसानों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं के लिए आवाज उठाना शुरू किया। बाद में जाकर विनोबा भावे से प्रभावित होकर उन्होंने जगह-जगह भूमि सुधार आन्दोलन भी प्रारंभ किया।
बाबा आमटे कार्यक्षेत्र
उन दिनों जब कुष्ट रोग एक समाजिक कलंक हुआ करता था। लोग इस रोग से ग्रस्त लोगों को समाजिक रूप से बहिष्कृत कर देते थे। इस तरह के मिथ्या अफवाह से लड़ने के लिए के बाबा आमटे आगे आए एवं जीवनभर कुष्ठरोगियों, जनजातियों एवं किसानों के साथ कार्य करते हुए वर्तमान उन्नयन के जनविरोधी स्वरूप को जाना और वैकल्पिक उन्नयन की जमीन तैयार की.
बाबा आमटे आनन्दवन (Aanandvan)
बाबा आमटे की जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी कुष्ट रोगों से पीड़ित अछुतों के लिए आश्रम का निर्माण, जिसे कि आनन्दवन के नाम से आज जाना जाता है। कम लागत से बने इस आश्रम में आज धन संपदा प्रचुर मात्रा में है। यहाँ सारी चीजों की पैदावार होती है। इसके अलावा बाबा आमटे ने यहीं से भारत जोड़ों आंदोलन की भी शुरुआत की थी।
बाबा आमटे साहित्यिक रचना (Literary Composition)
‘ज्वाला आणि फुले’ और ‘उज्ज्वल उद्यासाठी’ नामक दो काव्यसंग्रह बाबा आमटे ने लिखा। इन कविताओं में तत्कालीन संघर्ष की छवि देखने को मिल सकती है।
बाबा आमटे निधन (Baba Aamte Death)
बाबा आमटे का देहावसान 9 फरवरी 2008 को हुआ। वे उस समय 94 वर्ष के थे।
पुरस्कार और सम्मान (Baba Amte Awards)
वर्षपुरस्कार1971-भारत सरकार से पद्मश्री 1979जमनालाल बजाज सम्मान1980 नागपुर विश्वविद्यालय से डी-लिट उपाधि1983 अमेरिका का डेमियन डट्टन पुरस्कार 1985रेमन मैगसेसे (फिलीपीन) पुरस्कार मिला1985-86पूना विश्वविद्यालय से डी-लिट उपाधि1988घनश्यामदास बिड़ला अंतरराष्ट्रीय सम्मान1988संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ऑनर1990 टेम्पलटन पुरस्कार1991ग्लोबल 500 संयुक्त राष्ट्र सम्मान1992स्वीडन का राइट लाइवलीहुड सम्मान1999 गाँधी शांति पुरस्कार 2004 महाराष्ट्र भूषण सम्मान
अन्य पढ़े:
Comments are closed.