डूंगरपुर: सागवाड़ा ब्लॉक में राजकीय सेकेंडरी स्कूल फावटा में 9 कमरों में से 8 कमरे जर्जर हैं। इनमें बारिश के दिनों में प्लास्टर गिरता है।सरकार शिक्षा के नाम पर करोड़ों खर्च कर रही है। नए स्कूल खोलकर और क्रमोन्नत कर वाहवाही बटोर रही है, लेकिन हालत ऐसे हैं की सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हो गए हैं, जहां बच्चों को बैठाकर पढ़ाना किसी खतरे से खाली नहीं है। ये हाल सागवाड़ा ब्लॉक के फावटा सरकारी स्कूल के हैं। सरकार ने सेकेंडरी तक स्कूल को क्रमोन्नत करने के बाद से इस और ध्यान नहीं दिया। 10वीं तक के इस स्कूल में 9 कमरे हैं, जिनमें भी 8 कमरे जर्जर हालत में हैं। बारिश के दिनों में प्लास्टर गिरने से बच्चे और स्टाफ भयभीत रहते हैं।स्कूल हेड मास्टर रमेशचन्द्र यादव ने बताया कमरों के लिए विभाग से मांग की है। स्कूल में अभी 130 का रोल है और एडमिशन चालू हैं। स्कूल का भवन जर्जर हो गया है। स्कूल की छत से प्लास्टर उखड़ गया है। इसलिए बाहर निकल आए हैं। बारिश के दिनों में छतों का प्लास्टर टूटकर गिरता है। 6 कमरों के बरामदों और आने-जाने के रास्ते पर कांटेदार झाड़ियां डालकर बच्चों को रोकना पड़ रहा है। बाकी के 2 कमरों की हालत भी खराब है। सिर्फ 1 कमरे में स्कूल के सभी बच्चों को बैठाकर पढ़ाने की मजबूरी है। जर्जरहाल कमरे से शिक्षकों के साथ ही बच्चों और पैरेंट्स में भी हमेशा डर बना हुआ है।गांव के लोगों ने बताया की नए कमरों के लिए विधायक से लेकर प्रधान व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दर्जनों बार बताया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों ने बताया ग्राम पंचायत क्षेत्र के दर्जनों स्टूडेंट 8 किमी दूर ओबरी पढ़ने जाते हैं। अगर विभाग नए कमरों का निर्माण कराए तो बच्चों का रोल भी बढ़ेगा।
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6805600cookie-checkबारिश के दिनों में प्लास्टर गिरने से बच्चे और स्टाफ भयभीत
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