भगवान विश्वकर्मा के मंदिर प्रांगण नई दिल्ली में स्थापत्य वेद वास्तु शास्त्र पर भव्य वास्तु संगोष्ठी का आयोजन हुआ
भगवती सनातन परिवार के तत्वाधान में आचार्या साक्षी कसाना (वास्तु कंसलटेंट एवं वैदिक काउंसलर) एवं समस्त कसाना परिवार के द्वारा वास्तु शास्त्र के प्रथम शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा जी के मंदिर प्रांगण में वास्तु संगोष्ठी का अभूतपूर्व सफल आयोजन हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर आदरणीय आचार्य श्री डॉक्टर राजेश ओझा जी (ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ व पीठाधीश्वर – श्री सनातन धर्म मंदिर), आदरणीय शिव साधिका मां विश्वरूपा जी (धर्मगुरु व अध्यक्षा- भारत दर्पण फेडरेशन), आदरणीय संजय करोतिया जी (सोशल एक्टिविस्ट व पॉलीटिशियन – बीजेपी), एसडीएम मांगेराम चौहान जी (IAS ऑफर्स व पर्यावरण एक्टिविस्ट), शनी संजीव जी (लाल किताब विशेषज्ञ), डॉ त्रिशला सेठ जी (पर्यावरण वास्तु विशेषज्ञ), डॉ राजेश श्रीवास्तव जी (एनर्जी वास्तु विशेषज्ञ), डाॅ सुनिल आर्य (पंच गव्य विशेषज्ञ) आदि अन्य कई सारे विद्वान, विदुषियों ने देश के अलग-अलग राज्यों अहमदाबाद, मुंबई, राजस्थान, हरियाणा, जालंधर आदि शहरों आकर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और अपने अपने ज्ञान एवं अनुभव से सारगर्भित वक्तव्य के द्वारा सभी विद्वानों का मार्गदर्शन किया।
विशेष अतिथि के तौर पर आंखों देखी आज तक से कुंवर प्रदीप ठकुराल जी ने भी शिरकत की , और उन्हें मां भगवती सनातन परिवार की ओर से सम्मानित भी किया गया।
सोशल एक्टिविस्ट कृष्णा खटाना जी, आशा कुमारी जी (महिला मोर्चा अध्यक्ष बी जे पी),
मां पन्ना धाय ट्रस्ट की अध्यक्षा रेखा गुर्जर जी और उनकी टीम की अन्य सदस्या भी सम्मिलित हुई।
सभी विद्वानों ने वास्तु के विभिन्न मुख्य विषयों पर चर्चा की । और आज के समय में अपनी प्राचीन संस्कृति ज्ञान के स्थापत्य वेद, वास्तु शास्त्र का क्या महत्वपूर्ण योगदान है , और वास्तु शास्त्र के सूत्रों का आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में कैसे प्रयोग कर सकते हैं । वास्तु शास्त्र के महत्वपूर्ण विषयों पर्यावरण वास्तु, जियोपैथ वास्तु ब्रह्मस्थान, हेल्थ एंड वेल्थ और वास्तु दोष और समाधान आदि पर बहुत ही शानदार और सारगर्भित चर्चा हुई।
यह वास्तु संगोष्ठी अपने आप में अनूठी और प्रथम संगोष्ठी थी।
इस आयोजन में सहयोगी की भूमिका में डॉ कल्पना धीमान जी (सह संयोजिका विश्वकर्मा मंदिर), आचार्य नरेंद्र जांगिड़ जी (वास्तु एक्सपर्ट) की रही।
यह वास्तु संगोष्ठी निशुल्क और अपनी प्राचीन परंपरा ज्ञान चर्चा और “अतिथि देवो भव” के कांसेप्ट पर आधारित थी।
Comments are closed.