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भदोही में वन विभाग ने कराया मुक्त

मथुरा: हाथी अस्पताल पहुंचने पर संस्था के पदाधिकारियों ने रोजी का इस अंदाज में स्वागत कियाउत्तर प्रदेश के भदोही में वन विभाग द्वारा राज्य की सीमा पर अवैध रूप से ले जाई जा रही 39 वर्षीय भीख मांगने वाली हथनी “रोजी” को जब्त किया गया। हथनी के शरीर पर भारी, दर्दनाक नुकीली जंजीर थीं l वर्षों की उपेक्षा और पशु चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण उसको गंभीर बीमारियां है। रोजी को अवैध रूप से रखने वाले उसके मालिकों द्वारा तमाम कानूनी बाधाओं के बावजूद, उसे वाइल्डलाइफ एसओएस के मथुरा स्थित हाथी अस्पताल में लाया गया, जहाँ रोजी को विशेष चिकित्सा उपचार और पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है।रोजी हथिनी से मंगाई जाती थी भीखउत्तर प्रदेश वन विभाग ने इस महीने की शुरुआत में वन्य जीव संरक्षण संस्था वाइल्डलाइफ एसओएस से मिली खुफिया जानकारी के बाद भदोही में रोजी हथनी को जब्त किया । रोजी के मालिक बारातों और भीख मांगने के लिए अवैध रूप से उसका इस्तेमाल करते थे। जिसके कारण उसने अपना अधिकांश जीवन कष्टदायक दर्द में बिताया। उसके आगे और पीछे के पैरों के चारों ओर दर्दनाक नुकीली जंजीर भी बंधी हुई थी।रोजी के आगे और पीछे के पैरों के चारों ओर दर्दनाक नुकीली जंजीर भी बंधी हुई थीरोजी को वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी अस्पताल में लाने से रोकने के लिए उसके मालिकों ने तमाम बाधाएं उत्पन्न करने की कोशिश की। जिसकी वजह से उसे लाने में समय लगा। पिछले हफ्ते, अदालत से रोजी के पुनर्वास की अनुमति मिलते ही, वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सकों और हाथी देखभाल कर्मचारियों की एक टीम विशेष हाथी एम्बुलेंस के साथ भदोही, उत्तर प्रदेश पहुंची और उत्तर प्रदेश वन विभाग की सहायता से हथनी को सकुशल मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी अस्पताल ले आई।रोजी के पक्की सड़कों पर चलने के कारण पैरों में है चोटसंस्था के पशु चिकित्सकों द्वारा किये गए गहन चिकित्सा जांच से पता चला कि हथनी लगभग 39 साल की है और पक्की सड़कों एवं अन्य अनुपयुक्त सतहों पर चलने के परिणामस्वरूप उसके पैरों के तलवे और नाखून कटी -फटी हालत में है। इसके अतिरिक्त, उसके शरीर पर कई दर्दनाक फोड़े और चोटें भी हैं। यात्रा के दौरान रोजी को दर्द से तत्काल राहत प्रदान करने के लिए पशु चिकित्सकों की टीम अपने साथ चिकित्सा उपकरण भी लेकर गई थी।रोजी के शरीर पर कई दर्दनाक फोड़े और चोटें भी हैंरोजी का चिकित्सक कर रहे इलाजचुनौतियों के बावजूद, रोजी को आखिरकार कष्ट भरे जीवन से आजादी मिली और उसे वाइल्डलाइफ एसओएस की एक्सपर्ट देखरेख में लाया गया। रोजी को उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा स्थापित भारत के एकमात्र हाथी अस्पताल परिसर में विशेषज्ञों के हाथों लेजर थेरेपी, डिजिटल वायरलेस रेडियोलॉजी और थर्मल इमेजिंग जैसी विशेष चिकित्सा सुविधायें मिलेंगी।विशेषज्ञों के हाथों लेजर थेरेपी, डिजिटल वायरलेस रेडियोलॉजी और थर्मल इमेजिंग जैसी विशेष चिकित्सा सुविधायें मिलेंगीवाइल्डलाइफ एसओएस की पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डॉ इलिया राजा, ने बताया की वर्षों की उपेक्षा और दुर्व्यवहार ने रोज़ी के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है। उसके पैर बहुत खराब स्थिति में हैं और उसके शरीर पर कई चोटों के निशान भी हैं। उसके स्वास्थ्य की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने और उसे आवश्यक देखभाल प्रदान करने के लिए विस्तृत चिकित्सा जांच कर रहे हैं।भीख मांगने वाले हाथी का जीवन होता है दर्द से भराएसओएस संस्था के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स बैजूराज एम.वी ने बताया कि इस हथनी को संकट से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश वन विभाग के आभारी हैं। भीख मांगने वाले हाथी का जीवन दर्द से भरा होता है और वे गंभीर मानसिक तनाव से पीड़ित होते हैं जिसे ठीक होने में वर्षों लग जाते हैं। अब जब रोजी हाथी अस्पताल में सुरक्षित पहुंच गई है, तो हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उसे वह चिकित्सा उपचार और देखभाल मिले, जिसकी वह हकदार है।डीएफओ भदोही नीरज कुमार आर्य ने बताया कि रोजी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है। उसके बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण, यह निर्णय लिया गया कि हथनी को तत्काल हाथी अस्पताल में स्थनांतरित किया जाए।

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