रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े यूनियन बैंक घोटाले की जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। बैंक के आरोपी मुख्य खजांची किशन बघेल ने सात बैंक खाते किराये पर लिए थे। अपने घर के आसपास रहने वाले कई लोगों को ब्याज पर पैसे देकर अपने ही बैंक में उनके नाम से खाते खुलवाए थे। बैंक खाते खुलने के बाद सभी बैंक खातों का एटीएम, पासबुक और चेकबुक को अपने पास ही रखकर आपरेट करता था। इन्ही बैंक खातों में घोटाले के पैसों को जमा करता था और एटीएम कार्ड होने की वजह से बेखौफ पैसे निकालता था। पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी में कई स्थानों पर छापामार कार्रवाई कर चुकी है। दो करोड़ से ज्यादा पैसे का हेरफेर कर आरोपी फरार है। यह पूरा राजेन्द्र नगर थाना इलाके का है।
ये है पूरा मामला
राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र के यूनियन बैंक शाखा प्रियदर्शनी नगर में साढ़े पांच करोड़ रुपये से ज्यादा का फर्जीवाड़ा सामने आया है। फर्जीवाड़ा करने के बाद बैंक कैशियर फरार है। सिक्कों की एंट्री दिखाकर यह पूरा खेल किया गया। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। कैशियर बैंक का नियमित कर्मचारी है। उसके द्वारा सात खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए। जिसे पुलिस ने ब्लाक कर दिया है। लगभग कुछ साल से काम कर रहा था। पुलिस आरोपित की तलाश में जुट गई है।
बैंक मैनेजर सरोज कुमार टोप्पो ने सोमवार को थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई। उन्होंने पुलिस को बताया कि प्रियदर्शनी नगर शाखा का कैश बैंक के करेंसी चेस्ट में भेजा जा रहा था। कैश गिनती की गई तो पांच करोड़ 59 लाख 68 हजार 259 रुपये कम थे, जबकि रिकार्ड में सब कुछ सही था, लेकिन कैश कम था।
शिकायत से पहले हो गए थे फरार
कैश का हिसाब रखने वाला बैंक क्लर्क और कैशियर किशन बघेल 25 मार्च के बाद से फरार हैं। इसकी जानकारी बैंक प्रबंधन तक को नहीं थी। शक होने पर जब उनके नंबर पर फोन किया तो नंबर भी बंद था।
बैंक प्रबंधन ने एक माह पहले थाने में लिखित आवेदन दिया था। पुलिस ने जांच के बाद एफआइआर दर्ज की, इसकी भनक कैशियर को लगने के बाद वह मोबाइल फोन बंद कर फरार हो गया।
ऐसे किया करोड़ों का खेल
कैशियर ने बैंक में रोजाना यह दिखाया है कि 10 रुपये के लाखों रुपये के सिक्के जमा हुए हैं। लेकिन सिक्के जमा नहीं होते थे। कैशियर किशन बघेल सिक्के की एंट्री करवाकर पैसे निकाल लेता था। बैंक प्रबंधक की जांच रिपोर्ट में 24 मार्च 2022 को बैंक कैश बैलेंस 4.80 करोड़ था। दो दिन बाद बढ़कर 26 मार्च को 6.23 करोड़ हो गया। इसी तरह सिक्कों का बैलेंस 24 मार्च को 3.45 करोड़ था जो अगले दिन 5.61 करोड़ की एंट्री को गई। किशन फर्जी एंट्री कर कागजों में उसको दुरुस्त कर देता था। मार्च के महीने में केवल दो दिनों में सिक्कों की करोड़ों की एंट्री से उच्च अधिकारियों को शंका हुई। जांच में पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया।

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