सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे की अर्जी खारिज
विधानसभा सत्र शुरू होते ही अध्यक्ष का होगा चुनाव
अयोग्य नहीं ठहराये जा सकेंगे बागी विधायक
नई दिल्ली । महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नवीन सरकार का गठन हो गया है। शिंदे ने मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब महाराष्ट्र में शिवसेना पर कब्जे को लेकर शह और मात का नया खेल शुरू हो गया है। इस खेल में हर स्तर पर शिंदे गुट भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की अर्जी दाखिल कर विधानसभा सत्र को रोकने की मांग की थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है। इसके बाद महाराष्ट्र का राजनीतिक घटना चक्र और समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। 4 जुलाई को विधानसभा का सत्र आहूत किया गया है। इसमें विधानसभा के अध्यक्ष पद का चुनाव होगा। डिप्टी स्पीकर कार्रवाई का संचालन करेंगे। शिवसेना के जिन 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने का नोटिस पूर्व में डिप्टी स्पीकर ने जारी किया था। अब उस पर नए अध्यक्ष जो निश्चित रूप से भाजपा और शिंदे गुट की सहमति से निर्वाचित होंगे उन्हें निर्णय करना होगा। बागी विधायकों पर दल बदल कानून की जो तलवार लटक रही थी। नए अध्यक्ष के चुनाव के साथ बागी विधायकों को सुरक्षा प्राप्त होगी। वहीं शिवसेना पर भी शिंदे गुट का कब्जा आसन्न विधानसभा सत्र में हो जाएगा। शिवसेना के विधायक सचेतक का चुनाव कर शिवसेना पर कम से कम विधानसभा स्तर पर अपने आप को सुरक्षित कर लेंगे। ऐसा माना जा रहा है सरकार को सुरक्षित करते हुए अब यह मामला चुनाव आयोग के पाले में जाएगा। यहां पर असली और नकली शिवसेना के बारे में फैसला होगा।
महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना पर कब्जे को लेकर उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे के गुट में रस्साकशी का खेल शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बनने से शिवसेना के वर्तमान प्रमुख उद्धव ठाकरे काफी कमजोर हो गए हैं। इस लड़ाई में शिंदे गुट भारी पड़ता दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को अब सुनवाई होगी। इसके पूर्व भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे गुट कि सरकार को सुरक्षित करने के लिए अध्यक्ष पद के चुनाव और विधानसभा में सचेतक निश्चित कर सरकार को स्थिरता मिलेगी। उद्धव ठाकरे को अब कोई मौका नहीं मिलेगा। शिंदे गुट जल्द से जल्द विधानसभा में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है। भारतीय जनता पार्टी ने भी महाराष्ट्र की सरकार को स्थिरता देने के लिए और ठाकरे परिवार से शिवसेना को बाहर निकालने के लिए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना कर उद्धव ठाकरे को राजनीतिक भविष्य बचाना काफी मुश्किल बना दिया है। इस लड़ाई में संजय राउत को भी घेरने के लिए भाजपा ने कमर कसली है। राउत को निष्क्रिय करने के लिए ईडी अब उन्हें पूछताछ में उलझा कर महाराष्ट्र की इस लड़ाई से दूर करने की रणनीति शिंदे गुट के लिए मुफीद साबित हो रही है।
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