पठानकोट : गत दिवस अपने ही स्वास्थ्य मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर सुर्खियों में आई आप सरकार का पहला राजनीतिक इम्तिहान 23 जून को होने जा रहा है। 2 माह के दौरान कई अच्छे निर्णय लेने के बावजूद विपक्ष के निशाने पर चल रही मान सरकार की भ्रष्टाचार पर सॢजकल स्ट्राइक ने सभी विपक्षी दलों को सकते में डाल दिया है। निश्चित रूप से सरकार के लिए अब चुनावों में बात करने के लिए ऐसा एजैंडा मिल गया है कि जिसके सामने सारे एजैंडे गौन हो जाएंगे।
यदि राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक तिकड़मबाजी से आप सरकार को इस लोकसभा चुनाव में टक्कर देते हैं और हार-जीत का मार्जन कम रहता है तो निश्चित रूप से 2 माह बाद होने वाले कार्पोरेशन चुनावों में विपक्षी दल जोर-शोर से भाग ले पाएंगे। यदि यह चुनाव ‘आप’ एकतरफा करने में सफल होती है तो 2024 तक इस सरकार को कोई चुनौती नहीं होगी।इस मामले में कांग्रेस और अकाली दल ‘आप’ से काफी पीछे चल रहे हैं। कांग्रेस में अभी विधानसभा चुनावों को लेकर गुटबंदी चली आ रही है। वहीं प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया सहित अकाली दिग्गजों का हारना अकाली दल के 100 वर्ष के इतिहास में सबसे बुरा सपना साबित हो रहा है।
राज्यसभा में आम आदमी पार्टी ने जो 5 सदस्य भेजे हैं, उससे पंजाब की राजनीति में काफी खलबली मची रही, अब इसी माह 2 और सदस्य राज्यसभा में जाने हैंं। भगवंत मान सरकार की अब मजबूरी है कि संगरूर चुनाव के चलते दोनों ही राज्यसभा के सदस्य पंजाब के होने चाहिएं जो पंजाब, पंजाबियत और पंजाबी भाषा के साथ-साथ पंजाबी मुद्दों के जानकार या विशेषज्ञ हों। इसके साथ ही अगले एक माह के लिए जहां सरकारी गतिविधियां थम जाएंगी, वहीं राजनीतिक गतिविधियां बढ़ेंगी। अब संगरूर लोकसभा उप चुनाव सारे देश में आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है।
Comments are closed.