केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि नई पीढ़ी को 21वीं सदी के ज्ञान एवं कौशल से वंचित नहीं रखा जा सकता है, ऐसे में सरकार ‘‘पीएम श्री स्कूल’’ स्थापित करने की प्रक्रिया में है जो भविष्य के छात्र तैयार करने के उद्देश्य से पूरी तरह आधुनिक सुविधा से युक्त होगा। गुजरात के गांधीनगर में देशभर के शिक्षा मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्रधान ने यह बात कही।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सम्मेलन में कहा कि सभी भारतीय भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं. कोई भी भाषा हिंदी या अंग्रेजी से कम नहीं है। राष्ट्रीय एजुकेशन पॉलिसी का यही सबसे प्रमुख फीचर है। इस दौरान शिक्षा मंत्री ने नई शिक्षा नीति के तहत प्री-स्कूल से सेकेंडरी स्कूल तक 5+3+3+4 अप्रोच अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 21वी सदी के ग्लोबल सिटिजन तैयार करने के लिए टीचर्स ट्रेनिंग, एडल्ट एजुकेशन, स्कूली पढ़ाई में स्किल डेवलपमेंट को शामिल करने और मातृभाषा में पढ़ाई को तवज्जो देने की खासी भूमिका रहने वाली है।
प्रधान ने कहा कि जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तब ‘राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021’ ने पठन-पाठन के स्तर एवं सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने तथा शिक्षा की गुणवत्ता के मूल्यांकन को मजबूत बनाने में हमारे सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के गंभीर प्रयासों के प्रति विश्वास जगाया है। उन्होंने कहा कि जब हम 21वीं सदी के अवसरों एवं चुनौतियों के लिये तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में हमें शिक्षा एवं कौशल से जुड़ी व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना चाहिए।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम नयी पीढ़ी को 21वीं सदी के ज्ञान एवं कौशल से वंचित नहीं रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम ‘‘पीएम श्री स्कूल’’ स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं जो भविष्य के छात्र तैयार करने के लिये पूरी तरह से सुविधा युक्त होगा। यह अत्याधुनिक स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रयोगशाला होगा।
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