कानपुर: सिख विरोधी दंगा 1984 के दौरान हिंसा की तस्वीर। (फाइल फोटो)कानपुर सिख विरोधी दंगे में जघन्य हत्याकांड के आरोपियों को एसआईटी फांसी की सजा तक दिलाने का प्रयास करेगी। सिख दंगे की जांच कर रही एसआईटी प्रभारी की मानें तो जघन्य हत्याकांड के आरोपियों को आजीवन कारावास या फिर फांसी से कम की सजा नहीं मिलेगी। इसके लिए एसआईटी कोर्ट में पैरवी करेगी। इसके साथ ही मुकदमों का ट्रायल फास्ट ट्रैक कोर्ट में करने के लिए प्रयास किया जा रहा है। इससे कि जल्द से जल्द आरोपियों को सजा मिल सके।सिख दंगे की जांच कर रही एसआईटी के प्रभारी डीआईजी बालेंद्र भूषण और कोतवाली थाना परिसर में बना एसआईटी का थाना।38 साल बाद गिरफ्तारी, अब फांसी तक पहुंचाने की तैयारीसिख विरोधी दंगा 1984 की जांच कर रही एसआईटी प्रभारी डीआईजी बालेंद्र भूषण ने बताया कि महज ढाई साल में 11 जघन्य हत्याकांड व डकैती के मामलों को चार्जशीट तक पहुंचा दिया। इसके साथ ही 23 आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। सिख दंगे के 38 साल बाद इतनी बड़ी संख्या में गिरफ्तारी देश में सिर्फ कानपुर में हुई है। चार्जशीट हुए मामलों के आरोपियों ने सिखों को जिंदा फूंककर हत्या करने के साथ ही घरों में डाका डाला था। इन सभी हीनियस क्राइम में आजीवन कारावास से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है। सिख दंगे के आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए एसआईटी कोर्ट में तगड़ी पैरवी करेगी। इसके साथ ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमों का ट्रायल कराने के लिए भी शासन स्तर से पैरवी की जा रही है। इससे कि आरोपियों को जल्द से जल्द सजा हो सके।SIT ने 23 आरोपियों को गिरफ्तार करके भेजा जेलचंद्र प्रताप सिंह, गुड्डू उर्फ अनिल निगम, तीन बार के पार्षद कैलाश पाल, सफीउल्ला, योगेंद्र सिंह उर्फ बब्बन बाबा, विजय नारायण सिंह उर्फ बच्चन सिंह, अब्दुल रहमान उर्फ लंबू, मौबीन शाह, अमर सिंह उर्फ भूरा, जसवंत, रमेश चंद्र दीक्षित, रविशंकर मिश्रा, भोला, गंगा बक्श सिंह, योगेश शर्मा, भरत शर्मा, रामचंद्र पाल, सिद्ध गोपाल गुप्ता उर्फ बब्बू, जितेंद्र तिवारी, राजनलाल पांडेय, दीपक, धीरेंद्र कुमार तिवारी को 38 साल बाद गिरफ्तार करके जेल भेजा है।1984 में हुआ था सिख दंगा, 2019 में जांच को बनी थी SITकानपुर में हुए दंगों में 127 सिखों की हत्या हुई थी। उस दौरान कानपुर नगर में हत्या, लूट और डकैती आदि धाराओं में 40 मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस ने इनमें से 29 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। सिखों की मांग पर शासन ने 27 मई, 2019 को इस मामले में विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। एसआईटी के प्रभारी डीआईजी बालेंद्रु भूषण ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 38 साल पुराने मामलों में महज ढाई साल में ही 11 मामलों को चार्जशीट तक पहुंचा दिया। इतना ही नहीं 23 आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेज कर इतिहास रच दिया। अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एसआईटी की टीमें लगातार दबिश दे रही हैं।38 साल बाद सिखों को मिला इंसाफएसआईटी प्रभारी बालेंदु भूषण ने बताया कि फाइनल रिपोर्ट लगे 20 मुकदमों को अग्रिम विवेचना के लायक माना गया और जांच शुरू की गई। इसमें 11 की विवेचना पूरी हो गई है। इन मामलों में 146 दंगाई चिह्नित हुए, लेकिन इनमें से 79 की मौत हो चुकी है। बाकी दंगाइयों की संख्या 67 रह गई है। हालांकि, इनमें से भी 20-22 आरोपित ऐसे हैं, जिनकी आयु 75 साल से ज्यादा है या गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। गिरफ्तारी करने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी थी और शासन की अनुमति मिलते ही 45 में 23 आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली है।
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