जब NCP एकजुट थी, तब ईश्वर बालबुद्धे करीब छह वर्षों तक पार्टी के ओबीसी सेल के प्रदेश अध्यक्ष थे। अजित दादा के अलग होने के फैसले के बाद वह भी शरद पवार से अलग हो लिए थे। राज्य के ओबीसी वोटरों पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और एनसीपी चीफ अजित पवार को आज (शुक्रवार को) तब करारा झटका लगा, जब उनके नेतृत्व वाले गुट के प्रमुख ओबीसी नेता और विदर्भ इलाके का चर्चित चेहरा ईश्वर बालबुद्धे मुंबई में शरद पवार के नेतृत्व वाले विपक्षी खेमे में शामिल हो गए। ईश्वर बालबुद्धे महाराष्ट्र एनसीपी (शरद गुट) अध्यक्ष जयंत पाटिल और एनसीपी नेता अनिल देशमुख की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए। बालबुद्धे ने कुछ दिनों पहले अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला था। आज वह विधिवत शरद पवार के साथ हो चले।
अजित पवार के नेतृत्व वाली पार्टी में बालबुद्धे ओबीसी विभाग के राज्य समन्वयक और राज्य सचिव थे। शरद गुट में एंट्री लेते ही ईश्वर बालबुद्धे ने कहा, ‘मैं छगन भुजबल साहब के साथ पिछले 30 साल से काम कर चुका हूं लेकिन यह शरद पवार ही हैं जिन्होंने मंडल आयोग और ओबीसी घटक को वास्तविक न्याय दिलाया है। बालबुद्धे ने कहा कि पवार साहब के बाद अब अगर कोई ओबीसी घटक को न्याय दिलाने के लिए इस वर्ग को खड़ा करने की कोशिश कर रहा है, तो वह जयंत पाटिल साहब हैं।
उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि अपने को ओबीसी नेता कहने वाले छगन भुजबल 30 साल बाद भी ओबीसी को न्याय नहीं दिला सके। छगन भुजबल फिलहाल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और अजित पवार की एनसीपी के नेता हैं। बालबुद्धे के साथ छगन भुजबल के कुछ और समर्थक भी आ सकते हैं। माना जा रहा है कि बालबुद्धे के निकल जाने से ओबीसी नेता छगन भुजबल की भी ताकत कम हो सकती है।
कौन हैं ईश्वर बालबुद्धे
जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) एकजुट थी, तब ईश्वर बालबुद्धे करीब छह वर्षों तक पार्टी के ओबीसी सेल के प्रदेश अध्यक्ष थे। अजित दादा के अलग होने के फैसले के बाद वह भी शरद पवार से अलग हो लिए थे। अजित पवार ने ओबीसी मतदाताओं पर उनकी पकड़ को देखते हुए ही पार्टी के ओबीसी सेल का राज्य समन्वयक नियुक्त किया था। ईश्वर बालबुद्धे मूल रूप से छगन भुजबल के ही खासम खास रहे हैं। वह पिछले दो दशकों से भुजबल के साथ समता परिषद में भी सक्रिय रहे हैं।
ABP माझा की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले विधानसभा चुनाव से पहले ईश्वर बालबुद्धे ने पूरे राज्य की यात्रा की थी। वह लगभग सभी 288 निर्वाचन क्षेत्रों में गए और वहां उन्होंने प्रचार किया। इतना ही नहीं उन्होंने 2019 में नागपुर में ओबीसी सेल के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित कराया था। बालबुद्धे को महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान ओबीसी निगम के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था लेकिन जब तक नियुक्ति आदेश जारी होता। उद्धव ठाकरे की सरकार शिवसेना में विभाजन की वजह से गिर गई। राज्य के ओबीसी मतदाताओं पर बालबुद्धे की अच्छी पकड़ मानी जाती है। महाराष्ट्र चुनावों से ऐन पहले उनकी वापसी शरद गुट को मजबूत कर सकती है।

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