Convergence of Appearance : क्या आपको कभी ऐसा महसूस हुआ है कि लंबे समय तक साथ रहने वाले जोड़े का व्यवहार और आदतें ही नहीं, बल्कि कई बार चेहरे भी मिलने लगते हैं। क्या कभी आपको ऐसा लगा है कि पति-पत्नी की शकल में इतना साम्य है जैसे भाई-बहनों में होता है। अगर आप भी इस बात को महसूस कर चुके हैं तो इसे अपने मन का वहम कहकर नकारिए मत..इसके पीछे बाकायदा एक थ्योरी है।
इसे लेकर मशहूर मनोवैज्ञानिक डॉ. रॉबर्ट ज़ाजोंक का कहना है कि हम जिनके साथ सबसे ज्यादा वक्त बिताते हैं, उनके भाव हमारे चेहरे पर उतरने लगते हैं। कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि एक ही जगह रहने से त्वचा का रंग, धूप का असर और उम्र बढ़ने की रफ्तार भी एक जैसी हो जाती है। मगर यह सिर्फ बाहर की बात नहीं है। अंदर से एक-दूसरे को समझने और प्यार करने की वजह से भी चेहरों पर एक खास चमक और समानता आती है, जो दूर से भी नजर आती है।
क्या है Convergence of Appearance Theory
आपने अक्सर देखा होगा कि लंबे समय तक साथ रहने वाले पति-पत्नी के चेहरे धीरे-धीरे एक जैसे दिखने लगते हैं। कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? यह कोई जादू नहीं, बल्कि विज्ञान और मनोविज्ञान का कमाल है। इस रहस्य को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने “रूप-साम्यता सिद्धांत” यानी “Convergence of Appearance Theory” पर गहरी पड़ताल की है जिसके बाद कई रोचक कारण सामने आए हैं।
जानिए क्या कहती है रिसर्च
1987 में अमेरिकी मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट ज़ाजोंक (Robert Zajonc) और उनकी टीम ने एक दिलचस्प अध्ययन किया। उन्होंने 12 जोड़ों की शादी के शुरुआती और 25 साल बाद की तस्वीरों की तुलना कराई। इस स्टडी में शामिल प्रतिभागियों से पूछा गया कि क्या ये जोड़े एक जैसे दिखते हैं। और नतीजा चौंकाने वाला था..ज़्यादातर लोगों को लगा कि समय के साथ उनके चेहरे वाकई एक जैसे हो गए हैं। हालांकि बिलकुल ज़रूरी नहीं कि सबपर ये बात लागू हो। कई बार लंबे साथ के बावजूद पति-पत्नी के चेहरे में कोई साम्य नहीं दिखता। इसीलिए इसे किसी नियम की तरह नहीं देखा जा सकता है।
इस बात को इस तरह आसानी से समझा जा सकता है कि जब दो लोग सालों तक साथ रहते हैं तो उनकी जिंदगी, आदतें और भावनाएं एक-दूसरे से मिलने लगती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब दो लोग एक ही माहौल में रहते हैं, एक जैसा खाना खाते हैं, एक साथ हंसते-रोते हैं और लगभग सभी काम एक साथ करते हैं तो उनके चेहरे के हाव-भाव और निशान भी एक जैसे होने लगते हैं। मिसाल के तौर पर..अगर पति-पत्नी दोनों को हंसने की आदत है तो उनकी हंसी की लकीरें चेहरे पर एक जैसी बनने लगती हैं। इसके अलावा, भावनात्मक जुड़ाव भी बड़ा रोल निभाता है। जब दो लोग एक-दूसरे के साथ हर सुख-दुख बांटते हैं तो उनके चेहरे पर वही खुशी, गम या तनाव के निशान उभरने लगते हैं।
साथ और भावनात्मक जुड़ाव का असर
अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के अध्ययन में ये बात सामने आई कि लंबे समय तक साथ रहने वाले जोड़ों के चेहरे की समानता बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं ने 20-30 साल तक शादीशुदा जोड़ों की तस्वीरों का विश्लेषण किया और पाया कि उनके चेहरे की बनावट में गजब की समानता थी। इसका एक कारण यह भी है कि लोग अक्सर अपने जैसे व्यक्तित्व वाले इंसान की तरफ आकर्षित होते हैं। यानी शादी से पहले ही कुछ हद तक चेहरे में समानता हो सकती है, जो समय के साथ और गहरी हो जाती है। इसलिए अगली बार जब आप किसी बुजुर्ग जोड़े को देखें और सोचें कि इनके चेहरे इतने एक जैसे क्यों हैं..तो समझ जाइए कि ये उनके प्यार, साथ और समय का कमाल है। विज्ञान इसे “रूप-साम्यता” कहता है लेकिन आम लोग इसे जिंदगी का एक खूबसूरत रंग मानते हैं।
