वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्यों को ई-कॉमर्स कारोबार पर सीमा शुल्क लगाने पर लगाई गई रोक को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस रोक को बढ़ाने से भारत जैसे देशों में डिजिटल व्यापार क्षेत्र में अपने स्वयं के इकोसिस्टम के विकास पर प्रभाव पड़ रहा है। डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों ने 1998 से ही इलेक्ट्रॉनिक रूप से किए गए कारोबार पर सीमा शुल्क नहीं लगाने पर सहमति व्यक्त की थी। इस रोक को लगातार मंत्रिस्तरीय सम्मेलनों में समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है। भारत ने बार-बार शुल्क रोक पर चर्चा करने की आवश्यकता पर जोर दिया है क्योंकि इसके रेवेन्यू पर असर पड़ता है।
भारत जैसे देशों को हो रहा नुकसान
गोयल ने एक कार्यक्रम में कहा, “हम इसके खिलाफ नहीं हैं। समस्या यह है कि पहले के आईटीए-1 (सूचना प्रौद्योगिकी समझौता) में यह ठीक से परिभाषित नहीं किया गया था कि आईटीए के अंतर्गत क्या आता है। इसके दायरे में अधिक वस्तुओं को लाने के लिए रोक बढ़ाई गई, जिससे नुकसान हुआ या भारत जैसे देशों के लिए अपना स्वयं का इकोसिस्टम विकसित करने की क्षमता में कमी आई।” उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि ई-कॉमर्स टैरिफ पर रोक को अच्छी तरह से परिभाषित करने की जरूरत है कि इसमें क्या शामिल होगा और क्या नहीं। लेकिन उससे अधिक इसमें कुछ भी शामिल नहीं किया जाएगा।”
WTO को सुधार की जरूरत
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि भारत ने हमेशा बहुपक्षीय संगठनों में विश्वास किया है और उनका समर्थन किया है। उन्होंने कहा, “भारत व्यापार और व्यवसाय के वैश्विक नियमों के ढांचे के भीतर काम करना जारी रखेगा, लेकिन मुझे लगता है कि डब्ल्यूटीओ को भी कुछ क्षेत्रों में खुद को सुधारना होगा।” इसके साथ ही गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को प्रोत्साहित करने का इरादा नहीं रखता है। उन्होंने भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों पर लगाए गए एफडीआई प्रतिबंधों में ढील देने की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि चीन से अधिक एफडीआई नहीं आ रहा है और सरकार इसे बढ़ावा भी नहीं दे रही है। इस पाबंदी के तहत चीन से आने वाले निवेश के लिए सरकार की पूर्व-अनुमति अनिवार्य है। गोयल ने कहा कि भारत ऐसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ एकीकरण चाहता है, जो निष्पक्ष व्यापार और ईमानदार गतिविधियों में विश्वास रखती हैं और जहां घरेलू उद्योगों को समान अवसर मिले।

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