केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की ब्याज सब्सिडी योजना से लाभ पाकर ग्रेनस्पैन न्यूट्रिएंट्स ने अहमदाबाद में दो अनाज आधारित एथनॉल प्लांट लगाने के लिए 520 करोड़ रुपये का निवेश किया है। अब कंपनी पेट्रोल में मिलाने के लिए हरित ईंधन की आपूर्ति कर रही है। ये दोनों प्लांट मक्का और चावल को कच्चे माल (फीडस्टॉक) के रूप में इस्तेमाल करते हैं और इनकी कुल क्षमता 350 किलोलीटर प्रतिदिन है। ग्रेनस्पैन का पहला एथनॉल प्लांट मई 2023 में अहमदाबाद के भामसरा गांव में शुरू हुआ था। इसकी क्षमता 110 किलोलीटर प्रतिदिन थी और यह गुजरात का पहला अनाज आधारित एथनॉल प्लांट था। इसकी सफलता के बाद कंपनी ने पिछले महीने उसी जगह पर दूसरा प्लांट शुरू किया है, जिसकी लागत 360 करोड़ रुपये है और इसकी क्षमता 240 किलोलीटर प्रतिदिन है।
गुजरात में तीन अनाज आधारित एथनॉल प्लांट
कंपनी एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के तहत पेट्रोलियम विपणन कंपनियों (ओएमसी) को एथनॉल की आपूर्ति करती है। ग्रेनस्पैन न्यूट्रिएंट्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ मनोज खंडेलवाल ने बताया कि गुजरात में तीन अनाज आधारित एथनॉल प्लांट हैं, जिनमें से दो ग्रेनस्पैन चला रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की सब्सिडी की वजह से ही वे राज्य में ऐसा संयंत्र लगाने वाली पहली कंपनी बन पाई। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में एथनॉल उत्पादन की बड़ी संभावना है, जिससे न केवल देश की जरूरतें पूरी हो सकती हैं बल्कि निर्यात भी किया जा सकता है। ग्रेनस्पैन, जो 2014 से खाद्य उत्पादों के क्षेत्र में काम कर रही है, ने कुछ साल पहले ब्याज सब्सिडी योजना का फायदा उठाकर एथनॉल व्यवसाय में कदम रखा। इस फैसले से कंपनी को अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिली, जो पिछले वित्त वर्ष में 760 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
अधिक की आय होने की उम्मीद
ग्रेनस्पैन इंग्रिडिएंट्स प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) पंकित शाह ने बताया कि कंपनी ने दोनों एथनॉल संयंत्रों में कुल 520 करोड़ रुपये का निवेश किया है और ये पूरी तरह चालू हैं। उन्होंने कहा कि पहला संयंत्र केंद्र सरकार की ब्याज सब्सिडी योजना के तहत लगाया गया था और इसके लिए कंपनी ने 120 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। हालांकि, दूसरे संयंत्र को बिना किसी ब्याज सब्सिडी के स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि नवंबर से अक्टूबर तक चलने वाले 2024-25 एथनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) में कंपनी लगभग 72 रुपये प्रति लीटर की तय दर पर पेट्रोलियम कंपनियों (ओएमसी) को करीब 8 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति करेगी। अगले आपूर्ति वर्ष में यह मात्रा बढ़कर 12 करोड़ लीटर हो जाएगी, जिससे कंपनी को 800 करोड़ रुपये से अधिक की आय होने की उम्मीद है।
