Share on Google+
Share on Tumblr
Share on Pinterest
Share on LinkedIn
Share on Reddit
Share on XING
Share on WhatsApp
Share on Hacker News
Share on VK
Share on Telegram
50F64F81645A2A453ED705C18C40448C

ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों-किशोरों के लिए सोशल मीडिया बैन, जानिए इसे लेकर क्या कहती हैं दुनियाभर की स्टडीज़

Australia Social Media Ban ban for Under-16sऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों और किशोरों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने गुरुवार को घोषणा की कि यह कदम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। संबंधित कंपनियों को इसके लिए नए नियम लागू करने होंगे और प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल ऑस्ट्रेलियाई संसद में इससे संबंधित विधेयक लाया जाएगा।

प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा कि सोशल मीडिया बच्चों को वास्तविक दोस्ती और अनुभवों से दूर कर रहा है, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा, यह कानून संबंधित कंपनियों को भी जिम्मेदार बनाएगा ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि उनके प्लेटफार्म पर 16 साल से कम उम्र के उपयोगकर्ताओं की पहुँच न हो। यदि कंपनियां इस दिशा में उचित कदम नहीं उठातीं, तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ सकता है। इससे पहले फ्रांस और कुछ अन्य देशों में भी सोशल मीडिया पर उम्र-सीमा संबंधित नीतियाँ लागू की गई हैं।

ऑस्ट्रेलिया में 16 साल के कम आयु वर्ग के लिए Social Media Ban

आज दुनियाभर में सोशल मीडिया से होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर बहस छिड़ गई है। इस वर्चुअल दुनिया ने लोगों को धीरे धीरे रियल दुनिया से अलग कर दिया है। इसीलिए अब कई लोगों का रूझान डिजिटल डिटॉक्स की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में जब हम बच्चों और किशोरों की बात करें तो उनपर तो सोशल मीडिया का बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया में अब 16 साल से कम आयुवर्ग के बच्चों-किशोरों पर सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसकी घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ये जिम्मेदारी होगी कि वे इस पहुँच को रोकने के लिए उचित कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहा है और इसीलिए ये कदम उठाया गया है। बता दें कि फ्रांस में भी 15 साल के कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए माता पिता की अनुमति लेना आवश्यक है। वहीं कुछ देशों में तेरह साल के कम उम्र के बच्चों के लिए टिकटॉक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करने पर प्रतिबंध है।

सोशल मीडिया को लेकर क्या कहती है दुनियाभर की Studies

बच्चों और किशोरों पर सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव एक व्यापक चिंता का विषय बन गया है। दुनियाभर के विभिन्न अध्ययनों ने यह दिखाया है कि सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग बच्चों की मानसिक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। यहां हम कुछ अध्ययन के बारे में बता रहे हैं जिनके द्वारा सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया है।

1. अमेरिका : यूएस सर्जन जनरल की एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों में अत्यधिक सोशल मीडिया के उपयोग से उनके दिमाग के विकास, भावनात्मक नियंत्रण और सीखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है। यह साइबरबुलिंग, सामाजिक तुलना और सोशल आइसोलेशन को बढ़ावा दे सकता है जिससे अवसाद और तनाव जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। बच्चों में यह देखा गया कि जो सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताते हैं, वे अधिक अवसादग्रस्त और अकेलेपन का अनुभव करते हैं। यह समस्याएँ विशेष रूप से तब बढ़ती हैं जब बच्चे दूसरों के साथ खुद की तुलना करते हैं और FOMO (Fear of Missing Out) का अनुभव करते हैं।

2. यूरोप : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप और मध्य एशिया में सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग के कारण किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं। रिपोर्ट में यह पाया गया कि 10% से अधिक किशोर ऐसे लक्षण दिखाते हैं जो सोशल मीडिया की लत की ओर संकेत करते हैं, जैसे कि इसका अत्यधिक उपयोग करना और खुदपर से नियंत्रण खो देना। इसके परिणाम में उनकी नींद की गुणवत्ता में कमी आती है जो उनके संपूर्ण मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

3. यूनाइटेड किंगडम : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि लड़कियों में 11-13 साल की उम्र में सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग जीवन की संतुष्टि के भाव में कमी लाता है, जबकि लड़कों में यह प्रभाव 14-15 साल की उम्र में देखा गया। इस शोध में यह भी पाया गया कि जो किशोर अपने जीवन से असंतुष्ट होते हैं वो सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताते हैं, जिससे उनकी संतुष्टि के भाव में और कमी आती है।

सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों को लेकर अब लोग जागरूक हो रहे हैं। ख़ासकर बच्चों और किशोरों को तो सोशल मीडिया से दूर रखना बहुत जरूरी है क्योंकि इसका अधिक उपयोग  उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कई अध्ययन और केस स्टडीज ने यह साबित किया है कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग किशोरों में अवसाद, चिंता, आत्म-हिंसा, यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्तियों को भी बढ़ा सकता है। उदाहरण के तौर पर, एक अध्ययन में पाया गया कि जिन किशोरों को साइबरबुलिंग का सामना करना पड़ा, वे आत्महत्या के विचारों और प्रयासों के प्रति अधिक संवेदनशील थे।

बच्चों पर होने वाले नकारात्मक प्रभावों से जुड़े रेयर केस

दुनियाभर में सोशल मीडिया का बच्चों पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव से जुड़े कई गंभीर केस सामने आए हैं। इनमें से कुछ उदाहरण ने इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया है। हम ऐसे ही कुछ केस की जानकारी लेकर आए हैं।

1. आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य : एक प्रमुख केस में 2017 में ब्रिटेन की एक 14 वर्षीय लड़की, Megan Evans ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर आत्महत्या की धमकी दी थी। सोशल मीडिया पर उत्पीड़न और अवसाद के कारण आख़िर उसने अपनी जान ले ली। यह मामला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जिम्मेदार कंटेंट मॉडरेशन की आवश्यकता को दर्शाता है, जिससे बच्चों को मानसिक आघात और आत्महत्या के विचारों से बचाया जा सके 

।

2. साइबरबुलिंग का प्रभाव : यूएस में एक अध्ययन ने यह दर्शाया कि साइबरबुलिंग के कारण किशोरों में आत्महत्या की कोशिश की तादाद बढ़ी है। अध्ययन में यह पाया गया कि जो बच्चे ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करते हैं, वे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे अवसाद और आत्महत्या के विचारों से जूझते हैं। एक रेयर केस में, 8वीं कक्षा के छात्र ने फेसबुक पर अपमानजनक मैसेज के कारण आत्महत्या का प्रयास किया, और यह घटना पूरे समुदाय में साइबरबुलिंग के खतरों को उजागर करने वाली बनी 

।

3. सोशल मीडिया और सामाजिक अलगाव : एक अन्य उदाहरण 2020 में कनाडा का है, जहां एक किशोर ने सोशल मीडिया पर खुद की तुलना दूसरों से करना शुरू किया और इससे उसे मानसिक दबाव का सामना करना पड़ा। उसने महसूस किया कि वह अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तरह सक्रिय या लोकप्रिय नहीं है। यह सामाजिक तुलना और FOMO (Fear of Missing Out) जैसी समस्याओं का परिणाम था, जो बच्चों में मानसिक समस्याओं को बढ़ाते हैं।

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकता है। इससे उन्हें न सिर्फ सामाजिक और भावनात्मक दबाव का सामना करना पड़ता है, बल्कि यह साइबरबुलिंग, मानसिक असंतोष और आत्महत्या जैसे खतरनाक परिणाम भी उत्पन्न कर सकता है। इसीलिए अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए सोशल मीडिया से दूर रखना बेहतर है। यदि बच्चे इसका उपयोग कर रहे हैं तो माता पिता को निगरानी रखना आवश्यक है। वहीं, इसकी लत लगने या एडिक्शन की स्थिति बनने पर किसी मनोचिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है।

1842630cookie-checkऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों-किशोरों के लिए सोशल मीडिया बैन, जानिए इसे लेकर क्या कहती हैं दुनियाभर की स्टडीज़
Artical

Comments are closed.

Aurangabad News: Live-in Couple Was Getting Papers Made For Court Marriage, Girl’s Brother Threatened To Shoot – Bihar News     |     यूपी: साल भर बाद बहराइच में फिर जिंदा हुआ लंगड़े भेड़िए का खौफ, एक के बाद एक लगातार हो रहीं घटनाएं     |     Badrinath Accident News Bus Driver Felt Dizzy Passenger Turned The Steering And Applied The Brake – Amar Ujala Hindi News Live     |     Residents Of Delhi Get Ready For Heavy Rain – Amar Ujala Hindi News Live     |     Police Arrest Three Hawala Firing Accused After Reviewing 150 Cctv Footage – Amar Ujala Hindi News Live     |     Cbi Team Reached Barmer To Re-investigate The Kamlesh Encounter Case! – Barmer News     |     Kuk Selected For Environment Champion Award 2025 World Environment Day – Amar Ujala Hindi News Live     |     Himachal Hpu Msc Data Science Msc Artificial Intelligence Entrance Exam Will Be Of 100 Marks – Amar Ujala Hindi News Live     |     कमल हासन की ठग लाइफ की धुआंधार एडवांस बुकिंग ने सभी को चौंकाया, विवादों के बीच पहले दिन ही कमा लिए इतने करोड़     |     भारतीय टीम को थाईलैंड से मिली शिकस्त, नहीं चला सुनील छेत्री का जादू     |    

9213247209
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9907788088