भारत में खाने की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर लोग अक्सर चिंता जताते हैं। सड़क किनारे की दुकानों से लेकर बड़े रेस्तरां तक, खाद्य सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट (FSS एक्ट) 2006 में लागू हुआ था, ताकि खाने की क्वालिटी सुनिश्चित हो। लेकिन आज भी नकली मसाले, मिलावटी दूध और गंदे रसोईघरों की खबरें सामने आती हैं। सवाल ये है कि इतने सख्त नियम होने के बावजूद कमी कहां रह जाती है?
FSS एक्ट का मकसद है कि हर भारतीय को सुरक्षित और पौष्टिक खाना मिले। इसके तहत फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) बनाई गई, जो खाने की चीजों की जांच और नियमों को लागू करती है। लेकिन हकीकत में, जमीन पर इसका असर कम दिखता है। छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े ब्रांड्स तक, कई बार नियम तोड़ते पकड़े जाते हैं। फिर भी, सजा का डर कम होने की वजह से लापरवाही बरकरार रहती है। निगरानी की कमी और भ्रष्टाचार भी इस समस्या को बढ़ा रहे हैं।
FSSAI की कमजोर निगरानी से कैसे बाजार में फैल रहा है मिलावटी खाना
FSSAI के पास पूरे देश में खाद्य सुरक्षा की निगरानी का जिम्मा है, लेकिन उनके पास न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही हर जगह पहुंचने की सुविधा। छोटे शहरों और गांवों में तो जांच के लिए टीमें पहुंचती ही नहीं। नतीजा, मिलावटी खाना और नकली प्रोडक्ट्स आसानी से बाजार में बिक रहे हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में कई जगहों पर नकली मसाले और पैकेज्ड फूड में हानिकारक केमिकल्स पाए गए। ऐसे में आम लोग अपनी सेहत को लेकर चिंतित हैं। अगर नियमित जांच और सख्त कार्रवाई हो, तो इस तरह की घटनाओं पर लगाम लग सकती है।
FSS Act: Need for enforcement and accountability in India’s food safety regime
Despite the comprehensive framework set by the FSS Act, enforcement remains fragmented due to inconsistent application across states.
Writes Jyoti Khattar & Gaurav Mishra, Advocates practicing at… pic.twitter.com/s7VgEufh3T
— Bar and Bench (@barandbench) June 26, 2025
खाद्य सुरक्षा में जवाबदेही क्यों जरूरी है और कैसे हो सकती है मजबूत कार्रवाई
FSS एक्ट में सजा और जुर्माने के प्रावधान तो हैं, लेकिन इनका पालन कितना हो रहा है? कई बार नियम का उल्लंघन करने वालों को हल्की सजा या सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। बड़े ब्रांड्स के खिलाफ कार्रवाई में देरी या ढिलाई की खबरें भी सामने आती हैं। इससे लोगों का भरोसा टूटता है। अगर FSSAI को और ताकत दी जाए और जवाबदेही तय की जाए, तो खाद्य सुरक्षा का माहौल बदल सकता है। मिसाल के तौर पर, अगर नियम तोड़ने वालों को तुरंत सजा मिले और उनकी गलतियां पब्लिक की जाएं, तो डर बढ़ेगा और लापरवाही कम होगी।
AI और टेक्नोलॉजी से कैसे सुधरेगा भारत का फूड क्वालिटी सिस्टम
खाद्य सुरक्षा को बेहतर करने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेना होगा। FSSAI ने कुछ कदम उठाए हैं, जैसे ऑनलाइन लाइसेंसिंग और टेस्टिंग लैब्स को अपग्रेड करना। लेकिन अब AI और डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके मिलावट की शिकायतों को जल्दी पकड़ा जा सकता है। मोबाइल ऐप्स के जरिए लोग सीधे शिकायत दर्ज कर सकते हैं, जिससे तुरंत एक्शन लिया जाए। साथ ही, खाने की चीजों की पैकेजिंग पर ज्यादा पारदर्शिता लाने की जरूरत है, ताकि लोग खुद समझ सकें कि वो क्या खा रहे हैं।
जागरूक उपभोक्ता कैसे बदल सकते हैं भारत की थाली की सेहत
खाद्य सुरक्षा सिर्फ FSSAI की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आम लोगों का भी इसमें रोल है। अगर लोग नकली या खराब खाने की शिकायत करें और सही प्रोडक्ट्स चुनें, तो बाजार में सुधार आएगा। स्कूलों और कम्युनिटी सेंटर्स में जागरूकता कैंप्स चलाने चाहिए, ताकि लोग खाने की क्वालिटी पर सवाल उठाना सीखें। साथ ही, छोटे दुकानदारों को ट्रेनिंग देकर उन्हें नियमों के बारे में समझाना होगा। जब हर स्तर पर जागरूकता और जवाबदेही बढ़ेगी, तभी भारत की थाली पूरी तरह सुरक्षित होगी।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News न्यूज़ नहीं करता।

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