डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों की रोक के बीच परामर्श कंपनी EY ने गुरुवार को कंपनियों को कुछ सुझाव दिये हैं। ईवाई ने कहा कि कंपनियों को इमिडिएट प्लानिंग बनाने और अपने उत्पादों के लिए वैकल्पिक बाजारों की तलाश करने की जरूरत है। ईवाई ने कहा कि 90 दिन की रोक से भारत को अमेरिका के साथ ट्रेड डील को अंतिम रूप देने और उसे लागू करने का समय भी मिल गया है। ईवाई इंडिया के बिपिन सपरा ने कहा, “यह मानकर चलना चाहिए कि अमेरिका 90 दिनों के बाद बढ़ा हुआ टैरिफ लागू करेगा। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनियों को इसके प्रभाव का आकलन करना चाहिए। प्राइस हाइक होता है, तो इससे डिमांड पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण भी आवश्यक है।”
कंपनियां बनाएं आकस्मिक योजना
उन्होंने कहा, “इस प्रकार इंडस्ट्री को अपनी सप्लाई चेन और मूल्य निर्धारण रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करके प्राथमिकता के आधार पर एक आकस्मिक योजना बनानी चाहिए, ताकि उन्हें प्रतिस्पर्धी वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जा सके। साथ ही विभिन्न परिदृश्यों के लिए वैकल्पिक अंतरराष्ट्रीय बाजारों की सक्रिय रूप से खोज करनी चाहिए।”
चीन पर लगाया 125% टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को 75 देशों पर 9 अप्रैल से लागू होने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाल दिया। हालांकि, अमेरिका ने चीन से होने वाले आयात पर टैरिफ को बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया है। हालांकि, 5 अप्रैल से प्रभावी 10 फीसदी का टैरिफ सभी पर जारी रहेगा। भारत के मामले में, अमेरिका को निर्यात के लिए भुगतान किए जाने वाले 26 प्रतिशत के अतिरिक्त टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाल दिया गया है।
अभी भी 10% टैरिफ लागू
बार्कलेज ने एक रिपोर्ट में कहा कि सभी उभरती एशियाई अर्थव्यवस्थाएं (चीन को छोड़कर), यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और जापान सहित अन्य प्रमुख विकसित बाजारों पर अब भी 10 फीसदी अमेरिकी आयात शुल्क लगेगा। रिपोर्ट के अनुसार, “हमारे विचार से 10 प्रतिशत अभी भी टैरिफ का ऐसा स्तर है जिसे वैश्विक व्यापार पर इसके संभावित प्रभाव के संदर्भ में खारिज नहीं किया जाना चाहिए। दस प्रतिशत टैरिफ को बनाए रखने से यह सवाल उठता है कि सफल बातचीत के माध्यम से इसे कैसे कम किया जा सकता है-क्या 10 प्रतिशत न्यूनतम सीमा है।”
खतरा अभी टला नहीं
बार्कलेज ने कहा कि टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाला जाना उभरते एशिया के आर्थिक दृष्टिकोण को लेकर निराशा को कम करता है। बार्कलेज ने कहा कि शुल्क लगाए जाने को टाले जाने से ऐसा लगता है कि उभरते एशियाई बाजारों में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि में कमी को लेकर जो आशंका थी, वह कुछ हद तक कम होगी। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह क्षेत्र खतरे से बाहर हो गए हैं।
उठाना पड़ेगा नुकसान
फाइनेंशियल सर्विस कंपनी मूडीज एनालिटिक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भले ही अधिकांश व्यापारिक साझेदारों पर 10% टैरिफ एक स्थायी अमेरिकी पॉलिसी बन जाए, लेकिन कई एशिया पैसिफिक इकोनॉमीज को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योंकि अंतर-क्षेत्रीय व्यापार कम हो जाएगा। मूडीज एनालिटिक्स ने अपनी रिपोर्ट ‘एपीएसी परिदृश्य: अमेरिका बनाम अन्य’ में कहा, “अनिश्चितता साफ है, गिरावट और अस्थिर शेयर बाजारों से वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव सामने आया है… जब परिवेश इतना अनिश्चित है, तो लोग अधिक खर्च नहीं करना चाहेंगे, भले ही उनकी क्रय शक्ति मजबूत हो और कंपनियां अनिश्चितता से निपटने के लिए अतिरिक्त निवेश से पीछे हटेंगी।”

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