Chandipura Virus Symptoms: इस वायरस से संक्रमित बच्चे लक्षण दिखने के 48-72 घंटों के भीतर मर जाते हैं। ऐसे में यह वायरस शिशुओं और वयस्क के लिए घातक माना जा रहा है।
Chandipura Virus Symptoms
Chandipura Virus Symptoms: कोरोना वायरस महामारी की दहशत अभी लोगों के मन से पूरी तरह निकली भी नहीं है कि एक और नए वायरस ने गुजरात में दस्तक दे दी है। इस वायरस को चांदीपुरा वायरस के नाम से पुकारा जा रहा है। यह वायरस बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। गुजरात के हिम्मतनगर अस्पताल में चांदीपुरा वायरस से 6 लोगों की मौत हो गई। बरसात के मौसम में यह वायरस ऐक्टिव होता है। जो संक्रमित रोग मक्खी, मच्छर के काटने से होता है। 9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों में यह संक्रमण पाया जाता है। गुजरात के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि चांदीपुरा वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क जरूर रहने की जरूतर जरूर है।
क्यों रखा गया चांदीपुरा वायरस का नाम?
साल 1965 में नागपुर शहर के चांदीपुर में एक नए वायरस का प्रकोप देखा गया। इस वायरस की चपेट में आने से 14 से 15 साल के कई बच्चे मर गए थे। देश में सबसे पहले नागपुर के चांदीपुरा गांव से इस वायरस की शुरुआत होने की वजह से इस वायरस को चांदीपुरा वायरस के तौर पर जाना जाने लगा।
चांदीपुरा वायरस के लक्षण-
चांदीपुरा वायरस की चपेट में आने वाले बच्चों में अचानक तेज बुखार, उल्टी, दस्त, दौरे पड़ना, सिर दर्द , मस्तिष्क में सूजन और ऐंठन जैसे लक्षण नजर आते हैं, जो उनकी मौत का कारण बन सकते हैं। इस वायरस से संक्रमित बच्चे लक्षण दिखने के 48-72 घंटों के भीतर मर जाते हैं। ऐसे में यह वायरस शिशुओं और वयस्क के लिए घातक माना जा रहा है।
चांदीपुरा वायरस पर क्या है वैज्ञानिकों का कहना-
चांदीपुरा वायरस के लेकर कहा जा रहा है कि यह मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी और एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। वैज्ञानिक इसे RNA वायरस के रूप में देख रहे हैं। इस वायरस का सबसे ज्यादा असर 15 साल से कम उम्र के बच्चों पर देखने को मिलता है। इस बीमारी के गंभीर मामलों में मृत्यु दर 56 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक दिखाई दी है। चिंता की बात यह है कि अभी तक इस वायरस से लड़ने वाली कोई दवा नहीं बनाई गई है।
चांदीपुरा वायरस से बचाव-
चांदीपुरा वायरस से बचने के लिए मच्छर, मक्खी और कीड़ों से बचना सबसे जरूरी है। इसके लिए बच्चों को रात में और सुबह-शाम पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं। मच्छरों को कीड़ों से बचने के लिए रात में नेट का उपयोग करें। मॉस्किटो रिपेलेंट का इस्तेमाल करें। खिड़की और दरवाजों को बंद रखें।

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