वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 6.2% हो गई है। यह दर दूसरी तिमाही में 5.4% थी। यानी पिछली तिमाही के मुकाबले देश की अर्थव्यस्था ने रिकवरी की है। इकोनॉमी को अच्छे मॉनसून के बाद मजबूत ग्रामीण खपत और सरकारी व्यय में वृद्धि का सपोर्ट मिला। शुक्रवार को जारी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। हालांकि, सालाना आधार पर देखा जाए तो विकास दर में कमी आई है। पिछले साल इसी तिमाही में यह दर 9.5 प्रतिशत थी। वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को संशोधित कर 5.6% कर दिया गया है।
2024-25 के लिए वृद्धि दर का अनुमान
एनएसओ ने राष्ट्रीय खातों के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में 2024-25 के लिए देश की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। जनवरी 2025 में जारी अपने पहले अग्रिम अनुमान में इसने चालू वित्त वर्ष के लिए 6.4 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था। एनएसओ ने 2023-24 के लिए जीडीपी वृद्धि को भी संशोधित कर 8.2 प्रतिशत के पहले के अनुमान के मुकाबले 9.2 प्रतिशत कर दिया।
वास्तविक जीडीपी का अनुमान
ताजा आंकडों में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी या स्थिर मूल्यों पर जीडीपी ₹187.95 लाख करोड़ के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी का पहला संशोधित अनुमान ₹176.51 लाख करोड़ है। इसी तरह, 2024-25 के दौरान वास्तविक जीडीपी में वृद्धि दर 6.5% अनुमानित है, जबकि 2023-24 में यह 9.2% थी। नाममात्र जीडीपी या वर्तमान मूल्यों पर जीडीपी वर्ष 2024-25 में ₹331.03 लाख करोड़ के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2023-24 में यह ₹301.23 लाख करोड़ थी, जो 9.9% की वृद्धि दर दर्शाता है।
वित्त वर्ष 2023-24 में रियल जीडीपी
पहले संशोधित अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में रियल जीडीपी में 9.2% की वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 2021-22 (कोविड के बाद का वर्ष) को छोड़कर पिछले 12 वर्षों में सबसे अधिक है। इस वृद्धि में ‘विनिर्माण’ क्षेत्र (12.3%), ‘निर्माण’ क्षेत्र (10.4%) और ‘वित्तीय, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवा’ क्षेत्र (10.3%) में दोहरे अंकों की वृद्धि दर का योगदान है।

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