ग्लोबल एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास अनुमानों में 0.5 प्रतिशत तक की कटौती की है, हालांकि साथ में यह भी कहा है कि देश सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। पीटीआई की खबर के मुताबिक, तमाम रेटिंग एजेंसियों ने वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने अनुमान में कहा है कि भारत 6.2 प्रतिशत से लेकर 6.7 प्रतिशत तक की विकास दर से आगे बढ़ेगा। यह अनुमान अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मंदी में फंसने, चीन की वृद्धि को भारी झटका लगने और वैश्विक स्तर पर देशों की आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती आने की संभावना के बावजूद यह बात कही है।
किसने क्या लगाया अनुमान
खबर के मुताबिक, टैरिफ युद्ध और अमेरिकी व्यापार नीति पर अनिश्चितता के बीच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक ने 2025-26 के लिए भारत के विकास अनुमानों को घटाकर क्रमश: 6.2 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले जनवरी में, आईएमएफ और विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत के क्रमशः 6.5 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था। पिछले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमानों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में भी देश की अर्थव्यवस्था इसी दर से बढ़ेगी।
इसी तरह, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने मार्च में अनुमान लगाया था कि भारत की वृद्धि दर पहले के 6.9 प्रतिशत के अनुमान से घटकर 6.4 प्रतिशत रह जाएगी। इसी तरह, फिच रेटिंग्स ने वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, जबकि एसएंडपी ने 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। मूडीज एनालिटिक्स ने कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए ग्रोथ रेट 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। अप्रैल में अपने अपडेट में एशिया विकास बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, जो पहले अनुमानित 7 प्रतिशत से कम है। जनवरी में भारत के आर्थिक सर्वेक्षण ने वित्त वर्ष 2025-26 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6. 3-6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
टैरिफ को लेकर चली भारी उठापटक
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते 2 अप्रैल को अमेरिका से आयात पर उन देशों द्वारा लगाए गए शुल्कों के बराबर अन्य देशों से आयात पर पारस्परिक शुल्क या कर लगाने की घोषणा की थी। 9 अप्रैल को, अमेरिकी प्रशासन ने अधिकांश पारस्परिक शुल्कों के कार्यान्वयन पर 90-दिवसीय रोक को अधिकृत किया, जिससे लगभग सभी लक्षित देशों पर 10 प्रतिशत की सार्वभौमिक दर वापस आ गई, जबकि चीन से अधिकांश वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाकर 145 प्रतिशत कर दिया गया। 16 अप्रैल को, अमेरिका ने चीन से निर्यात पर शुल्क को और बढ़ाकर 245 प्रतिशत कर दिया।
