छात्रों का जीवन एक पड़ाव होता है, जिसमें उन्हें हर एक चुनौतियों से सामना करने सहित भविष्य को संवारने की शिक्षा दी जाती है। इस दौरान उन्हें मजबूत बनाया जाता है, ताकि वह आगे चलकर हर परिस्थिति का डटकर सामना कर सके। ज्ञानी पुरुष की बात हो, वहां आचार्य चाणक्य का जिक्र ना हो ऐसा नहीं हो सकता। अपने समय के सबसे बड़े ज्ञानी आचार्य चाणक्य थे, जिनकी नीतियां आज भी लोगों द्वारा अपनाई जाती है। उन्हें विष्णु गुप्त या फिर कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, जिन्होंने अपने अनुभव के आधार पर चाणक्य नीति, अर्थशास्त्र, कूटनीति, नीति शास्त्र जैसे कई ग्रथों की रचना की। इसमें उन्होंने जीवन से जुड़े हर पहलुओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताया है। साथ ही उन्होंने छात्रों को लेकर भी कुछ बातें बताई हैं, जिन्हें अपना कर वह परीक्षा में सफलता हासिल कर सकते हैं।
आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के मुख्य सलाहकार थे, जिन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक समृद्ध देश का निर्माण किया।
चाणक्य नीति (Chanakya Niti)
आज हम आपको चाणक्य नीति में बताई गई अमूल्य विचारों और गुणों के बारे में बताएंगे, जिन्हें यदि छात्र अपना लें, तो सफलता उनके कदम चूमेगी। इसके अलावा, वह सभी क्षेत्रों में आगे रहेंगे। आदर्श स्टूडेंट बनकर घर, परिवार, मित्र और स्कूल में नाम रोशन करेंगे।
अपनाएं ये नीतियां
- चाणक्य नीति के अनुसार, छात्रों को धैर्यवान होना चाहिए। ऐसा गुण अपने पर स्टूडेंट हर परिस्थिति का डटकर सामना कर सकता है, चाहे वह कितना ही मुश्किल भरा क्यों ना हो। यह आदत छात्रों को बहुत ही आगे लेकर जाता है, क्योंकि धैर्य बनाए रखने से व्यक्ति अपने लक्ष्य को अवश्य ही प्राप्त करता है, इसलिए हमेशा धैर्यवान बनने का प्रयास करें।
- चाणक्य नीति के अनुसार, छात्रों को हमेशा अच्छी संगति में रहना चाहिए, ताकि वह जीवन में सफलता हासिल कर सके, ना कि आगे चलकर वह गुंडे और मवाली बने। अच्छी संगति इंसान को कठिन रास्तों से निकलकर बेहतरीन रास्ते पर ले जाता है, जिससे सफलता अवश्य ही हाथ लगती है।
- चाणक्य नीति के अनुसार, छात्रों को आलसी नहीं होना चाहिए। यह इंसान को मानसिक और शारीरिक तौर पर बुरी तरह प्रभावित करता है। जिस कारण व्यक्ति अपने लक्ष्य को निर्धारित नहीं कर पाता और ना ही मेहनत करना पसंद करता है। ऐसे में वह बाकी लोगों से पीछे हो जाता है, इसलिए छात्रों को कभी भी आलसी नहीं करना चाहिए।
- क्रोध हमेशा नरक के ही द्वार खोलता है। यह व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्थिति को खराब करती है। इस दौरान चाणक्य नीति कहते हैं कि छात्रों को हमेशा क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि यह किसी भी दृष्टि से उनके लिए अच्छा नहीं है। यह व्यक्ति के सोचने और समझने की क्षमता को क्षीण कर देता है, इसलिए क्रोध से स्टूडेंट्स को दूर रहना चाहिए।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)

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