पानीपत: पुलिस गिरफ्त में चारों आरोपी।हरियाणा के पानीपत जिले की बिशन स्वरुप कॉलोनी में 11 जून को हुए फाइनेंसर रमेश के ब्लाइंड मर्डर केस की गुत्थी को पुलिस ने सुलझा दिया है। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी देते हुए एसपी शशांक कुमार सावन ने बताया कि पुलिस ने वारदात स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरा में कैद फुटेज को खंगालते हुए विभिन्न पहलुओं पर छानबीन करने के साथ ही आरोपियों के संभावित ठिकानों पर दंबिश दी।इसी दौरान पुलिस टीम ने वीरवार शाम आरोपियों को रोहतक गोहाना बाइपास पर दिल्ली पैरलल नहर पुल के पास दबिश देकर काबू कर लिया।आरोपियों की पहचान दीपक उर्फ दीपू पुत्र सोहन पाल निवासी वधावाराम कॉलोनी, मंजीत उर्फ मोनू पुत्र सुखबीर निवासी सिवाह, सितेंद्र उर्फ मोहित पुत्र शमशेर व सुमित उर्फ मोनू पुत्र हरदीप निवासी धनसौली पानीपत के रूप में हुई। चोरों आरोपियों को आज कोर्ट में पेश किया गया। जहां से चारों को ही चार दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है। आरोपी पानीपत से फरार होने की फिराक में थे। सिटी थाना में दर्ज हत्या के मुकदमें में अब पुलिस ने आईपीसी की धारा 392 व 394 भी जोड़ दी है।मामले की जानकारी देते एसपी शशांक कुमार सावन।आरोपी दीपक को थी रुपए की जानकारीआरोपी दीपक निवासी वधावाराम कॉलोनी फैक्टरियों में कपड़े की छटाई का ठेका लेकर काम करता था। वह कुछ समय पहले काम से बिशन स्वरूप कॉलोनी में फाइनेंसर रमेश के पास उसके कार्यालय में गया था। इस दौरान उसको भनक लग गई की ऑफिस में रमेश के पास हर समय पैसा रहता है।दीपक की मंजीत के साथ दोस्ती थी। दोनों ने शार्ट कट तरीके से पैसे कमाने के लिए कुछ दिन पहले बिशन स्वरूप कॉलोनी में एक निजी होटल में किराए पर कमरा लेकर सट्टा खाईवाली का अवैध धंधा शुरू किया। इसमें मंजीत ने अपने साथी सितेंद्र व सुमित को भी शामिल कर लिया।आरोपी मंजीत के पर थी 10-15 लाख की देनदारीआरोपी मंजीत ने पहले बिजनेस करते हुए गांव निवासी विभिन्न लोगों का ऑनलाइन कंपनियों में पैसा लगवाया था। इसमें उसको काफी घाटा हुआ जो उसके उपर करीब 10-15 लाख रुपए की देनदारी हो गई थी। दीपक को भी मंजीत पर चढ़े कर्ज की जानकारी थी।उसने मंजीत को फाइनेंसर के पास ऑफिस में हर समय पैसा होने की जानकारी दी और चारों ने मिलकर फाइनेंसर के ऑफिस में लूट की साजिश रची। ऑफिस की रेकी करने के लिए वारदात को अंजाम देन से 3-4 दिन पहले सीपीयू ठीक करवाने के बहाने फाइनेंसर के ऑफिस में गए थे।10 जून को मंजीत गया था फाइनेंसर के पास10 जून को आरोपी मंजीत ऑफिस में गया और गुजरात से पैसे मंगवाने की बात कही। रमेश के पास उस दिन पैसे नहीं थे तो उसने मंजीत का फोन नंबर लेकर कहा की एक दो दिन में वह फोन करके उसको बता देगा। 11 जून को रमेश ने फोन कर मंजीत को ऑफिस में बुलाया।मंजीत साथी दीपक, सितेंद्र व सुमित को लेकर वहां पहुचां और दीपक को रखवाली के लिए बाहर खड़ा कर तीनों ऑफिस के अंदर गए। वहां रमेश का मुंह हाथ व पैर टेप से बांधकर अलमारी में रखे 25 लाख रुपए निकाल लिए। रमेश ने विरोध किया तो आरोपियों ने पिटाई कर दी और 25 लाख लूटकर फरार हो गए थे।

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