चीन की ऑनलाइन फास्ट फैशन ब्रांड Shein ने पांच साल बाद भारतीय बाजार में फिर से कदम रख दिया है। कंपनी पर भारतीय खुदरा कंपनी रिलायंस रिटेल के जरिये प्रतिबंध लगाया गया था। पीटीआई की खबर के मुताबिक, रिलायंस रिटेल के शीन इंडिया फास्ट फैशन ऐप के मौजूदा समय में गूगल प्ले स्टोर पर 10,000 से ज्यादा डाउनलोड हैं और यह एप्पल के स्टोर पर अपने समकक्षों के बीच टॉप-10 में है। सिंगापुर में स्थित यह ब्रांड भारत में अपने ऐप और ऑनलाइन स्टोर के जरिये किफायती फैशन प्रोडक्ट्स ऑफर करता है।
जून 2020 में लगा था बैन
खबर के मुताबिक, जून 2020 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद शीन उन ऐप में से एक था जिस पर प्रतिबंध लगा दिया था। भारत में बैन होने के लगभग तीन साल बाद, शीन ने 2023 में अरबपति मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस रिटेल के साथ साझेदारी की। रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) ने अपनी सहायक कंपनी आरआरएल (रिलायंस रिटेल लिमिटेड) के माध्यम से स्वदेशी ई-कॉमर्स रिटेल प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए रोडगेट बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ प्रौद्योगिकी समझौता किया था, जो शीन का मालिक है।
पीयूष गोयल ने एक लिखित उत्तर में बताया था
बीते साल दिसंबर में, सरकार ने लोकसभा को सूचित किया था कि शीन के ब्रांडेड उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, हालांकि इसके ऐप को ब्लॉक कर दिया गया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक लिखित उत्तर में कहा था कि इस प्लेटफॉर्म का मकसद स्थानीय निर्माताओं और सप्लायर्स का एक नेटवर्क बनाना है जो ब्रांड शीन के तहत प्रोडक्ट्स का निर्माण करेंगे और उन्हें घरेलू और ग्लोबल लेवल पर बेचेंगे। उन्होंने कहा कि कपड़ा मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ सलाह किया, जिसने बदले में गृह मंत्रालय से परामर्श किया और आरआरवीएल के प्रस्ताव पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
सभी प्लेटफॉर्म डेटा भारत में रहेगा
गोयल ने कहा कि लाइसेंस समझौते में यह सुरक्षा शामिल थी कि प्लेटफॉर्म का स्वामित्व और नियंत्रण हमेशा आरआरवीएल के पास अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के माध्यम से रहेगा। समझौते के मुताबिक हर समय, प्लेटफॉर्म भारत में बुनियादी ढांचे पर होस्ट किया जाएगा और सभी प्लेटफॉर्म डेटा भारत में रहेगा, जबकि शीन के पास ऐसे डेटा तक कोई पहुंच या अधिकार नहीं होगा। समझौते के लिए सहमति देने वाले पक्षों को भारतीय कानूनों का पालन करना होगा और बुनियादी ढांचे और प्लेटफॉर्म डेटा का स्थानीयकरण सुनिश्चित करना होगा।

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