करनाल: दूसरी पहलवान को पटखनी देती नन्ही पहलवान।अगर बच्चों के लिए आप यह सोच रखते हैं कि पहले बड़े हो जाओ, फिर उम्र के हिसाब से काम करना, तो अब इस विचारधारा को बदल डालिए। क्याेंकि तुतलाती जुबान के दौर में ही आजकल के बच्चों ने अपना लक्ष्य तय कर लिया है।जैसे 9 वर्ष की बच्ची नीति ने कुश्ती में देश के लिए मेडल जीतने का लक्ष्य अभी से निर्धारित कर लिया है। ऐसा नहीं कि अकेले इस बिटिया को ही कुश्ती खेलने का जुनून है, करनाल के कर्ण स्टेडियम में कुश्ती के गुर सिखने के लिए यूपी, पानीपत व आसपास के गांव की काफी लड़कियां आ रही हैं और वे अपनी आंखों में दंगल गर्ल बन कर देश लिए मेडल जीतने का सपना संजो कर अभ्यास कर ही हैं।कर्ण स्टेडियम में अभ्यास करती लड़किया।6 साल की उम्र से अभ्यास कर रही नन्हीं पहलवानकर्ण स्टेडियम में अभ्यास कर रही 9 साल की नीति कक्षा तीन में पढ़ती है। अभिभावकों ने इसे देश के लिए जीने और मरने का पाठ पढ़ाया है। नीति बताती है कि वह नेता की तरह सच-झूठ की राजनीति नहीं, बल्कि करोड़ों आंखों के सामने दूसरे देश के प्रतिद्वंदी को पछाड़ कर देश सेवा करना चाहती है। निति कहती है कि उनके पिता भी कुश्ती खेलते हैं। उनसे प्ररेणा लेकर ही उसने 6 साल की उम्र से कुश्ती के दांव सीखने शुरू किए। नीति को देखकर आप भी दंग रह जाएंगे। आंख झपकते ही कई फीट ऊंची रस्सी पर चंद मिनटों में चढ़ जाती है यह नन्हीं पहलवान।नन्हीं पहलवान नीति।तीन साल से स्टेडियम में कर ही अभ्यास: वर्षाकर्ण स्टेडियम में अभ्यास कर रही शिव कॉलोनी निवासी वर्षा पहलवान का कहना है कि वह पिछले तीन साल से कर्ण स्टेडियम में अभ्यास कर रही है। चार साल पहले उसने लड़कियों का दंगल देखा था उसके बाद से उसने कुश्ती करने की ठान ली थी। वर्षा का कहना है कि अभी कुश्ती करते हुए तीन साल ही हुए हैं। वह कुश्ती के सभी दांव सीख रही है। वह ओलिंपिक में जीत कर देश के लिए मेडल लाना चाहती है।पहलवान वर्षा।बबीता फौगाट को देखकर यूपी से करनाल आई कुश्ती सीखने: मनजीतयूपी के एक छोटे से गांव की रहने वाली मनजीत चौहान का कहना है कि कुश्ती के दांव पेच सीखने के लिए ही वह यूपी से करनाल आई है। मनजीत का कहना है कि उनके दादा भी पहलवान थे और वे उसे भी पहलवान बनाने चाहते हैं। उसके बाद जब घर वालों ने दंगल गर्ल्स गीता और बबीता को देखा तो परिवार के लोगों ने उसे करनाल में कुश्ती के अभ्यास के लिए भेज दिया। वह भी कुश्ती में देश के लिए मेडल लाना चाहती है।पहलवान मनजीत चौहान।माता-पिता का सपना पूरा करने के लिए आई करनाल: ज्येष्ठापानीपत के छोटे से गांव रसालू की रहने वाली ज्येष्ठा ने बताया के उनके माता-पिता का सपना है कि वह कुश्ती खेले और देश के लिए ओलिंपिक में मेडल लेकर आए। कुश्ती के दांव पेच सीखने के लिए वह पानीपत से करनाल आई है और यहीं पर रहकर अभ्यास कर रही है। वह लोगों को बताना चाहती है कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं हैं।पहलवान ज्येष्ठा।दोनों समय करती हैं लड़किया स्टेडियम में अभ्यासकर्ण स्टेडियम में लड़कियों के अभ्यास प्रशिक्षक विकास शर्मा का कहना है कि उनके पास 9 साल से लेकर 30 साल की लड़कियां कुश्ती के दांव पेच सीख रही हैं। स्टेडियम में करनाल से ही नहीं, यूपी, पानीपत सहित अन्य कस्बों की लड़कियां भी अभ्यास करने के लिए आती हैं। आज के समय में समाज बदल गया है। लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नहीं करता। वह सभी खिलाडियों को संदेश देना चाहते हैं कि कुश्ती में अगर मेडल लाना चाहते हैं तो उन्हें जी तोड मेहनत करनी पड़ेगी। बिना मेहनत के कोई भी मुकाम हासिल नहीं होता।प्रशिक्षक विकास शर्मा।

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