अमेरिका ने चीन के निर्यात पर वसूले जाने वाले टैरिफ को बढ़ाकर 34 प्रतिशत कर दिया है, जिससे चीन सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर 2 से 2.5 प्रतिशत तक का असर पड़ सकता है। लिहाजा, सुस्ती से जूझ रही चीनी अर्थव्यवस्था पर और ज्यादा बुरा असर पड़ेगा। इंवेस्टमेंट बैंक मैक्वेरी के मुख्य चीन अर्थशास्त्री लैरी हू ने अनुमान लगाया है कि अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए जवाबी शुल्क से चीन के निर्यात में 15 प्रतिशत अंक की कमी आ सकती है। इसके सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 2 से 2.5 प्रतिशत अंक तक घट सकती है।
डोमेस्टिक कंजम्पशन और हाउसिंग सेक्टर की वजह से संकट में चीनी अर्थव्यवस्था
हांगकांग के अखबार‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ में सोमवार को प्रकाशित खबर के अनुसार, हू ने एक रिसर्च रिपोर्ट में लिखा, ‘‘ इसका प्रभाव कई माध्यमों से दिख सकता है, जैसे कि चीनी वस्तुओं के लिए अमेरिका में मांग में गिरावट, संभावित वैश्विक आर्थिक मंदी और निर्यात पुनर्निर्देशन पर असर।’’ चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था के लिए इस साल 5 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद का लक्ष्य रखा है, जो स्थिर डोमेस्टिक कंजम्पशन और हाउसिंग सेक्टर में संकट के कारण सुस्ती से जूझ रही है। संशोधित 34 प्रतिशत शुल्क के साथ चीनी निर्यात पर कुल शुल्क 54 प्रतिशत हो गया है।
ट्रंप ने पहले कार्यकाल में चीन पर लगाया था 15 प्रतिशत टैरिफ
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में चीन पर करीब 15 प्रतिशत टैरिफ लगाया था। इसके बाद राष्ट्रपति बने जो बाइडन ने इस टैरिफ को बरकरार रखा था। अमेरिका, चीन का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। पिछले साल चीन द्वारा अमेरिका को किया गया एक्सपोर्ट 438 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि अमेरिका द्वारा चीन को किया गया एक्सपोर्ट 143 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के उत्पादों पर टैरिफ लगाते हुए उस पर ‘फेंटेनाइल’ बनाने के लिए कच्चे माल के प्रवाह को रोकने में फेल रहने का आरोप लगाया है।
फेंटेनाइल एक शक्तिशाली ‘ओपिओइड’ है, जिसे अमेरिका में व्यापक स्तर पर नशीले पदार्थ की लत फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी किसानों को प्रभावित करने वाले कृषि उत्पादों को लक्षित कर अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले उत्पादों पर 34 प्रतिशत शुल्क लगाया है।

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