Share on Google+
Share on Tumblr
Share on Pinterest
Share on LinkedIn
Share on Reddit
Share on XING
Share on WhatsApp
Share on Hacker News
Share on VK
Share on Telegram
50F64F81645A2A453ED705C18C40448C
हेडलाइंस
Exclusive: सलमान खान संग काम करने पर कैसा रहा रश्मिका का एक्सपीरियंस? बताई खास बातें NPCI ने UPI के करोड़ों यूजर्स को किया अलर्ट, फ्रॉड का नया तरीका खाली कर सकता है बैंक अकाउंट Gold Rush: सोना 92 हजार के पार, चांदी 1.03 लाख प्रति किलो, अब Gold का अगला स्टॉप 99000 रुपये, जानें कब तक? क्यों निकलता है हाथ से पसीना, क्या है पामर हाइपर हाइड्रोसिस ,गर्मी में मोबाइल स्क्रीन पसीने से गीली रहती है ?? ‘Doobta Bihar’ under Lalu, progress under Nitish-Modi: JP Nadda’s call to Purvanchal voters | India News PUSU Election: पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव का मतदान आज, मारपीट-तनाव के बाद आज वोटिंग का हाल देखें UP News: तीन साल पहले मां-बाप की मौत, दादी भी चल बसीं, घर में नहीं है राशन... तीन बच्चों की ईद फीकी Video : Teachers And Staff In Delhi Have Been On Strike For Four-five Months Due To Non-payment Of Salaries - Amar Ujala Hindi News Live Chhindwara News: Police Freed Eight Cattle From Smugglers In Seoni - Madhya Pradesh News Jodhpur: साइक्लोनर टीम को मिली बड़ी सफलता, मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त 2 अंतरराज्यीय तस्कर गिरफ्तार

ट्रेन के ड्राइवर को क्यों दिया जाता है यह लोहे का छल्ला? जानें इंडियन रेलवे की इस टेक्नोलॉजी के बारे में


Indian Railway, GK, Indian railway, railway, train, token, token exchange, what is t- India TV Hindi

Image Source : फाइल फोटो
टोकन एक्सचेंज में लोकोपायलट को लोहे की रिंग दी जाती है।

अधिक दूरी की यात्रा के लिए ट्रेन सबसे सरल और सस्ता साधन है। भारत में हर दिन करोड़ों लोग ट्रेन से सफर करते हैं। भारतीय ट्रेन अब पहले से काफी ज्यादा एडवांस बन चुकी है। इंडियन रेलवे में अब वंदे भारत जैसी हाई स्पीड प्रीमियम ट्रेन भी शामिल हो चुकी हैं। रेलवे लगातार अपनी ट्रेन्स को अपग्रेड कर रहा है। लेकिन, देश में अभी भी कई सारी ऐसी जगहें पर जहां पर आज भी ट्रेनों के लिए अंग्रेजों के जमाने के तरीके अपनाए जा रहे हैं। आज भी भारत में कई जगहों पर ट्रेन्स को चलाने के लिए पुराने टोकन सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

भारतीय रेलवे सिस्टम में टोकन एक्सचेंज की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि ट्रेनों का आवागमन सुरक्षित हो सके। साफ शब्दों में समझाएं तो यह उस जमानें का तरीका है जब सभी जगहों पर सिग्नल की सुविधा मौजूद नहीं थी। ट्रेन अपने अपकमिंग स्टेशन पर सही से पहुंच सके इसके लिए टोकन एक्सचेंज सुविधा को लागू किया गया था। देश में आज भी कई जगहों पर अभी भी यह सिस्टम चालू है। 

ट्रेन की सेफ्टी के लिए जरूरी है यह टेक्नोलॉजी

आपको बता दें कि टोकन एक्सचेंज सिस्टम में ट्रेन के ड्राइवर को एक लोहे की रिंग दी जाती है। ट्रेन का ड्राइवर जब तक इस लोहे की रिंग को दूसरे स्टेशन पर नहीं पहुंचा देता तब तक उस ट्रैक पर दूसरी ट्रेन को चालू नहीं किया जाता। आइए आपको इस टोकन एक्सचेंज सिस्टम के बारे में डिटेल से बताते हैं। 

भारतीय रेलवे की जब शुरुआत हुई थी तो काफी समय तक ट्रैक काफी छोट हुआ करते थे। देश में कई जगहें तो ऐसी थीं जहां पर एक ही ट्रैक पर आने और जाने वाली ट्रेन चला करती हैं। ऐसे में दोनों ट्रेन आपस में न भिड़ें इसके लिए टोकन एक्सचेंज को शुरू किया गया था। इस सिस्टम में लोहे के एक बड़े छल्ले को टोकन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंचती है तो इस लोहे के छल्ले को लोकोपायलट यानी ट्रेन के ड्राइवर को दे दिया जाता है। 

लोहे की रिंग को पहुंचाना होता है अगले स्टेशन

ड्राइवर को लोहे का छल्ला देने का मतलब यह था कि वह ट्रैक पूरी तरह से फ्री है उसमें कोई और दूसरी गाड़ी नहीं आ सकती। उस ट्रैक में जुड़े दूसरे स्टेशन पर जैसी ही ट्रेन पहुंचती है तो लोकोपायलट उस लोहे के छल्ले को स्टेशन मास्टर को दे देता है। जब तक वह टोकन स्टेशन में एक्सचेंज नहीं होता तब तक स्टेशन मास्टर उस ट्रैक पर दूसरी गाड़ी को नहीं चला सकता। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें टोकन एक्सचेंज में इस्तेमाल किए जाने वाले लोहे के छल्ले में लोहे की एक बॉल होती है। इस बॉल को टेक्निकल भाषा में टेबलेट कहते हैं। जैसे ही स्टेशन मास्टर को ड्राइवर से टोकन मिलता है वह उसे स्टेशन पर लगे नेल बॉल मशीन पर फिट करता है। इससे अगले स्टेशन तक का रूट क्लीयर माना जाता है। इस टोकन स्टेशन की सबसे खास बात यह थी कि अगर किसी वजह से ट्रेन स्टेशन पर नहीं पहुंचती तो इससे पिछले स्टेशन पर लगी नेल बॉल मशीन अनलॉक नहीं होगी और उस स्टेशन से कोई भी ट्रेन उस ट्रैक पर नहीं आ पाएगी। 

टोकन एक्सचेंज सिस्टम की खास बातें

  1. रेलवे के टोकन एक्सचेंज सिस्टम में, लोहे के छल्ले में एक बॉल होती है जिसे टेबलेट कहा जाता है।
  2. स्टेशन मास्टर ट्रेन के ड्राइवर से टोकन लेकर उस बॉल को स्टेशन पर लगे नेल बॉल मशीन में फिट करता है।
  3. बॉल फिट होते ही अगले स्टेशन तक का रूट साफ हो जाता है।  
  4. अगर स्टेशन से गई कोई गाड़ी अगले स्टेशन पर नहीं पहुंचती तो पिछले स्टेशन पर लगी नेल बॉल मशीन लॉक ही रहेगी। 

यह भी पढ़ें- 100 दिन तक चलता है जियो का यह रिचार्ज प्लान! बार-बार रिचार्ज का झंझट होगा खत्म





Source link

2022110cookie-checkट्रेन के ड्राइवर को क्यों दिया जाता है यह लोहे का छल्ला? जानें इंडियन रेलवे की इस टेक्नोलॉजी के बारे में
Artical

Comments are closed.

Exclusive: सलमान खान संग काम करने पर कैसा रहा रश्मिका का एक्सपीरियंस? बताई खास बातें     |     NPCI ने UPI के करोड़ों यूजर्स को किया अलर्ट, फ्रॉड का नया तरीका खाली कर सकता है बैंक अकाउंट     |     Gold Rush: सोना 92 हजार के पार, चांदी 1.03 लाख प्रति किलो, अब Gold का अगला स्टॉप 99000 रुपये, जानें कब तक?     |     क्यों निकलता है हाथ से पसीना, क्या है पामर हाइपर हाइड्रोसिस ,गर्मी में मोबाइल स्क्रीन पसीने से गीली रहती है ??     |     ‘Doobta Bihar’ under Lalu, progress under Nitish-Modi: JP Nadda’s call to Purvanchal voters | India News     |     PUSU Election: पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव का मतदान आज, मारपीट-तनाव के बाद आज वोटिंग का हाल देखें     |     UP News: तीन साल पहले मां-बाप की मौत, दादी भी चल बसीं, घर में नहीं है राशन… तीन बच्चों की ईद फीकी     |     Video : Teachers And Staff In Delhi Have Been On Strike For Four-five Months Due To Non-payment Of Salaries – Amar Ujala Hindi News Live     |     Chhindwara News: Police Freed Eight Cattle From Smugglers In Seoni – Madhya Pradesh News     |     Jodhpur: साइक्लोनर टीम को मिली बड़ी सफलता, मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त 2 अंतरराज्यीय तस्कर गिरफ्तार     |    

9213247209
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9907788088