भारतीय ऑटो कंपनियों को बड़ी राहत मिल गई है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑटो कंपनी और वाहन कलपुर्जों पर लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क में कुछ को कम करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी। यह एक महत्वपूर्ण उलटफेर है, क्योंकि आयात पर टैक्स से भारतीय ऑटो कंपनियों को नुकसान होने का खतरा था। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि ट्रंप मंगलवार को आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे, लेकिन उन्होंने आदेश के बारे में विवरण देने से इनकार कर दिया।
इसके अलावा, इन शुल्कों के अधीन आने वाले ऑटो और पार्ट्स अब ट्रम्प के अन्य शुल्कों के अधीन नहीं होंगे, जिनमें कनाडाई और मैक्सिकन वस्तुओं पर 25% शुल्क, स्टील और एल्युमीनियम पर 25% शुल्क, साथ ही अधिकांश अन्य देशों पर लागू 10% शुल्क शामिल हैं। अधिकारी ने कहा कि धातुओं पर शुल्क के मामले में, ऑटो निर्माता या तो वाहन शुल्क या स्टील और एल्युमीनियम शुल्क का भुगतान करेंगे, जो भी अधिक होगा।
कंपनियों ने फैसले को सराहा
उन्होंने कहा कि हम वाहन विनिर्माताओं को रास्ता देना चाहते हैं, और जल्दी से जितना संभव हो उतने रोजगार पैदा करना चाहते हैं। अमेरिकी कंपनी स्टेलेंटिस के चेयरमैन जॉन एल्कैन ने एक बयान में ट्रंप के इस फैसले की सराहना की। जनरल मोटर्स की सीईओ मैरी बारा ने कहा कि कंपनी ट्रंप द्वारा उद्योग के समर्थन के लिए आभारी है। उन्होंने कहा कि कंपनी राष्ट्रपति के साथ बातचीत और प्रशासन के साथ काम करने के लिए उत्सुक है। पिछले सप्ताह, अमेरिकी ऑटो उद्योग समूहों के एक गठबंधन ने ट्रम्प से आयातित ऑटो पार्ट्स पर 25% टैरिफ न लगाने का आग्रह किया था और कहा था कि ससे वाहनों की बिक्री कम होंगी और कीमतें बढ़ेंगी।
ऑटो कंपनियों के शेयरों पर रखें नजर
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि ट्रंप के इस फैसले से भारतीय ऑटो कंपनियों और ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। गौरतलब है कि ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने के ऐलान के बाद भारतीय ऑटो कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी। अब इस फैसले से एक बार फिर तेजी लौट सकती है।

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