तेनजिन ग्यात्सो तिब्बत के राष्ट्र के 14 वीं धार्मिक गुरु और अध्यात्मिक नेता है. इसके साथ ही ये एक राष्ट्राध्यक्ष भी थे. वर्तमान में इनको दलाई लामा के नाम से जाना जाता है जो कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर एक शांति नेता और राज्य नेता के पद पर आसीन है. दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के अध्यात्मिक प्रमुख को कहा जाता है जो एक मंगोलियाई पदवी है जिसका मतलब होता है एक ज्ञान का महासागर. बोधिसत्व ऐसे लोग होते जो मानवता की रक्षा के लिए अपने आप को जनसेवा में समर्पित कर दिए हो, और मानव सेवा के लिए फिर से जन्म लेने का निर्णय किये हो. विश्व समुदाय में यह बहुत ही सम्मानीय व्यक्ति है. क्योकि जब तिब्बत अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा था तो उस समय उन्होंने स्वतंत्रता के लिए हिंसा का उपयोग करने से इनकार कर दिया था, और शांतिपूर्ण तरीके से तिब्बत और चीन के मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र से उन्होंने अपील भी की, जिसको संयुक्तराष्ट्र ने मान कर महासभा में तीन बार बैठक कर मुद्दों को रखा. इस तरह शांतिपूर्ण तरीके से उन्होंने स्वतंत्रता को प्राप्त भी कर लिया था. इस वजह से उन्हें नोबेल का शांति पुरस्कार भी मिला था. इसके बाद न्यूज़ीलैण्ड द्वारा उन्हें अपने शान्ति सन्देश को लोगों तक पहुँचाने के लिए आमंत्रित भी किया गया था.
तेनजिन ग्यात्सो दलाई लामा का जीवन परिचय (Dalai lama Tenzin Gyatso biography in hindi )
दलाई लामा एक बौद्ध भिक्षु और विद्वान् है. उन्होंने बहुत से देशों का दौरा किया है जिसके कारण वह कई देशों के प्रमुखों से, देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रीयों और बहुत सारे वैज्ञानिको के साथ कई बड़ी हस्तियों से भी मिल चुके है. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने तिब्बतियों, अर्थशास्त्र, महिलाओं के अधिकार, अहिंसा, इंटरफेथ वार्ता, भौतिक विज्ञान, बौद्ध धर्म और विज्ञान, संज्ञानात्मक तंत्रिका विज्ञान के कल्याण के बारे में बात की है. प्रजनन स्वस्थ्य और सेक्स ज्ञान जैसी विभिन्न विषयों पर भी इन्होने बात की है.
तेनजिन ग्यात्सो दलाई लामा का जन्म और शुरूआती जीवन (14th dalai lama tenzin gyatso)
तेनजिन ग्यात्सो का जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तर–पूर्वी तिब्बत के एक छोटे से गाँव तक्त्सर क्षेत्र में एक किसान और घोड़े के व्यापार से सम्बन्ध रखने वाले परिवार में हुई. तेनजिन ग्यात्सो के जन्म के समय तक्त्सर एक चीनी प्रान्त किंगहाई में स्थित था. उस समय किंगहाई प्रान्त का सरदार मा लिन था, जो कि वहा के गवर्नर कुमिमांग द्वारा नियुक्त किया गया था.
तेनजिन ग्यात्सो का बचपन का नाम ल्हामों धोढोदुप था. जब ये दो साल के थे तब ही दलाई लामा के रूप में इनकी पहचान हुई, जिसको 1937 में 13 वें दलाई लामा थुबटेन ग्यात्सो ने इनकी पहचान की और 14 वें दलाई लामा के रूप में औपचारिक रूप से उन्हें मान्यता प्राप्त हुई. जिसकी सार्वजनिक तौर पर घोषणा 1939 में बुमेंन शहर के पास हुई. दलाई लामा के रूप में पदस्थापन का समारोह का आयोजन 22 फरवरी 1940 को ल्हासा में हुआ. तिब्बत में दलाई लामा कोई नाम नहीं है बल्कि यह जो बुधित्व को प्राप्त करते है, उनको ये पद दिया जाता है. तिब्बत में दलाई लामा को भगवान बुद्ध का अवतार के रूप में जाना जाता है. इस तरह 15 नवम्बर 1950 को तिब्बत के पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के आक्रमण के बाद 17 नवम्बर 1950 को उन्होंने अपने राजनीतिक पद को पूर्ण रूप प्राप्त किया.
तिब्बत के हालत को ध्यान में रखते हुए दलाई लामा ने शांति से समस्या के समाधान के लिए अपनी एक पांच सूत्री योजना बनाई जिसमे उन्होंने शांति से तिब्बत के भविष्य को धयान में रखते हुए चीन के साथ वार्ता करने की पहल की. 1959 में तिब्बती विद्रोह के समय दलाई लामा भारत में एक शरणार्थी के रूप में रहे. तिब्बत और चीन की समस्या को इन्होने बहुत सुलझने की कोशिश की, लेकिन सुलझा नहीं पाए और अपने प्रयास में विफल रहे जिस वजह से उन्हें निर्वासन का दर्द भी झेलना पड़ा.
तेनजिन ग्यात्सो दलाई लामा का परिवार (Dalai lama Tenzin Gyatso family)
इनके पिता का नाम चोएक्यंग सेरिंग और माता का नाम डिकी सेरिंग था. इनके अलावा इनके सात भाई बहन है. उनके जन्म के पहले ही उनके चार भाई बहनों की मौत हो चुकी थी. बड़ी बहन उनसे 18 साल बड़ी थी जिनका नाम सेरिंग डोल्मा था.
तेनजिन ग्यात्सो दलाई लामा की शिक्षा (Dalai lama Tenzin Gyatso education)
तीन वर्ष की अवस्था में तेनजिन ग्यात्सो की पहचान दलाई लामा के रूप में होने के बाद उन्हें ल्हासा के मठ में लाया गया, और वहा के जोरवांग मंदिर में उन्हें बौद्ध धर्म की शिक्षा दी गई. उसके बाद एक विद्यालय में उन्होंने लिखना पड़ना सिखा. फिर बोद्ध धर्म अनुशासन के अनुसार उनकी शिक्षा शुरू हुई, जिसमे सुबह उठकर प्रार्थना करना से लेकर सभी दैनिक कार्यो के एक निश्चित समय निर्धारित थे. बौद्ध धर्म की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हें लामा के साथ ही लामपर्रा की डिग्री भी प्राप्त की. यह तिब्बत में सबसे बड़ी डिग्री होती है. दलाई लामा महात्मा गाँधी और बुद्ध को अपने जीवन की प्रेरणा मानते है वो उनको अपने आदर्श के रूप में देखते है.
तेनजिन ग्यात्सो दलाई लामा का करियर (Dalai lama Tenzin Gyatso carrier)
उन्हें अब तक 60 से अधिक डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की हुई है अब तक वो 50 से अधिक पुस्तकें लिख चुके है. चीन के साथ शांति वार्ता भी उनके करियर का एक हिस्सा थी, जिसके लिए उन्हें नोबेल का शांति पुरस्कार दिया गया. दलाई नें 1987 में वासिंगन डी सी में अपने वक्तब्य में परमाणु शक्ति की दौड़ की निंदा करते हुए इसे चिंता जनक बताया. इस बात पर सब ने उनकी अहिंसात्मक सोच की तारीफ की. 1950 में उन्हें पूरी तरह से सता ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया गया था. 1963 में दलाई लामा ने तिब्बत में लोकतान्त्रिक सविंधान की रूप रेखा को तैयार किये, फिर उसमे 1990 में कुछ सुधार कर स्वीकार कर लिया गया. 1992 में तिब्बत लोकतान्त्रिक घोषित हो गया. दुनिया के अधिकांश देशों के दौरे में अपने अध्यात्मिक वक्तव्य के लिए उन्हें जाना जाता है. इसके साथ ही उनका मिलन सार स्वभाव भी लोगों को उनके तरफ आकर्षित करता है. 29 सितम्बर 1987 को उन्होंने अमेरिका की संसद जिसको अमेरिकी कांग्रेस कहा जाता है में अपने पांच सूत्रीय शांति निति को रखा.
तेनजिन ग्यात्सो दलाई लामा की पुस्तकें (Dalai lama Tenzin Gyatso books)
तेनजिन ग्यात्सो ने बहुत सारी पुस्तकों की रचनाए की, जिनमें से कुछ के नाम इस प्रकार है – हार्ट ऑफ़ मैडिटेशन, एक्टीवेटीइंग बोधिचित्ता एंड मैडिटेशन ऑन कम्पैशन, एडवाइस फ्रॉम बुद्धा सक्यामुनी, अन्सेर, आर्ट ऑफ़ हैप्पीनेस इन अ ट्रौब्लड वर्ड, आर्ट ऑफ़ लीविंग, आर्ट ऑफ़ हैप्पीनेस; अ हैण्ड बुक फ़ॉर लीविंग, अवेकनिंग द माइंड, लाइटनिंग द हार्ट, बियोंड डोग्मा, बेयोंड रिलिजन : एथिक्स फॉर अ व्होल वर्ड, बोधगया इंटरव्यू, बौद्धा हार्ट, बौद्धा माइंड, बौद्धा नेचर : डेथ एंड इटरनल सोल इन बुद्धिज़्म, बुद्धिज़्म ऑफ़ तिब्बत, कोम्पस्सियोनेट लाइफ़, दलाई लामा एट हारवार्ड.
तेनजिन ग्यात्सो दलाई लामा के पुरस्कार और उपलब्धियां (Dalai lama Tenzin Gyatso awards)
वर्ष पुरस्कार 1958समुदाय नेतृत्व के लिए रोमन मैग्सेसे पुरस्कार1989शांति का नोबेल पुरस्कार1994विश्व सुरक्षा का वार्षिक शांति पुरस्कार1994 चार स्वतंत्रता पुरस्कार1999लाइफ़ अचीवमेंट अवार्ड2003इन्टर नेशनल लीग फ़ॉर ह्यूमन राइट्स अवार्ड2003मानवाधिकार के लिए जैम ब्रुनेट पुरस्कार 2006अमेरिकी कांग्रेस के स्वर्ण पदक 2008नानक इन्टरफेथ पुरस्कार इनौगुरल होफ्स्त्रा युनिवर्सिटी से 2009जर्मन मीडिया पुरस्कार बर्लिन2009जन लंगोस मानवाधिकार पुरस्कार2009हंनो आर. एल्लेंबोगें नागरिकता अवार्ड 2010, 2011, 2013मानद उपाधि2012टेंपलटन पुरस्कार2010इंटर नेशनल फ्रीडम कंडक्टर अवार्ड
तेनजिन ग्यात्सो दलाई लामा विवादों में
पीपुल्स दैनिक द्वारा दलाई लामा पर आरोप लगाया गया कि वो तिब्बत बौद्ध और चीन के बौद्ध धर्म के साथ धोखा कर रहे है. 2008 में दलाई लामा ने पहली बार 1914 के शिमला समझौते का हवाला देते हुए कहा कि दक्षिण तिब्बत अरुणाचल प्रदेश का एक भाग है, जो बहुत ही ज्यादा विवादित रहा. चीन हमेशा से ही दलाई लामा के भारत आने के विरोध में बोलता रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ उनकी बैठक भी बहुत विवादित रही.
तेनजिन ग्यात्सो दलाई लामा के चर्चित अनमोल वचन (Dalai lama Tenzin Gyatso quotes)
जिन लोगों को आप प्यारे पंख से उडान भरते हुए देखना चाहते है, उन्हें वापस आने के लिए जड़ और रुकने के लिए कारण बताये.समय बिना रुके निकलता जाता है. जब हम गलतियाँ करते है तो उस समय को नहीं बदल सकते, फिर से कोशिश कर सकते है. हम जो भी करते है सीखते है वो हम वर्तमान के अच्छे इस्तेमाल के लिए करते है.खुला दिल एक खुले दिमाग की तरह होता है.जब तक हम अपने अंदर शांति पैदा नहीं कर लेते, तब तक हम दुनिया में कभी भी शांति को नहीं प्राप्त कर सकते हैं.खुशी का अंतिम स्रोत धन और शक्ति नहीं है लेकिन स्नेह पूर्णता ज़रूर है.मौन भी कभी कभी अच्छा जवाब देता है.असली नायक वह है जो अपने क्रोध और घृणा पर जीत हासिल कर लिया हो.आजादी के लिए हमारे संघर्ष में सत्य हमारे पास एक मात्र हथियार है.नियमों को अच्छी तरह से जानना चाहिए ताकि जब जरूरत पड़े तो आप उसे प्रभावी ढंग से तोड़ सके.प्यार और सहानुभूति जरूरी है धन दौलत जरुरी नहीं है, प्यार और सहानुभूति के बिना मानवता जीवित नहीं रह सकती.आशावादी बने रहने का रास्ता चुने इससे अच्छा महसूस होता हैं.सामने आने वाली चुनौतीयों के लिए हमे हमेशा तैयार रहना चाहिए. अगर लक्ष्य बड़ा है तो हो सकता है कि वो हमारे जीवित रहते पूरा हो या न हो लेकिन उसे पाने के लिए हमेशा और लगातार कोशिश करते रहना चाहिए.इस जीवन में हमारा पहला और महत्वपूर्ण मुख्य उदेश्य दूसरों की सहायता करना है और यदि हम उनकी सहायता नहीं कर सकते तो कम से कम उन्हें हमें चोट नहीं पहुचाना चाहिए.अगर समस्या निश्चित है, अगर समस्या के समाधान के लिए आप कुछ कर सकते है तो आपको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है. और अगर समस्या निश्चित नहीं है तो व्यर्थ की चिंता करने से कुछ भी हासिल नहीं हो सकता, इसलिए चिंता करने से कोई लाभ नहीं.

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