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तो इसलिए सस्ता हुआ पेट्रोल-डीजल! सरकार के एक्साइज ड्यूटी घटाने के पीछे ये 3 वजहें अहम

नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में ताजा कटौती से केंद्र सरकार के खजाने में इस वित्तीय वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये कम जमा होंगे। उधर, उज्ज्वला योजना के लाभुकों के लिए सब्सिडी पर 6,100 करोड़ रुपये का खर्च होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये बातें बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले छह महीने में पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में दूसरी बार कटौती की है। सीतारमण जब यह बोल रही थीं, तब विपक्ष शासित राज्य सरकारों पर वैट घटाने का अलग दबाव बन रहा था।

16 दिन में 10 रुपये महंगा
मौजूदा वक्त में पेट्रोल और डीजल की कीमत देश में बाजार तय करता है, लेकिन अक्सर देखा गया है कि चुनावों के दौरान इनकी कीमत स्थिर हो जाती है. हाल में उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी यह देखने को मिला.चुनाव खत्म होने के बाद 22 मार्च से पेट्रोल- डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली और महज 16 दिन के भीतर ही इनकी कीमत प्रति लीटर 10 रुपये बढ़ गई. इसे लेकर सरकार को कई मोर्चों पर विपक्ष की आलोचना का शिकार होना पड़ा.ताजा कटौती से पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतें अप्रैल के शुरुआती हफ्ते से स्थिर बनी हुई हैं. एक्साइज ड्यूटी में नई कटौती के बाद दिल्ली में पेट्रोल का भाव 96 रुपये 72 पैसे प्रति लीटर और डीजल का दाम 89 रुपये 62 पैसे प्रति लीटर हो गया है.

थोक महंगाई 1998 के बाद चरम पर
कोविड के समय दुनिया भर में सप्लाई चेन की जो दिक्कत शुरू हुई. वो रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के चलते सुधर नहीं पाई. इसका असर ये हुआ कि देश में महंगाई अपने चरम स्तर पर पहुंच गई. अगर बात थोक महंगाई की करें तो बीते एक साल से इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है. फरवरी 2022 में इसमें थोड़ी नरमी देखी गई, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इसमें फिर से बढ़त देखी जाने लगी.अप्रैल 2022 में इसने एक नया रिकॉर्ड ही बना दिया. ये बढ़कर 15.08% के स्तर पर पहुंच गई. जो 1998 के बाद थोक महंगाई का सबसे ऊंचा स्तर है. तब थोक महंगाई दर 15.32 फीसदी पर थी. मार्च 2022 में भी इसकी दर 14.55 फीसदी थी. थोक महंगाई दर की गणना WPI इंडेक्स पर की जाती है. इसमें पेट्रोल और डीजल की कीमतों का बड़ा योगदान होता है.

RBI की लिमिट से बाहर खुदरा महंगाई
इस बीच रिटेल मार्केट में भी वस्तुओं के दाम बढ़े हैं. अप्रैल 2022 के खुदरा महंगाई के आंकड़े दिखाते हैं कि ये RBI की 2 से 6 प्रतिशत की सीमा से बाहर है और ऐसा लगातार चौथे महीने हुआ है. अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.79% रही और ये मई 2014 के बाद खुदरा महंगाई का सबसे उच्च स्तर है.महंगाई का आलम ये है कि आरबीआई को मई में मौद्रिति नीति समिति की आपात बैठक बुलानी पड़ी और रेपो रेट में 0.40% की बढ़ोतरी करनी पड़ी. लगभग 2 साल बाद RBI ने रेपो रेट से छेड़छाड़ की और अब ये 4.40% हो गई है. खुदरा महंगाई को बढ़ाने में पेट्रोल और डीजल की कीमतों का बड़ा असर होता है. फ्यूल एंड लाइट (Fuel&Light) कैटेगरी में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) एक महीने पहले की तुलना में 3.1 फीसदी बढ़कर 10.8 फीसदी पर पहुंच गया. हालांकि खुदरा महंगाई को बढ़ाने की एक और वजह खाने-पीने की चीजों के दाम का बढ़ना भी होता है. लेकिन इस पर भी पेट्रोल-डीजल सीधा असर डालते हैं.

खाने की चीजों पर पेट्रोल-डीजल का असर
भारत में खाने-पीने की अधिकतर चीजों का ट्रांसपोर्टेशन सड़क मार्ग से होता है. ऐसे में डीजल की लागत बढ़ने से माल भाड़े का खर्च बढ़ता है और इस तरह खाने-पीने की चीजों का दाम बढ़ जाता है. CII के एक अध्ययन के मुताबिक अगर एक लीटर डीजल की कीमत 30% बढ़ती है तो माल भाड़ा 25% बढ़ जाता है.इसलिए अप्रैल 2022 के खुदरा महंगाई के आंकड़ों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने को लेकर दिखाई देती है. अप्रैल में फूड बास्केट की महंगाई दर 8.38% रही जो पिछले साल अप्रैल में महज 1.96% थी. खाद्य तेलों की महंगाई दर अप्रैल में सबसे अधिक 17.28% रही. जबकि इसके बाद सब्जियों की महंगाई दर 15.41% बढ़ी. इसके अलावा फ्यूल और लाइट की महंगाई दर अप्रैल में 10.80% रही. अगर महंगाई के आंकड़े देखें तो इसकी मार शहरों के मुकाबले गांव में ज्यादा देखी गई है. अप्रैल 2022 में ग्रामीण स्तर पर खुदरा महंगाई दर 8.38% रही, जबकि शहरों में ये स्तर 7.09% रहा. वहीं खाद्य मुद्रास्फीति के मामले में भी शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर 8.09% रही, जबकि ग्रामीण इलाकों में ये 8.50% रही. शायद इसलिए सरकार ने उज्ज्वला योजना (Ujjwala Yojana) लाभार्थियों को गैस सिलेंडर पर 200 रुपये की सब्सिडी देने का भी ऐलान किया है.

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