जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने दहेज हत्या के आरोपियों के विरुद्ध जारी गिरफ्तारी वारंट को निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट ने उन्हें जमानती वारंट से तलब करने के आदेश दिए। आरोपियों के अधीनस्थ न्यायालय में पेश होने पर उन्हें जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए।अभियोजन के अनुसार परिवादी बद्री लाल ने 10 अक्टूबर 2016 को पुलिस थाना महामंदिर में एक लिखित रिपोर्ट पेश कर बताया कि उसकी पुत्री सोनू की शादी श्यामलाल के साथ 27 नवम्बर 2015 को हुई थी। शादी के पश्चात उसकी पुत्री को उसका पति श्यामलाल. सास रामप्यारी एवं ससुर भीयाराम दहेज के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से तंग परेशान कर मारपीट करते थे। साथ ही और भी कई कारणों को लेकर परेशान करते थे। जिसके कारण परिवादी अपनी पुत्री को अपने घर ले आया। आरोपियों द्वारा परेशान करने के कारण उसकी पुत्री ने 19 अक्टूबर 2016 को आत्महत्या कर ली। सोनू ने आत्महत्या के पूर्व सुसाइड नोट भी लिखा। जिसमें आरोपियों द्वारा उसे तंग परेशान करने के कारण आत्महत्या करना बताया। एफएसएल जांच में सुसाइड नोट सोनू की हस्तलिपि में होना पाया। पुलिस ने धारा 304 बी, 306 व 498ए के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर बाद अनुसन्धान नकारात्मक अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में पेश कर दी। उसके बाद परिवादी द्वारा न्यायालय में प्रोटेस्ट पिटीशन पेश कर स्वयं सहित 6 गवाहों के बयान करवाए। सुनवाई के पश्चात अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 3 ने 23 नवम्बर 2021 को सोनू के पति, सुसुर व सास के विरुद्ध भा दं सं की धारा 304 बी व 130 बी के अपराधों का प्रसंज्ञान लेते हुए उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट किए।आरोपियों के अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत व रेखा सांखला ने उक्त प्रसंज्ञान के आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका पेश कर कोर्ट से निवेदन किया कि सोनू को दहेज की मांग को लेकर कभी तंग परेशान नहीं किया, सोनू ने आरोपियों को फसाने के लिए सुसाइड नोट में उनके विरुद्ध झूठे आरोप लगाए और परिवादी ने झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई। जिसमें पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट पेश की। ऐसे प्रकरण में आरोपियों के खिलाफ विधि विरुद्ध प्रसंज्ञान लिया जाकर उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं। लोक अभियोजक ने इसका विरोध करते हुए आरोपियों के विरुद्ध गंभीर आरोप होना बताया। सुनवाई के पश्चात हाई कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने आरोपियों के विरुद्ध जारी गिरफ्तारी वारंट को निरस्त कर दिया।

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