नई बहू के साथ सास का व्यवहार कैसा हो ताकि घर में बनी रहे शांति और रिश्तों में न आए दरार, जानिए जरूरी बातें
भारतीय समाज में सास और बहू का रिश्ता काफी अहम होता है। यह रिश्ता अगर प्यार और सम्मान से भरा हो, तो पूरे घर का माहौल सकारात्मक बन जाता है। लेकिन जब इसी रिश्ते में ईगो, टांग खिंचाई या उम्मीदों का बोझ शामिल हो जाए, तो तनाव पैदा होना तय है।
हर नई बहू अपने ससुराल में कुछ घबराहट और उम्मीदों के साथ कदम रखती है। ऐसे में अगर सास उसे अपनापन और सपोर्ट दे, तो बहू भी पूरे मन से परिवार को अपनाती है। इसलिए जरूरी है कि सास अपने व्यवहार में थोड़ी नरमी और समझदारी लाए।
सास और बहू के रिश्ते में क्यों जरूरी है तालमेल और सहयोग
बहू को समय दें खुद को ढालने का मौका
नई जगह, नए लोग, नए तौर-तरीके बहू के लिए सबकुछ नया होता है। ऐसे में अगर सास तुरंत उससे परफेक्ट बनने की उम्मीद करेगी, तो तनाव पैदा हो सकता है। सास को चाहिए कि वह बहू को घर के तौर-तरीकों से धीरे-धीरे परिचित कराए। उसे ये महसूस कराए कि वो अब इस घर की अहम सदस्य है और उससे कुछ भी पूछने में हिचकिचाए नहीं। जब बहू को अपनापन मिलेगा, तो वो भी जिम्मेदारियां दिल से निभाएगी।
तुलना से बचें और भरोसा जताएं
अक्सर सासें बहू की तुलना अपनी बेटी, पड़ोसी की बहू या फिर खुद से कर बैठती हैं। ये आदत रिश्ते में दरार पैदा कर सकती है। हर इंसान की परवरिश, सोच और काम करने का तरीका अलग होता है। बहू को भी अपना तरीका अपनाने का हक है। सास को चाहिए कि वो बहू पर भरोसा करे और जब भी बहू कुछ अच्छा करे, तो उसकी तारीफ जरूर करे। इससे बहू का आत्मविश्वास बढ़ेगा और सास से रिश्ता भी मजबूत होगा।
बातचीत रखें खुली और सम्मानजनक
हर रिश्ता संवाद पर टिकता है। अगर सास और बहू खुलकर बात नहीं करेंगे, तो गलतफहमियां बढ़ेंगी। सास को चाहिए कि वो बहू की बातों को सुनने और समझने का प्रयास करे। अगर किसी बात को लेकर असहमति हो, तो शांति से बात करें, ना कि ताना मारकर या दूसरों के सामने बहू की गलती निकालकर। बहू को भी सास की उम्र और अनुभव का सम्मान करना चाहिए।

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