सरगुजा: सैकड़ों ग्रामीण हुए बेरोजगार, आंदोलन तेज।पिछले सप्ताह से बंद हो चुकी परसा ईस्ट और केते बासेन (PIKB) में कार्यरत स्थानीय ग्रामीणों ने आज बुधवार को बिलासपुर-अंबिकापुर हाईवे के साल्ही मोड़ पर अपना धरना-प्रदर्शन तेज कर दिया। सरगुजा जिले के ग्राम परसा, साल्ही, घाटबर्रा, फत्तेपुर समेत कई गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने एकजुट होकर नौकरी खोने के भय से अपनी आवाज बुलंद कर दी है। उन्होंने खदान फिर से शुरू करने की मांग करते हुए धरना-प्रदर्शन किया।खदान में काम करने वाले सैकड़ों ग्रामीणों ने रैली निकालकर स्थानीय प्रशासन, मंत्री टीएस सिंहदेव और प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से नौकरी बहाल करने की गुहार लगाई है। परसा ईस्ट और केते बासेन (PIKB) कोयला खदान परियोजना के बंद होने से सरगुजा जिला मुख्यालय सहित आसपास के गांवों के व्यापारियों को भी चिंता होने लगी है। उन्होंने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्थानीय विधायक व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से गुजारिश की है कि खदान को फिर से शुरू किया जाए, नहीं तो उनके सामने खाने के भी लाले पड़ जाएंगे।धरने पर बैठे ग्रामीण।ग्राम परसा के दिनेश कुमार यादव, केते के कृष्ण कुमार, साल्ही के अमीर साय, घाटबर्रा की सिंधु यादव, फत्तेपुर के जगपाल सिंह और इनके सैकड़ों साथियों ने पत्र में सामूहिक हस्ताक्षर कर लिखा है कि सरगुजा जिले के उदयपुर तहसील में स्थित राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) द्वारा पीईकेबी कोयला खदान का संचालन किया जा रहा है। इसके लिए शासन ने उनकी जमीन का अधिग्रहण किया है और परियोजना में उन्हें जमीन के बदले रोजगार उपलब्ध कराया गया है। वे लोग कोयला खदान में नौकरी कर अपना और परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।धरने पर बैठे ग्रामीण।जीवनयापन का दूसरा कोई विकल्प नहींइन्होंने कहा कि उनका क्षेत्र सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में पड़ता है, इसलिए कोयला खनन परियोजना में मिलने वाले रोजगार के अलावा उनके पास जीवनयापन का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। परियोजना के चलने से आसपास के हजारों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। यही नहीं कंपनी के द्वारा यहां स्थानीयों की सुविधा के लिए स्वास्थ्य केंद्र, अंग्रेजी माध्यम का सीबीएसई स्कूल, शुद्ध पेयजल, एंबुलेंस की सुविधा, सौर ऊर्जा संचालित स्ट्रीट लाइट जैसे कई जनहित के कार्य चलाये जा रहे हैं। इसके साथ ही स्थानीय महिलाओं को स्वरोजगार भी उपलब्ध कराया गया है। कोयला खनन परियोजना के आने से यहां पर निवास कर रहे लोगों के आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में काफी सुधार हुआ है।खदान बंद होने से सैकड़ों लोग हुए बेरोजगारगांववालों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि पिछले कुछ दिनों से कोयला खदान बंद हो गया है, जिससे इस खनन परियोजना में कार्यरत सभी लोग बेरोजगार हो गए हैं। हमें भय है कि इससे कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई गई सभी जनहित की सुविधाएं जैसे अस्पताल, विद्यालय, पेयजल, एंबुलेंस भी आने वाले वक्त में बंद हो जाएंगी।परिवार का जीवन अंधकारमय हो जाने की कही बातलोगों ने कहा कि खदान से जुड़े लगभग 5000 लोगों का रोजगार समाप्त हो जाएगा, साथ ही हजारों ऐसे लोग जो प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं, वे भी बेरोजगार हो जाएंगे। इससे इस क्षेत्र का विकास पूर्णतः रुक जाएगा। इन सभी कारणों का जिक्र करते हुए स्थानीयों ने उनके साथ-साथ परिवार का जीवन फिर से अंधकारमय हो जाने की बात कही। पत्र और मीडिया के माध्यम से धरने पर बैठे सभी ग्रामीणों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक से मार्मिक गुहार लगाई है और पीईकेबी कोयला खनन परियोजना को तत्काल शुरू करने का आदेश देने की अपील की है।

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