संकट में फंसी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तमाम कोशिशों के बाजवूद संभल नहीं रही है। इसका खामियाजा देश के युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। रोजगार के मौके बढ़ नहीं रहे हैं और बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। आपको बता दें कि पाकिस्तान चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में आर्थिक वृद्धि को गति नहीं दे सका है, जबकि इस दौरान केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में 10 प्रतिशत की भारी कटौती की थी। एक मीडिया रिपोर्ट ने यह जानकारी दी गई है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने 27 जनवरी को की गई नवीनतम कटौती में ब्याज दर को एक प्रतिशत घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया है, जो पिछले साल जून के 22 प्रतिशत से 10 प्रतिशत कम है। उम्मीद थी कि इस निर्णय से मुद्रा आपूर्ति और वृद्धि को गति देने में मदद मिलेगी।
सस्ते लोने से भी नहीं मिला सहारा
समाचार पत्र ‘डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, ब्याज दर में भारी गिरावट के बावजूद चालू वित्त वर्ष (जुलाई-जून) के पहले सात महीनों के दौरान मौद्रिक विस्तार नकारात्मक रहा। इसमें कहा गया है कि ब्याज दरों में लगातार गिरावट के कारण बैंकों से निजी क्षेत्र और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफआई) की ओर भारी मात्रा में नकदी का प्रवाह हुआ। इसमें कहा गया, “फिर भी, यह आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित नहीं कर सका है।” चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में निजी क्षेत्र और एनबीएफआई को बैंक अग्रिम में तेजी से वृद्धि हुई।
आईएमएफ ने वृद्धि अनुमान घटाया
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने नकदी संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के आर्थिक परिदृश्य को संशोधित करते हुए वर्ष 2025 में उसकी आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर तीन प्रतिशत कर दिया है। आईएमएफ के संशोधित अनुमानों से यह भी संकेत मिलता है कि वर्ष 2026 में पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चार प्रतिशत पर रहेगी। हालांकि, वर्ष 2025 के वृद्धि दर अनुमान में आई गिरावट देश में चल रही आर्थिक चुनौतियों को दर्शाती है। हालांकि आईएमएफ ने संशोधन के लिए विशिष्ट कारण नहीं बताए हैं। मुद्राकोष ने तीन महीने पहले के अपने अनुमान में पाकिस्तान की वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत रहने की बात कही थी। यह नवीनतम संशोधन पिछले महीने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा किए गए पूर्वानुमान को प्रतिबिंबित करता है। एडीबी ने भी चालू वित्त वर्ष (2024-25) के लिए पाकिस्तान के वृद्धि पूर्वानुमान को तीन प्रतिशत तक समायोजित किया, जो पहले अनुमानित 2.8 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों संस्थानों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों का हवाला दिया है, लेकिन मध्यम अवधि के लिए सतर्कतापूर्वक आशावादी दृष्टिकोण बनाए रखा है।

Comments are closed.