जालंधर: जालंधर नगर निगम हाउस की बैठक में बहस करते पार्षददो बार रद्द होने के बाद आज हुई नगर निगम हाउस की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। एलईडी लाइट्स को लेकर बुलाई गई इस बैठक में कोई अधिकारी नहीं पुहंचा। इसके बाद पार्षदों का पारा चढ़ गया। पार्षदों ने पहले मेयर पर दबाव बनाया कि उन सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो आज पता होने के बावजूद बैठक में नहीं आए।कुछ पार्षदों ने तो यहां तक कह डाला कि यह ते सरेआम हाउस की तौहीन है। जन प्रतिनिधि शहर की समस्या को को लेकर बैठक कर रहे हैं और अधिकारी जो कि शहर में कमियों को लेकर या कामों के लिए जिम्मेदार हैं वह हाउस की बैठक से गायब हैं। सभी पार्षदों ने अधिकारियों के इस तरह से गैर जिम्मेदाराना रवैये को बहुत ही गंभीरता के साथ लिया।सभी पार्षदों ने मेयर जगदीश राजा की घेराबंदी करते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों पर तुरंत एक्शन होना चाहिए। इस मेयर जगदीश राज राजा ने कहा कि क्या अधिकारियों की एसी ना फरमानगी को लेकर सरकार को पत्र लिख दिया जाए? क्या हाउस की इस पर सहमति है? इस पर सभी पार्षदों ने एकजुटता से अपनी सहमति जता दी।पार्षदों के सवालों के जवाब देते मेयर जगदीश राजामीटिंगें रद कर दिया जा रहा कंपनी को टाइमपार्षदों ने कहा कि बार-बार मीटिंगों को रद इसलिए किया गया है क्यों कि कंपनी को अपना काम सही करने के लिए टाइम दिया जा रहा है। पार्षदों ने कहा कि जब से पिछली हाउस की मीटिंग में विशेष बैठक बुलाने का फैसला हुआ है तब से एलईडी लाइट्स लगाने वाली कंपनी भी सक्रिय हो गई है। कंपनी ने कुछ जगहें जो कि सर्वे में आई थीं पर लाइटें नहीं लगी थी वहां पर आनन-फानन में लाइटें लगानी शुरू कर दी हैं।पार्षद रोबिन ने कहा दो साल से उठा रहा हूं आवाज कोई सुनता नहींहाउस की बैठक के दौरान पार्षद रोनी ने कहा कि वह दो साल से स्ट्रीट लाइट में घोटाले को लेकर आवाज उठा रहे हैं। लेकिन कोई सुन ही नहीं रहा था। उन्होंने मेयर को घेरते हुए कहा कि अब जबकि नगर निगम के चुनाव सिर पर हैं ऐसे हालात में यह मुद्दा अब कैसे उभर कर बाहर आ गया है। उन्होंने कहा कि दो साल से वह शोर मचा रहे हैं मेयर इसका जवाब दें कि उन्होंने उस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।रोबिन ने कहा कि न तो अभी कर कंपनी ने शिकायतें सुनने के लिए शहर में कोई दफ्तर बनाया है और न ही शहर में कम्पलेंट ठीक करने के लिए कोई कंट्रोल रूम ही बनाया है। सर्वें के अनुसार जहां पर लाइटें लगनी चाहिए वह सारे डार्क जोन अब भी डार्क जोन ही हैं। वहां पर अभी तक लाइटें नहीं लगी हैं।हाउस की बैठक में अपने विचार रखते सुशील शर्माशुक्र है हाउस में भाजपा पार्षद भी बोलेहाउस की बैठक के दौरान केंद्र सरकार के एलईडी प्रोजेक्ट के मसले पर इस बार भाजपा पार्षदों की आवाज भी सुनने को मिली। हाउस में भाजपा के पार्षद औऱ जिला भाजपा के प्रधान सुशील शर्मा ने कहा कि इस सारे मामले की विजीलेंस या फिर केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई से जांच करवाई जानी चाहिए। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार यह प्रोजेक्ट वर्तमान राष्ट्रपति और तत्कालीन लोकल बॉडी मंत्री वेंकैया नायडू ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाया था। करप्शन को रोकने के लिए उन्होंने इसमें जनप्रतिनिधियों की भागीदारी को दूर ही रखा था। सिर्फ मेयर को उस कमेटी में बतौर सदस्य डाला गया था।उन्होंने कहा कि बेशक कमेटी बनाने के लिए हाउस में कह दिया गया है लेकिन शायद यह एग्जिस्ट नहीं कर पाएगी। उन्होंने कहा कि हाउस कंपनी की जांच के लिए सिर्फ जांच एजेंसियों को सिफारिश कर सकता है। अधिकारियों के न आने पर उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल गलत है और कार्रवाई होनी चाहिए।धरना देते कर्मचारीअंदर बैठक बाहर नारेबाजीरेडक्रास भवन में अंदर बैठक चल रही थी तो बाहर कर्मचारी निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। सीवरमैन, सफाई सेवकों साथ-साथ दर्जा चार के पदों पर काम करने वाले कर्मचारियं का कहना था कि वह आउटसोर्स पर पिछले सत्रह सालों से निगम में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनसे मेयर और निगम की सहायक कमिश्नर ने वादा किया था कि उन्हें हाउस की बैठक में प्रस्ताव डालकर निगम में ले लिया जाएगा। लेकिन अभी तक न तो हाउस की बैठक में प्रस्ताव आया और न ही उनकी सेवाएं निगम में हो पा रही हैं। उन्होंने कहा कि सहायक कमिश्नर ने कहा था कि आज जो बैठक हो रही है उसमें वह प्रस्ताव लाने की कोशिश करेंगी। लेकिन आज भी हाउस की बैठक में प्रस्ताव नहीं आया। उन्हें आश्वासन पर आश्वासन देकर बेवकूफ बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज जो निगम हाउस की चल रही बैठक के दौरान बाहर प्रदर्शन किया जा रहा है यह चेतावनी है कि अगर उनकी मांग पर विचार न किया तो वह अपना काम रोक सकते हैं। जिसकी सारी जिम्मेदारी निगम प्रशासन की होगी।दो बार बदली बैठक की तारीखएलईडी लाइट्स को लेकर जालंधर नगर निगम हाउस की बैठक की तारीख दो बार बदली। पहले यह तारीख इसलिए बदली गई थी कि पार्षदों ने नगर निगम के साथ एलईडी कंपनी के हुए समझौते की कॉपी मांगी थी, ताकि उसे स्टडी करके घोटाले का पता लगाया जा सके, लेकिन अधिकारियों ने यह उपलब्ध नहीं करवाई। इससे नाराज पार्षदों ने बैठक में आने से मना कर दिया था।मेयर के मान मनोबल के बाद पार्षद माने तो अगली बैठक के दिन एक पार्षद अरूणा अरोड़ा के पति मनोज अरोड़ा के निधन के कारण बैठक को मुल्तवी करना पड़ा। बता दें कि नगर निगम हाउस की जनरल मीटिंग में एलईडी लाइट्स को लेकर काफी हंगामा हुआ था। बहुत सारे पार्षदों ने शहर में लगी एलईडी लाइट्स को लेकर सवाल उठाए थे। यहां तक कहा था कि साढ़े चार साल में उनके इलाकों में तो अभी तक अंधेरा दूर करने के लिए एलईडी लाइट्स पहुंची ही नहीं है। कुछ ने आरोप जड़े थे कि जिन डार्क स्थानों पर एलईडी लाइट्स लगनी चाहिए थीं, वहां पर लगी ही नहीं हैं।पार्षदों की एक परेशानी यह भीपार्षदों ने मीटिंग में यह भी पूछ डाला था कि उन्हें बताया जाए कि स्मार्ट सिटी के तहत चल रहा यह प्रोजेक्ट नगर निगम के तहत ही आता है या फिर कोई नगर निगम के पैरलल अन्य एजेंसी काम कर रही है। इसके पीछे उन्होंने वजह बताई थी कि यदि कहीं पर एलईडी के खराब हो जाने पर नगर निगम के अधिकारियों को शिकायत की जाती है तो आगे से जवाब मिलता है कि यह स्मार्ट सिटी के तहत आता है। मामला ज्यादा ही गरमाने के बाद मेयर ने सभी को शांत करते हुए विशेष तौर पर इसी मुद्दे पर अलग से बैठक बुलाने के लिए कहा था। इसके लिए बाकायदा एक एजेंडा तैयार करने के लिए कहा था। इसी के मद्देनजर पिछले दिनों मेयर ने एलईडी लाइट्स को लेकर पार्षदों के साथ बैठक भी की थी।कमिश्नर को एडवांस में भेजी है प्रश्नावलीमेयर के साथ पार्षदों की बैठक में एक प्रश्नावली तैयार की गई है। यह प्रश्नावली निगम कमिश्नर को भेज गई है, ताकि एलईडी प्रोजेक्ट की विशेष बैठक में अधिकारी इस पर पूरी तैयारी के साथ आएं, क्योंकि बैठक में अब अधिकारियों को पार्षदों के सवालों के जवाब देने पड़ेंगे।एलईडी लाइटें लगाने के लिए हुआ था सर्वेशहर में एलईडी लाइटें लगाने से पहले बाकायदा नगर निगम ने एक सर्वे करवाया था। सर्वे में उन स्थावों को चिन्हित किया गया था, जो डार्क जोन हैं, जहां पर रात को अंधेरा रहता है। इसके अलावा भी मोहल्लों- गलियों में एलईडी लाइट्स लगनी थी, लेकिन हैरानी की बात है कि जिन स्थानों को सर्वे में चिन्हित किया गया था, वहां पर एलईडी लाइटें अभी तक नहीं लगी हैं।इसे लेकर पार्षदों ने हाउस की बैठक में घेराबंदी की थी। इसके अलावा बहुत सारी खराब पड़ चुकी एलईडी लाइटों को लेकर भी पार्षदों ने सवाल किए थे कि इन्हें ठीक नहीं किया जा रहा है। पार्षदों ने मेयर से सवाल कर दिया था कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट नगर निगम के अंडर ही है या फिर स्वतंत्र तौर पर चल रहा है।क्योंकि जब वह कोई शिकायत करते हैं तो अधिकारियों का आगे से जवाब होता है कि यह तो स्मार्ट सिटी के तहत आता है। क्या स्मार्ट सिटी के तहत नगर निगम से इतर कोई अलग टीम काम कर रही है। सवालों से घिरे मेयर ने बैठक में शिकायतों की जांच करवाने का आश्वासन दिया था। मेयर ने कहा था कि इस मुद्दे पर अलग से एक विशेष बैठक करेंगे।

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