पीड़ित, परेशान और चिंतित लोगों के लिए क्या कहते थे संत सियाराम बाबा? कृष्ण को बताया आत्मा, अर्जुन को मन
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में नर्मदा तट के किनारे बने भट्यान आश्रम के संत सियाराम बाबा आज सुबह 4:00 बजे ब्रह्मलीन हो गए हैं। निरंतर रामायण के पाठ में रत रहने वाले और हनुमान के अनन्य भक्त सियाराम बाबा से जब जीवन को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था “यह सब कर्मों का फल है”। एक निजी चैनल द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में क्या थे सियाराम बाबा के जवाब पढ़िए इस खबर में।
पीड़ित, परेशान और चिंतित लोगों के लिए क्या बोले संत सियाराम बाबा?
जब एक निजी चैनल द्वारा उनसे सवाल में पूछा गया कि बहुत कष्ट हैं संसार में , लोग परेशान हैं और एक संत हैं, जो यहां निरंतर अपनी उपासना में रत है वो क्या कहेगा संसार के परेशान, पीड़ित और चिंतित लोगों से, तब सिया राम बाबा ने जवाब दिया था “यह सब कर्मों का खेल है।”
इंसान पैदा होता है अपने मां बाप से, लेकिन संसार में उसका आना उसके कर्मों की वजह से होता है। संत सियाराम का कहना था, माता पिता अपने कर्म से आए हैं और बच्चा अपने, वे बच्चे को नहीं संभाल सकते। इस संसार में कोई किसी का साथी नहीं, केवल कर्म ही साथी है।
संसार को सही राह कैसे मिले?
जब उनसे संसार को सही राह कैसे मिले इस बात को लेकर सवाल किया गया था। तब बाबा का कहना था “यह सब संगति का असर है” जैसी जिसकी संगति वैसा उसपर असर। इसके लिए उन्होंने संत वाल्मीकि का उदाहरण दिया।
सियाराम बाबा ने कहा कि पूर्व जन्म के प्रारब्ध, इस जन्म की मेहनत और ईश्वर का आशीर्वाद अगर यह तीनों किसी को मिल जाए तो वह पानी में तैर सकता है। उनका कहना था कि जैसे रामायण में राम और रावण दोनों की बातें हैं। ऐसे ही संसार में अच्छाई और बुराई दोनों है। अब इंसान का कर्म है कि वह किसे लेना चाहता है।
अर्जुन और कृष्ण मतलब आत्मा और मन
अर्जुन और कृष्ण के संवाद को बदलते हुए सियाराम बाबा ने कहा था कि अर्जुन और कृष्णा क्या है! यह मन और आत्मा हैं, आत्मा कृष्णा है जो प्रकाश करती है जिससे मन रूपी घोड़े को लगाम दी जाती है।
संसार को नहीं देते, संदेश कोई लेता नहीं
जब सियाराम बाबा से संसार को संदेश देने की बात को लेकर सवाल किया गया, तब उनका कहना था कि “संदेश किसी को लगता नहीं है”, यह केवल दिखावा है। बोले जिसके पूर्व जन्म के संस्कार हैं उसके अंदर स्वतः ही प्रकाश जागेगा।
जब फुर्सत हो तब पाठ कर लेते हैं
रामायण पाठ को लेकर सियाराम बाबा का कहना था कि उनका ऐसा कोई नियम नहीं है कि वह दिन में कितने घंटे रामायण का पाठ करेंगे। उन्हें जब फुर्सत मिलती थी वह रामायण का पाठ करने लगते थे।
क्या मां नर्मदा में शक्ति है
मां नर्मदा की शक्ति के सवाल पर उनका कहना था हमें उनमें कोई शक्ति नहीं दिखती क्योंकि हम कभी शक्ति की परीक्षा ही नहीं करते। कहां हम हमारा काम कर रहे हैं वह हमें शक्ति दे रही है।
हम इन प्रपंचों से दूर रहते हैं
अयोध्या राम मंदिर के सवाल पर उन्होंने साफ-साफ कहा कि हम इन सब बातों से दूर रहते हैं। हालांकि उनके द्वारा राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान ढाई लाख रुपए का अनुदान दिया गया था। उनका कहना था की जिसे जो करना है वह कर रहा है। हम इन सब बातों का प्रचार नहीं करते हैं। हम किसी प्रपंच में नहीं रहते हैं बस अपना काम करते हैं।

Comments are closed.