IMF यानी इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड इस समय काफी चर्चा में है। वजह है पाकिस्तान के लिए 1 अरब डॉलर के लोन को मंजूरी देना। आईएमएफ ने यह लोन ऐसे समय में मंजूर किया है, जब भारत की पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई चल रही थी। ऐसे में आईएमएफ पर काफी सवाल उठ रहे हैं। IMF की स्थापना साल 1944 में 44 देशों ने की थी। आज इसके सदस्यों की संख्या 191 हो चुकी है। अब कई लोगों के मन में यह सवाल होगा कि पूरी दुनिया को लोन देने वाले आईएमएफ के पास आखिर पैसा आता कहां से है? आइए जानते हैं।
IMF के पास कहां से आता है पैसा
आईएमएफ के पास तीन सोर्सेज से पैसा आता है। पहला- मेंबर कोटा। दूसरा- ब्याज आय। तीसरा- NAB और BBA है। आईएमएफ के पास आने वाले पैसे का प्राइमरी सोर्स मेंबर कोटा है। मेंबर कोटा एक तरह की फीस होती है, जो सदस्य देश को मेंबरशिप के लिए देनी होती है। इसे मेंबरशिप फीस भी कह सकते हैं। किसी देश के ग्लोबल इकोनॉमी में आकार और स्टेटस से उसका कोटा तय होता है। इसी से उस देश की वोटिंग पावर तय होती है। दूसरे सोर्स की बात करें, तो आईएमएफ जब किसी देश को लोन देता है, तो उससे ब्याज भी कमाता है। इसके अलावा आईएमएफ जरूरत पड़ने पर दूसरे देशों से कर्ज भी लेता है। इसे New Arrangements to Borrow (NAB) कहते हैं। अगर आईएमएफ सदस्य देश से कर्ज लेता है, तो इसे Bilateral Borrowing Agreements (BBA) कहते हैं। भारत ने आईएमएफ से साल 1993 के बाद कोई कर्ज नहीं लिया है।
मिलता है 3 तरह का कर्ज
आईएमएफ अपने मेंबर्स को 3 फॉर्मेट में कर्ज देता है। ये Rapid Financing Arrangement, Extended Fund Facility और Stand By Arrangements हैं। इनकी अलग-अलग शर्तें होती हैं। अगर कर्ज लेने वाला देश शर्तें स्वीकार कर लेता है, तो लोन देने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। आईएमएफ के सबसे बड़े कर्जदार देश अर्जेंटीना, यूक्रेन, मिस्र और पाकिस्तान हैं।

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