पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की जयंती आज, एक नजर उनके 10 महत्वपूर्ण कामों पर जिसने बदली देश की तकदीर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने आज पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। अरुण जेटली अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा आम लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने वाले कामों को हमेशा याद किया जाएगा। आपको बता दें कि अरुण जेटली ने जीएसटी लागू करने से लेकर जनधन योजना को जमीन पर उतारने में अहम भूमिका निभाई। इसका असर आज इंडियन इकोनॉमी से लेकर आम लोगों की जिंदगी पर साफ देखने को मिलता है। आकर्षक व्यक्तित्व, कुशल वक्ता, हर सब्जैक्ट पर अच्छी पकड़ रखने वाले अरुण जेटली को आज हम उनकी जयंती पर याद कर रहे हैं और उनके द्वारा किए गए उन 10 प्रमुख कामों के बारे में बता रहे हैं।
अरुण जेटली ने अपने कार्यकाल (2014-2019) के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। उनके द्वारा किए गए 10 प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं।
1. GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) लागू करने में अहम भूमिका
अरुण जेटली ने देश में GST लागू करने में अहम भूमिका निभाई थी। “एक देश, एक कर” की अवधारणा को उन्होंने अपनी सूझबूझ से सफल बनाया।
2. जन-धन योजना
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत लाखों लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा गया। इससे गरीब तबके को वित्तीय सेवाएं सुलभ हुईं। इस योजना को जमीन पर उतारने में अरुण जेटली की अहम भूमिका रही थी।
3. इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड (IBC)
डूबे हुए कर्ज (एनपीए) की समस्या से निपटने के लिए इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड को लागू करने में अरुण जेटली ने काफी काम किया। अब यह कानून आर्थिक विवादों को तेजी से हल करने में काफी मददगार साबित हो रहा है।
4. कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा
डिजिटल इंडिया और यूपीआई जैसी पहलों के जरिए डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देने में अरुण जेटली के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
5. मुद्रा योजना
अरुण जेटली छोटे कारोबारियों को आसानी से लोन मुहैया कराने के लिए मुद्रा योजना लेकर आए थे। अब इसके तहत 20 लाख रुपए तक का लोन आसानी से मिलता है।
6. उज्जवला योजना
अरुण जेटली के प्रयास से उज्जवला योजना लागू हुआ। उज्ज्वला योजना के तहत महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जाते हैं। इससे लाखों महिलाओं को फायदा मिला है।
7. मातृत्व अवकाश
अरुण जेटली ने महिलाओं की परेशानी को देखते हुए मातृत्व अवकाश बढ़ाकर 26 सप्ताह करने का फैसला किया था।
8. नोटबंदी (डिमोनेटाइजेशन)
2016 में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद कर नकली मुद्रा, काले धन, और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 नवंबर 2026 को किया था। अरुण जेटली नोटबंदी को लागू करने में अहम रोल निभाए थे।
9. बैंकिंग सेक्टर का पुनर्गठन
सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण (recapitalization) और विलय के माध्यम से बैंकिंग क्षेत्र को सशक्त बनाने का काम अरुण जेटली ने किया।
10 . कंपनी कर में कटौती
अरुण जेटली ने ही कंपनियों के लिए कर की दर को कम कर 25% किया, जिससे निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिला। साथ ही रक्षा, रिटेल और इंश्योरेंस जैसे क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा बढ़ाई, जिससे भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि हुई। अरुण जेटली के इन सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आधुनिक, समावेशी और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अरुण जेटली
राजनीति में कदम
अरुण जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय के दिनों से ही छात्र राजनीति में एक्टिव थे। छात्र जीवन में अरुण जेटली आरएसएस की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य थे। अरुण जेटली ने स्नातक के दिनों में देशभर में प्रसिद्ध श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्र थे, वो इस कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद अरुण जेटली ने वकालत में एडमिश्न लिया और साल 1974 में एबीवीपी के प्रत्याशी के तौर पर डीयू के अध्यक्ष चुने गए। इंदिरा गांधी के शासन के दौरान जब देश में आपातकाल लागू किया गए तो देशभर के कई नेताओं और समाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। उन दिनों सरकार का विरोध करने पर अरुण जेटली को भी दिल्ली की तिहाड़ जेल में 19 महीने के लिए बंद कर दिया गया। जेल में अरुण जेटली की मुलाकात विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले दिग्गजों से हुई।
1980 में हुई भाजपा में एंट्री
एबीवीपी, लोकतांत्रिक युवा मोर्चा के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर चुके अरुण जेटली की भाजपा में एंट्री साल 1980 में हुई। उन दिनों अरुण जेटली दिल्ली में वकालत भी कर रहे थे। एक वकील और एक नेता के तौर पर अरुण जेटली देशभर मे विख्यात होते जा रहे थे। अरुण जेटली को साल 1991 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान दिया गया। अरुण जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष भी चुने जा चुके हैं। इतना ही नहीं, साल 2009 में अरुण जेटली बीसीसीआई के उपाध्यक्ष भी चुने गए।
अटल सरकार में बने कैबिनेट मंत्री
अरुण जेटली को पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री पद दिया गया। उन्हें 1999 में राज्य मंत्री का पद दिया गया था, इसके बाद वो साल 2000 में भारत के कानून न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री बनाए गए। अगले ही साल उन्हें जहाजरानी मंत्रालय की जिम्मेदारी भी दी गई, जहां उन्होंने पोर्ट्स के आधुनिकीकरण की तरफ खास ध्यान दिया।
2002 में चुने गए भाजपा के जनरल सेक्रेटरी
एक तरफ जहां अरुण जेटली केंद्र की अटल बिहारी सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालयों को बेहतरीन तरीके से संभाल रहे थे, वहीं दूसरी तरफ उनका कद संगठन की राजनीति में भी बढ़ रहा था। साल 2002 में अरुण जेटली भाजपा के जनरल सेक्रेटरी चुने गए। देश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी वो भाजपा के प्रमुख चेहरों में बने रहे। साल 2006 में उन्हें गुजरात से राज्यसभा भेजा गया। साल 2009 में अरुण जेटली राज्यसभा में विपक्ष के नेता चुने गए। भाजपा के एक पद वाली नीति के तहत उन्होंने संगठन के जनरल सेक्रेटरी के दायित्व से इस्तीफा दे दिया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता की हैसियत के तौर पर उन्होंने CWG स्कैम, महिला आरक्षण बिल, इंडिया-अमेरिका न्यूक्लियर डील सहित कई मुद्दों पर दमदार भूमिका निभाई। साल 2012 में अरुण जेटली एकबार फिर से गुजरात से राज्यसभा के लिए चुने गए।
मोदी सरकार 1.0 में भी मिली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके अरुण जेटली को साल 2014 की मोदी सरकार में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। हालांकि लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट पर वो हार गए, लेकिन उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें वित्त, रक्षा के अलावा भी कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई। मार्च 2018 में अरुण जेटली यूपी से राज्यसभा सदस्य चुने गए। लगातार गिरती सेहत के मद्देनजर अरुण जेटली ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्री पद लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्टी लिखकर कोई भी दायित्व न देने का अनुरोध किया।

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