लखनऊ पुलिस की PUBG की थ्योरी ने अभिभावकों में दहशत पैदा कर दी है। खौफ इस हद तक है कि माता-पिता ने बच्चों के हाथ से फोन छीन लिए। ये हालात उस यमुनापुरम कॉलोनी की है। जहां 16 साल के बेटे ने अपनी मां के सिर में गोली मारकर हत्या कर दी थी।इस घटना के बाद पुलिस ने दावा किया कि PUBG गेम खेलने से रोकने पर बेटे ने मां साधना सिंह की हत्या की। हालांकि बेटे ने काउंसलिंग के दौरान तीसरे दिन ही पुलिस की इस थ्योरी को झूठा बताया।उसने हत्या की वजह मां का किसी से मिलना जुलना बताया। लेकिन पुलिस अपनी थ्योरी पर अड़ी रही और उसकी इस अकड़न ने कॉलोनी के तमाम बच्चों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी। कॉलोनी के हर मां-बाप अपने बच्चों को शक की नजर से देखने लगे। की टीम ने कॉलोनी की महिलाओं से बातचीत की तो और इस घटना पर उनकी राय जानने की कोशिश की…..ये तस्वीर साधना सिंह की है। PUBG गेम खेलने से रोकने पर बेटे ने उनकी हत्या की। (फाइल फोटो)पैरेंट्स बोले- मां-बाप पढ़े लिखे नहीं, कैसे जाने बेटा धोखा दे रहायमुनापुरम कॉलोनी की रहने वाली रानी सिंह कहती हैं कि हर मां-बाप इतने पढ़े लिखे नहीं की समझ पाए बेटा फोन में पढ़ाई कर रहा या धोखा देकर PUBG खेल रहा। कोरोना में स्कूल बंद थे। पढ़ाई के लिए बच्चों को फोन देना पड़ा था। इस घटना के बाद बेटे से फोन छीन लिया। बेटा मेरा ही हत्यारा बने इससे अच्छा है मोबाइल से दूर रहे।इसी कमरे में साधना की लाश मिली थी। बेटे ने मां को गोली मार दी थी।बेटे को काबिल बनाने के लिए अपनी हत्या नहीं करवा सकतेइसी कॉलोनी की रहने वाली सुशीला का कहना है कि हर कोई चाहता है कि औलाद तरक्की करे। लेकिन उसे काबिल बनाने के लिए कोई मां-बाप अपनी हत्या नही करवा सकते। पुलिस साफ-साफ कह रही कि साधना दीदी को उनके बेटे ने PUBG खेलने से रोकने पर ही मारा है। अब तो बेटा हो या बेटी किसी पर भरोसा नही। बच्चे स्कूल में जाकर पढ़ें। मोबाइल तो उन्हें हरगिज नही दूंगी।ये तस्वीर 8 जून की है। फौजी नवीन रोते हुए, परिवार के सदस्य उन्हें दिलासा देते हुए।-फाइल फोटोमां-बाप के लिए अभिशाप है बच्चों के हाथ में मोबाइलकॉलोनी की रहने वाली शशि सिंह तो मोबाइल को अभिशाप कहती हैं। उनका कहना है कि पुलिस जिस दावे के साथ इस हत्याकांड की वजह PUBG बता रही वो बहुत डराने वाला है। मोबाइल बच्चों के हाथ मे देकर कौन उन्हें अपराधी बनाना चाहेगा। बेटा कम पढ़े, लेकिन मेरी जान तो न ले बस इतना चाहती हूं।ये तस्वीर लखनऊ के साइकोलॉजिस्ट डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव की है।मोबाइल से दूरी बच्चों को बना सकता है मानसिक रोगीलखनऊ के साइकोलॉजिस्ट डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव का कहना है कि इंटरनेट बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बेहद जरूरी माध्यम बन चुका है। यहां उनके लिए पाठ्यक्रम से लेकर समसामयिक विषयों से जुड़ी सभी चीजें आसानी से मिल रही हैं। बस उन्हें इसके सदुपयोग के बारे में जागरूक करना जरूरी है। इंटरनेट के लिए सबसे सुलभ माध्यम फोन हैं। इसे उनके हाथ छीनना कोई विकल्प नहीं है। इससे बच्चे के अंदर हीन भावना पैदा होगी जो उसे एक समय के बाद मानसिक रोगी बना देगी।वारदात की रात यानी 7 जून को बेटी को पुलिस ने अपने कब्जे में लिया था।

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