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प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान क्या है | Pradhan Mantri Gramin Digital Saksharta Abhiyan in hindi

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (सर्टिफिकेट, लाभ) (Pradhan Mantri Gramin Digital Saksharta Abhiyan in Hindi) [Online Regration, Login]

हमारे राष्ट्र ने पिछले कुछ सालों में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काफी उन्नति की है. किन्तु बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ इसकी कमी के चलते लोग वर्तमान समय के अनुसार जीवन व्यतीत नहीं कर पाते हैं. खास कर के गाँव या छोटे तबके में रहने वाले लोग, जिनके पास अधिकतर कंप्यूटर, ई – मेल्स, स्मार्ट फोन जैसी आधुनिक तकनीक नहीं होती हैं. ऐसे लोगों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा योजना को लागू किया गया है, जिसके तहत सभी पंचायत क्षेत्र में आने वाले के लोगों को डिजिटल शिक्षा के माध्यम से शिक्षित किया जाता है. यह योजना ‘डिजिटल इंडिया प्रोग्राम’ के लक्ष्य को पूरा करने की तरफ एक कदम है.

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान योग्यता (Eligibility)

ग्रामीण क्षेत्र एवं गाँव में रहने वालों के लिए :- यह योजना केवल उन नागरिकों के लिए है, जो ग्रामीण क्षेत्रों या गाँव में रहते हैं. इसके लिए रजिस्टर्ड होने के लिए शहरी क्षेत्र के निवासियों को अनुमति नहीं दी गई है.एक परिवार से केवल एक सदस्य :- इस योजना के तहत डिजिटल प्रशिक्षण प्रत्येक घर से केवल एक सदस्य को प्रदान किया जायेगा. और इसमें उस व्यक्ति को प्रशिक्षण प्राप्त करने की अनुमति है जो डिजिटल रूप से साक्षर नहीं है.आयु मापदंड :– इस योजना में रजिस्ट्रेशन करने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 14 वर्ष एवं अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष तय की गई है. इस आयु सीमा के बीच का कोई भी व्यक्ति इसके लिए योग्य है.विशेष ध्यान :– इस योजना में उन लोगों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा, जिन्होंने वयस्क साक्षरता मिशन, स्कूल या कॉलेज के ड्रॉप आउट्स और स्कूल के वे छात्र जिनके स्कूल में कंप्यूटर की सुविधा नहीं है आदि के रूप में रजिस्टर किया हो.प्राथमिकता :- इसके अलावा इस योजना में उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जोकि महिला उम्मीदवार हो, पिछड़े वर्ग से सम्बन्ध रखते हो, एससी / एसटी श्रेणी के हो और धर्मिक अल्पसंख्यक हो.

आवेदन की प्रक्रिया (Regration process)

इस योजना में कोई भी नये उम्मीदवार को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के लिए इस लिंक https://pmgdisha.info/login पर क्लिक करना होगा. और इसके बाद उन्हें ‘रजिस्टर’ बटन पर क्लिक करना होगा.इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सबसे जरूरी दस्तावेज आधार कार्ड है अतः यहाँ आवेदकों को अपना 12 अंकों का आधार नंबर देना आवश्यक है.इसके बाद अगला चरण ई – केवाईसी है जोकि या तो फिंगरप्रिंट स्कैन करके या आँखों को स्कैन करके या मोबाइल फोन में ओटीपी सत्यापित करके किया जा सकता है. जिनके पास फिंगरप्रिंट स्कैनर या रेटीना स्कैनर नहीं है, तो वे तीसरे विकल्प को चुन सकते हैं जोकि मोबाइल फोन ओटीपी सत्यापन है.इसके लिए आपको वैलिड मोबाइल नंबर देना होगा, जिसमें ओटीपी भेजा जायेगा. सही ओटीपी इंटर करने के बाद आपको ‘वैलिडेट ओटीपी’ पर क्लिक करना होगा.फिर आप स्टूडेंट टैब में जाकर अपनी सभी जानकारी की जाँच कर सकते हैं. एक बार रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद छात्र उसमें यूजर आईडी और पासवर्ड जनरेट करके अपना नया अकाउंट खोल सकते हैं.

प्रशिक्षण पार्टनर्स रजिस्ट्रेशन एवं उसकी जानकारी (Traning Partners Regration and Details)

इस योजना को भारत सरकार के लिए फायदेमंद बनाने के लिए कुछ प्रशिक्षण पार्टनर्स का निर्णय लेने का फैसला लिया गया है, जोकि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को लागू करने के लिए सरकार की मदद करते हैं. प्रशिक्षण पार्टनर्स पर अपने क्षेत्र में प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी होगी. अर्थात प्रशिक्षण पार्टनर्स के अंतर्गत आने वाले प्रशिक्षण केन्द्रों की सभी गतिविधियों की निगरानी के लिए प्रशिक्षण पार्टनर्स खुद जिम्मेदार होंगे. डिजिटल शिक्षा प्रशिक्षण केन्द्रों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उनके इसके तहत रजिस्टर होने की निम्न प्रक्रिया है

सबसे पहले सभी प्रशिक्षण केन्द्रों को जोकि इस योजना का हिस्सा बनना चाहते हैं, उनका रजिस्टर्ड संगठन का हिस्सा होना आवश्यक है. इसमें रजिस्टर्ड होने के लिए उन्हें आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता होगी.इसमें उपयोग होने वाले सभी कानूनी दस्तावेज पूरे हो जाने के बाद सीएससी – एसपीवी द्वारा इसका निरीक्षण किया जायेगा.इसके बाद उन प्रशिक्षण केन्द्रों को कुछ भूमिकाओं का पालन करना होगा, जिसमें कोर्स के लिए उम्मीदवार को बुलाना, कोर्स का गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करना, उम्मीदवारों की उपस्थिति चिन्हित करना और ऑनलाइन मॉनिटरिंग एप्लीकेशन के साथ ही लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग करके मूल्यांकन करना जारी रखना आदि शामिल है.इसके अलावा उम्मीदवार का रिकॉर्ड और साथ ही यह सुनिश्चित करना कि उनकी ऑनलाइन परीक्षा में उपस्थिति हो, इसकी जिम्मेदारी भी प्रशिक्षण केंद्र की ही होगी.

प्र धानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान क्या है? ( Pradhan Mantri Gramin Digital Saksharta Abhiyan in hindi )

केन्द्र सरकार ने 6 करोड़ ग्रामीणों को डिजिटली साक्षर करने के लिए यह योजना तैयार की है. इस योजना के सम्बन्ध में बजट के दौरान घोषणा की गई थी. इन 6 करोड़ लोगों को ​डिजिटल साक्षर बनाने का लक्ष्य 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके पूरा हो जाने के बाद सबसे बड़ा लाभ बैंकिंग सेक्टर को होने वाला है क्योंकि डिजिटल साक्षर व्यक्ति अपने रूपयों का लेन—देन इंटरनेट और ऐसे ही दूसरे माध्यमों से करने लग जाएगा, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है. इतने बड़े काम को पूरा करने के लिए 2 हजार 351 करोड़ रूपये की बड़ी राशि के बजट का प्रावधान किया गया है. उम्मीद तो यह भी जताई जा रही है कि इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेने के बाद इंडिया को कैशलेस बनाने का उद्देश्य प्राप्त करना भी सरल हो जाएगा. इस योजना में इस बात की व्यवस्था की गई है, कि डिजिटल ट्रेनिंग न सिर्फ ग्रामीणों को ही दी जाएगी, बल्कि ऐसे लोगों को भी डिजिटल साक्षर बनाया जाएगा जो आगे चलकर ट्रेनर के तौर पर विकसित होकर और लोगों को भी डिजिटल साक्षरता से जोड़ सकें. पहले साल में 25 लाख लोगों को यह ट्रेनिंग या प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जिसे दूसरे साल में बढ़ाकर 275 लाख कर दिया जाएगा और तीसरे साल में इसके लक्ष्य को विराट बनाते हुए 300 लाख लोगों को इस तरह के प्रशिक्षण से जोड़कर उन्हें डिजिटल साक्षर बना दिया जाएगा. इस तरह इस पूरे कार्यक्रम के दौरान 6 सौ लाख लोग प्र​शिक्षित हो जाएंगे. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने 2.5 लाख पंचायतों में से हरेक से 300 लोगों को चयन करने का फैसला लिया है और इन 300 लोगों को सबसे पहले डिजिटली साक्षर करने का प्लान बनाया गया है. डिजिटल साक्षरता की दृष्टि से देखें तो यह अपनी तरह की पूरी दुनिया में इस तरह की साक्षरता का प्रशिक्षण देने वाली सबसे बड़ी योजना है.

  ट्रेनिंग के क्या होंगे लाभ?

इस योजना के तहत दी जाने वाली ट्रेनिंग के बाद प्रशिक्षित लोग आसानी से अपने कम्प्यूटर और स्मार्टफोन के फीचर्स का इस्तेमाल कर पाएंगे. साथ ही उन्हें भुगतान करने की प्रक्रिया और सुरक्षित तरीके से लेन—देन करने का तरीका पता चल जाएगा जिससे होने वाले साइबर फ्रॉडस की संख्या में भी कमी आएगी. इस लक्ष्य के पूरा हो जाने के बाद ऐसे प्रशिक्षित लोग अपने आस—पास के लोगों के लिए बतौर प्रशिक्षक और प्रेरक बन कर काम आएंगे. दरअसल यह एक तरह से बीज रोपने की प्रकिया है जो ज्ञान का प्रसार अपने आस—पास के लोगों में कर पाएगा. इससे यह होगा कि कैशलेस इंडिया की कल्पना को जो लोग नामुमकीन मान कर चल रहे हैं, वे इसे साकार होता हुआ देख पाएंगे. इसे एक सूचना प्रौद्योगिकी सुधार और प्रसार कार्यक्रम की तरह भी देखा जा रहा है जिससे सुदूर गांवों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित हो जाएगी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर पड़ने वाला दबाव कम होगा. इससे मल्टीनेशनल कंपनियों को स्मार्ट फोन और कम्प्यूटर के माध्यम से ग्रामीण भारत के उपभोक्ता भी आसानी से मिलने लगेंगे और भारतीय बाजार का आकार बड़ा हो जाएगा. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में भी काफी सुधार होगा.

कैसे करेंगे ट्रेनिंग की व्यवस्था?

चूंकि यह अभी तक का दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल ट्रेनिंग प्रोग्राम है इसलिए इसकी सफलता के लिए जरूरी है कि राज्यों के आईटी डिपार्टमेंट को इनसे जोड़ा जाए. जो भारत सरकार के साथ मिलकर विभिन्न स्तरों पर लागू किए जाने वाले कार्यक्रमों को प्रचारित, प्रसारित और कार्यान्वित करेंगे. साथ ही प्रधानमंत्री भी इस योजना में होने वाली गतिविधियों में अपने इनपूट देंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे लाभ उठा सकें. इस क्षेत्र में काम कर रही दूसरी संस्थाओं और विदेशी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि उनके अनुभव का लाभ उठाया जा सके. इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि कैसे एक ग्रामीण जो अंग्रेजी भाषा कम समझता है और तकनीक के साथ जिसका सामाना भी अभी तक बहुत सीमित है, उसके लिए कैसे एक बेहतरीन और आसानी से समझ में आ सकने वाला ट्रेनिंग प्रोग्राम डिजाइन किया जा सके. इसे सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को भी इससे जोड़ा जाएगा.

क्यों बड़ी चुनौती है यह कार्यक्रम?

सुनने में तो यह बहुत अच्छा लगता है​ कि इस कार्यक्रम से भारत की ग्रामीण जनसंख्या का एक बड़ा भाग डिजिटली साक्षर हो जाएगा लेकिन भारत के साथ एक बड़ा सेटबैक यह है कि ग्रामीण भारत में इसके लिए आवश्यक और जरूरी उपकरण आवश्यकता से बहुत कम है. एनएसएसओ के एक सर्वे के अनुसार ग्रामीण भारत में भारत के कुल कम्प्यूटर्स का कुल 6 प्रतिशत ही मौजूद है और 94 प्रतिशत जनसंख्या अभी भी इससे अछूती है. ऐसे में बड़ी चुनौती है कि किस तरह हरेक ग्रामीण तक सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ा उपकरण पहुंच पाता है और वह उसका नियमित इस्तेमाल कर पाता है. लेकिन एक अच्छी खबर यह है कि स्मार्ट फोन के आ जाने के बाद यह संभव होता दिखाई दे रहा है क्योंकि एक तो इनकी कीमत कम्प्यूटर की तुलना में एक चौथाई से भी कम होती है और दूसरे इन्हें कम्प्यूटर की तुलना में उपयोग करना कहीं आसान है. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि आने वाले समय में स्मार्ट फोन की उपलब्धता बढ़ने की वजह से इस कार्यक्रम की सफलता का प्रतिशत बढ़ने की संभावना है. अगर सरकार का यह कदम सफल हो जाता है ​तो निश्चित तौर पर यह भारत के लिए बड़ी सफलता होगी. इससे न सिर्फ देश का विकास तेजी से होगा बल्कि लेन—देन के दौरान मानव संसाधन पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी और देश की अर्थव्यवस्था तेजी से मजबूत होगी.

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