बस्तर की 36 आदिवासी महिलाएं बनेंगी बुनकर, कोसा उत्पादन के साथ साथ उससे कपड़े बनाने का भी उन्हें दिया जा रहा है प्रशिक्षण
जगदलपुर: बस्तर जिले की 36 आदिवासी युवतियां और महिलाएं पहली बार कोसा उत्पादन के साथ ही इसका कपड़ा बनाने का काम सीख रही हैं।बस्तर जिले की 36 आदिवासी युवतियां और महिलाएं पहली बार कोसा उत्पादन के साथ ही इसका कपड़ा बनाने का काम सीख रही हैं। वे जल्द ही बुनकर बन जाएंगी। संभागीय मुख्यालय स्थित जिला अंत्यावसायी सहकारी समिति के माध्यम से मुफ्त प्रशिक्षण ले रहीं महिलाओं ने कहा कि मेहनत, हौसला और आगे बढ़ने की चाह हो तो खुशियां कोसा के महीन धागों से भी खींचीं चली आती हैं। कोसा उत्पादन एवं कोसे के इन्हीं महीन धागों से वे अब अपने जीवन का ताना-बाना बुनने लगी हैं।युवतियों ने बताया कि समिति के माध्यम से दिए जाने वाले प्रशिक्षण में वे इन दिनों कोसा उत्पादन और कोसा से धागा निकालने की कला सीखकर इसे न सिर्फ अपने आय का एक नया जरिया बनाने में जुटी हुई हैं बल्कि आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मददगार बनेंगी। यह पहली बार आदिवासी युवतियां और महिलाएं बुनकरी करने के लिए आगे आई हैं।इन लोगों को तीन महीने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण अवधि में प्रशिक्षणार्थी को 1500 रुपए दिए जा रहे हैं। काफी लगन और मेहनत से इन महिलाओं ने कोसा बाड़ी में कोसा उत्पादन और कोसा से धागा निकालने की कला को सीखा और धीरे-धीरे उसमें दक्ष होकर आगे बढ़ रही है।सब कुछ ठीक रहा तो हर महीने एक महिला कमाएगी 8 से 10 हजार रुपएपहली बार बुनकर का काम करने वाली इन महिलाओं और युवतियों को प्रशिक्षण लेने के बाद कारोबार करने में कोई परेशानी नहीं होगी। प्रशिक्षण के बाद इन्हें सहकारी समिति के माध्यम से यहीं व्यवसाय करने की सुविधा दी जाएगी। कार्यपालिक अधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षण खत्म करने के बाद इन लोगों को कच्चा माल दिया जाएगा। जिसे वे मांग के अनुसार बनाएंगी। यह काम जब तक वे चाहेंगी उन्हें यह सुविधा दी जाएगी।श्रीवास ने बताया कि कपड़ा और धागा तैयार कर एक महिला या युवती हर महीने कम से कम 8 से 10 हजार रुपए कमा सकेगी। गुनमनी, बसंती बघेल, विनिता और शकुंतला नाग, गीता कुंजाम और ललिता ने कहा कि यहां पर कोसा का अलग-अलग काम हम अपनी इच्छा के अनुसार सीख रहे हैं। यहां पर हमें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है।। इससे पहले हम मजदूरी करने और घर के कामकाज तक सीमित थे। लेकिन अब आय बढ़ेगी।

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