बिहार में इस साल के अंत में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर सियासी भूचाल आ गया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के बहाने गरीब, पिछड़े और प्रवासी तबकों के वोटर लिस्ट से नाम काटने की साजिश रची जा रही है। इसी मुद्दे को लेकर बुधवार, 10 जुलाई को ‘बिहार बंद’ का आह्वान किया गया, जिसमें विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने जमकर सियासी ताकत दिखाई।
तेजस्वी ने चुनाव आयोग को बताया ‘गोदी आयोग’
राजद नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “भारत निर्वाचन आयोग अब ‘गोदी आयोग’ बन गया है। एनडीए जानती है कि वह हार रही है, इसलिए आयोग के सहारे चुनाव को प्रभावित करने की साजिश रच रही है।” तेजस्वी का दावा है कि करीब 4.5 करोड़ प्रवासी और गरीब वोटरों के नाम लिस्ट से हटाने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ नाम काटने की बात नहीं, बल्कि दलितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों की राजनीतिक भागीदारी खत्म करने की कोशिश है। हम इस साजिश के खिलाफ आखिरी दम तक लड़ेंगे।”
राहुल गांधी और INDIA गठबंधन सड़कों पर उतरा
बिहार बंद में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी भाग लिया और पटना में इनकम टैक्स गोलंबर से लेकर चुनाव आयोग कार्यालय तक पैदल मार्च किया। उनके साथ राजद नेता तेजस्वी यादव, भाकपा महासचिव डी. राजा, कन्हैया कुमार, और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह जैसे कई प्रमुख नेता भी प्रदर्शन में शामिल हुए। राहुल गांधी ने कहा कि “अगर वोट ही नहीं रहेगा तो लोकतंत्र क्या रहेगा? यह देश संविधान से चलता है, ईवीएम से नहीं। भाजपा सरकार लोकतंत्र की जड़ें काटने की कोशिश कर रही है।”
सरकार ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
दूसरी ओर, एनडीए और राज्य सरकार ने विपक्ष के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और भाजपा नेताओं ने कहा कि SIR एक नियमित प्रक्रिया है, जिसका मकसद सिर्फ वोटर लिस्ट को अपडेट और शुद्ध करना है। इसमें किसी समुदाय या वर्ग को निशाना नहीं बनाया जा रहा। सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के तहत हो रही है और किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है।

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