Banking Rules: आरबीआई एमपीसी बैठक के फैसलों की घोषणा 9 अप्रैल को हो चुकी है। बैंकिंग और फिनटेक से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया है। इसका प्रभाव ग्राहकों पर भी पड़ेगा। एक साल में दूसरी बार रेपो रेट में कटौती की गई है। एफडी और लोन से ब्याज दरों में संशोधन होने की संभावना है। हालांकि एचडीएफसी ने पहले ही एमसीएलआर में कटौती कर दी है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेगुलेटर सैंडबॉक्स के “थीम न्यूट्रल” और “ऑन टैप” होने का ऐलान कर दिया है। यह प्लेटफ़ॉर्म नई फिनटेक कंपनियों को सीमित दायरे में उत्पाद और सेवाओं का परीक्षण करने की अनुमति देता है। इस फैसले के बाद किसी भी क्षेत्र में इनोवेशन को कभी भी ऑन डिमांड प्रस्तावित किया जा सकता है। इससे फिनटेक कंपनियों और स्टार्टअप को लाभ होगा।
गोल्ड लोन को लेकर नए निर्देश जारी
आरबीआई गोल्ड लोन (Gold Loan Rules) को एक सुसंगत और समेकित रेगुलेशन के तहत लाने की तैयारी में है। इससे संबंधित प्रूडेंशियल नॉर्म्स और कस्टमर हैंडलिंग नियम जारी होंगे। अब तक विभिन्न संस्थानों के लिए अलग नियम थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इससे स्वर्ण ऋण में एकरूपता आएगी। सुरक्षा बढ़ेगी।
इन नियमों को भी जान लें
- केन्द्रीय बैंक ने स्ट्रेस्ड एसेट्स यानि बैंकों या एनबीएफसी के खराब कर्ज से संबंधित नियमों में बदलाव किया है। इन्हें निपटने के लिए सिस्टम को पेश किया गया है, जिसका नाम “मार्क्ड बेस्ड सिक्योरिटाइजेशन मैकेनिज़्म” है। इससे पहले SARFAESI एक्ट 2002 के अंतर्गत आने वाले ARC रास्ते का इस्तेमाल किया जाता था। नए ढांचे से बाजार संचालित तंत्र के जरिए स्ट्रेस्ड एसेट्स के प्रतिभूतिकरण की अनुमति दी गई है। इससे जोखिम वितरण में उधर होगा।
- वर्तमान में सह-उधर नियम सिर्फ प्राथमिकता क्षेत्र वाले लोन के लिए बैंकों और एनबीएफसी के बीच सहयोग पर लागू होते हैं। अब केन्द्रीय बैंक ने इसे सभी विनियमित संस्थाओं और विभिन्न लोन कैटेगरी को कवर करने के लिए नया प्लान बनाया है। जिसका मकसद पूरे क्षेत्र में विकसित हो रही लोन साझेदारी को संबोधित करना है।
- आरबीआई ने नॉन फंड बेस्ड सुविधाओं के गाइडलाइंस में संशोधन किया है। नए नियम गारंटी, सह-स्वीकृति, लेटर ऑफ क्रेडिट जैसी सुविधाओं को मजबूत करता है। आंशिक ऋण वृद्धि अपडेट भी इसमें शामिल है, जो समीक्षा में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण को बढ़ावा देता है।

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